नैनीताल जिले में उत्तराखंड की एकमात्र टी-बोर्ड लैब जांच के लिए पूरे राज्य से आती है मिट्टी
नैनीताल जिले में उत्तराखंड की एकमात्र टी-बोर्ड लैब जांच के लिए पूरे राज्य से आती है मिट्टी
वर्ष 1995 में नैनीताल जिले के भवाली-अल्मोड़ा रोड पर टी-बोर्ड लैबोरेट्री को स्थापित करने का मुख्य मकसद बेहतर कृषि के साथ-साथ किसानों को अच्छी खेती की ओर बढ़ावा देना है. अगर कोई किसान चाय की खेती करना चाहे तो सबसे पहले उसकी जमीन की मिट्टी की जांच की जाती है. इसके लिए पूरे कुमाऊं और गढ़वाल से मिट्टी जांच के लिए भवाली में स्थित इस लैबोरेट्री में आती है
हिमांशु जोशी
नैनीताल. उत्तराखंड के नैनीताल जिले के भवाली में उत्तराखंड टी-बोर्ड की पूरे प्रदेश में एकमात्र लैबोरेट्री है. चाय की खेती के लिए यहां पूरे कुमाऊं और गढ़वाल की मिट्टी की जांच की जाती है. इसके अलावा यहां अन्य चीजों के उत्पादन के लिए भी काश्तकार मिट्टी की जांच करवाने के लिए आते हैं. हालांकि इसके लिए उन्हें अलग से शुल्क देना होता है.
भवाली में मौजूद इस मृदा (मिट्टी) परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना वर्ष 1995 में हुई थी. अब से 27 साल पहले भवाली-अल्मोड़ा रोड पर इस लैबोरेट्री को स्थापित करने का मुख्य मकसद बेहतर कृषि के साथ-साथ किसानों को अच्छी खेती की ओर बढ़ावा देना है. अगर कोई किसान चाय की खेती करना चाहे तो सबसे पहले उसकी जमीन की मिट्टी की जांच की जाती है. इसके लिए पूरे कुमाऊं और गढ़वाल से मिट्टी जांच के लिए भवाली में स्थित इस लैबोरेट्री में आती है.
मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के इंचार्ज राकेश कुमार बताते हैं कि इस लैबोरेट्री को स्थापित करने की वजह चाय के लिए मिट्टी की सटीक जांच करना है. उन्होंने बताया कि हर साल अलग-अलग क्षेत्र से मिट्टी को यहां लाया जाता है और उसकी गुणवत्ता की जांच होती है. इस लैब में मिट्टी के चार से पांच पैरामीटर्स की जांच की जाती है, जिनमें मिट्टी का पीएच, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और आर्गेनिक वैल्यू देखी जाती है. चाय की खेती के लिए ph की वैल्यू 4.5 से 5.5 के बीच में होनी चाहिए. अगर इसका ph निर्धारित वैल्यू से कम होता है, तब उसको निर्धारित वैल्यू तक लाने के लिए डोलामाइट डाला जाता है.
प्रयोगशाला के पर्यवेक्षक दीपक जोशी ने बताया कि यहां जैविक और अजैविक खाद का भी परीक्षण किया जाता है. इसके लिए 270 रुपये शुल्क लिया जाता है. यहां मिट्टी की जांच के लिए केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता है. यहां मौजूद उपकरणों से मिट्टी की सही जांच होती है. इसके अलावा यहां सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों के साथ ही पीएचडी के छात्र भी मिट्टी की परीक्षण प्रक्रिया सीखने के लिए आते हैं.
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Tags: Nainital news, Uttarakhand newsFIRST PUBLISHED : September 14, 2022, 19:50 IST