Uttarakhand Foundation Day: 22 साल बाद भी रुलाती है साथियों की कुर्बानी की कहानी सुनें आपबीती
Uttarakhand Foundation Day: 22 साल बाद भी रुलाती है साथियों की कुर्बानी की कहानी सुनें आपबीती
Uttarakhand Foundation Day 2022: उत्तराखंड का आज 22वां स्थापना दिवस है. वहीं, देहरादून के तमाम लोगों ने अलग राज्य की मांग को लेकर किए आंदोलन में शहादत देने वाले आंदोलनकारियों को याद किया है.
रिपोर्ट- हिना आज़मी
देहरादून. उत्तराखंड आज (9 नवंबर 2022, दिन- बुधवार) अपना 22वां स्थापना दिवस (Uttarakhand Foundation Day 2022) मना रहा है. पूरे प्रदेश में इस खुशी के मौके पर कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ था. लंबे संघर्ष और कई राज्य आंदोलनकारियों की शहादत के बाद लोगों को एक अलग राज्य मिला. 22 साल बाद आज भी राज्य आंदोलनकारी अपने साथियों की शहादत नहीं भूले हैं और न ही अपने सामने का वह मंजर भूल पाए हैं.
राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने बताया कि उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए जितने संघर्ष हम सबने मिलकर किए, 22 वर्ष बाद भी जिस मकसद के लिए राज्य की लड़ाई लड़ी गई थी, वह सपना अधूरा है. वहीं, राज्य आंदोलनकारी रामलाल खंडूरी ने बताया कि उत्तराखंड बनाने के लिए जिन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी, आज भी हम उन्हें नमन करते हैं क्योंकि कई लोग ऐसे थे, जिन्होंने अपने परिवार को नहीं देखा और राज्य बनाने के लिए हुई क्रांति में शामिल हो गए. उन्होंने अपने बचपन के दोस्त जिनकी उम्र 22 वर्ष थी, उनके बारे में जिक्र करते हुए कहा कि रामपुर तिराहा कांड में वह शहीद हो गए थे. उनका नाम रविंद्र रावत था, जिन्हें आज भी नहीं भूल पाए हैं.
बता दें कि 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के अवसर पर साल 1994 को दिल्ली में अहिंसात्मक रूप से राज्य आंदोलनकारियों द्वारा रैली आयोजित की गई थी, जिसमें शामिल होने वाले आंदोलनकारियों को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर रोका गया और फिर उन पर गोलियों की बौछार कर दी गई. उस वक्त का मंजर बयां करते हुए राज्य आंदोलनकारी सुरेश नेगी ने बताया कि उन्हीं के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले और अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर साथ रहने वाले उनके साथी पौलू को जब गोली लगी, तो उन्होंने उनके शव को अपने हाथों में उठाया. इतना कहते ही उनकी आंखें छलक उठीं. आज भी उन्हें वह वक्त याद आता है, तो सिहर उठते हैं.
खटीमा गोली कांड: 1 सितम्बर 1994 को हुए खटीमा गोली कांड में राज्य आंदोलनकारी प्रताप सिंह, परमजीत सिंह, सलीम अहमद, भुवन सिंह, धर्मानंद भट्ट, गोपीचन्द, रामपाल और भगवान सिंह सिरोला शहीद हो गए थे.
मसूरी कांड: 2 सितंबर 1994 में मसूरी गोली कांड हुआ था. इसमें रायसिंह बंगारी, हंसा धनाई, मदन मोहन मंमगाई, बलवीर सिंह नेगी, जेठू सिंह, उमाशंकर त्रिपाठी, धनपत सिंह और बेलमती चौहान शहीद हुए थे.
रामपुर तिराहा कांड: देहरादून से दिल्ली जा रहे राज्य आंदोलनकारियों को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर रोका गया, जहां उत्तराखंड के कई लाल शहीद हुए थे. राजेश लखेड़ा, अशोक कुमार कोशिव, गिरीश कुमार भद्री, सतेन्द्र सिंह चौहान, रवीन्द्र रावत और सूर्यप्रकाश थपलियाल रामपुर तिराहा कांड में शहीद हुए थे. इस दौरान दर्जनों आंदोलनकारी घायल हुए थे.
इनके अलावा राजेश रावत, दीपक वालिया, जयानंद बहुगुणा, बलवंत सिंह जंगवाण, पृथ्वी सिंह बिष्ट, राकेश देवरानी, प्रताप सिंह बिष्ट, यशोधरा बैंजवाल व राजेश ने भी अलग राज्य बनाने के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे.
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Tags: Dehradun news, Uttarakhand newsFIRST PUBLISHED : November 09, 2022, 14:08 IST