Nainital: नैनीताल के सिपाही धारे को गोरखा सैनिकों की वजह से मिला था नाम जानें रोचक इतिहास
Nainital: नैनीताल के सिपाही धारे को गोरखा सैनिकों की वजह से मिला था नाम जानें रोचक इतिहास
Nainital Sipahi Dhara: नैनीताल में काफी प्राकृतिक जल स्रोत हैं. जबकि कुछ जल स्रोत ऐसे होते हैं, जिनमें सालभर पानी आता है. इसमें सिपाही धारा शामिल है. जानें कैसे पड़ा था ये नाम?
हिमांशू जोशी
नैनीताल. सरोवर नगरी नैनीताल में काफी प्राकृतिक जल स्रोत हैं. सदियों से यह जल धाराएं उस क्षेत्र के लोगों की प्यास बुझाने के साथ अन्य जरूरतों में काम आती रही हैं. कुछ स्रोत ऐसे भी हैं जिनमें साल भर पानी की धारा समान रहती है. इन्हीं में प्रमुख धारा है सिपाही धारा जिसका इतिहास अपने आप में रोचक है.
सिपाही धारा नैनीताल से करीब 1 किमी की दूरी पर स्थित है. प्रोफेसर अजय रावत ने बताया कि सिपाही धारा का इतिहास सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है. 1857 में हुए विद्रोह का असर नैनीताल में ज्यादा नहीं पड़ा था. हालांकि रोहिलखंड में इसका काफी असर देखने को मिला था. रोहिलखंड के तब के कमिश्नर रहे एलेग्जेंडर ने नैनीताल में शरण ली थी. रोहिलखंड के नवाब ने हल्द्वानी में आक्रमण किया था, तब अंग्रेजों ने 18वीं 150 गोरखा राइफल्स की स्थापना की जिसमें करीब 2000 सैनिकों को भर्ती किया. इन्हीं सैनिकों ने 1857-58 में रोहिल्लाओं को पराजित किया. साल 1858 के बाद इन्हें नैनीताल लाया गया और तल्लीताल स्थित जीआईसी के नजदीक इन्हें बसाया गया. इसी के समीप एक धारा हुआ करता था जिसे बाद में इन सिपाहियों की वजह से सिपाही धारा नाम दिया गया, जो आज भी इसी नाम से जाना जाता है. नैनीताल का सिपाही धारा सार्वजनिक नहाने व अन्य इस्तेमाल में लाया जाता है. रावत ने बताया कि धारे पहाड़ की संस्कृति के अभिन्न अंग होते हैं.
तीन प्रकार के होते हैं धारे
धारों के मुख्य तीन तरह के रूप होते हैं. सबसे पहला है सिरपतिया धारा, जिससे कोई भी व्यक्ति आसानी से खड़े होकर उस धारा से पानी पी सकता है. अगर किसी धारे से पानी पीने के लिए थोड़ा झुकना होता है तो ऐसे धारा को मुड़पतिया कहते हैं. यह धारे पशुओं की आकृति से सुशोभित होते हैं. तीसरे तरह के धारा से पानी केवल बरसात के समय में ही बहता है जिस वजह से इसे पतवीड़िया धारा कहते हैं.
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Tags: Nainital news, Nainital tourist placesFIRST PUBLISHED : August 31, 2022, 14:30 IST