रिपोर्ट-हिना आज़मी
देहरादून. देवभूमि उत्तराखंड में अनेकों प्राचीन मंदिर हैं. हर मंदिर का अपना इतिहास और महत्व है. राजधानी देहरादून में भी तमाम प्राचीन मंदिर हैं. दून केकरनपुर क्षेत्र में लक्ष्मीनारायण का मंदिर (Lakshmi Narayan Temple in Dehradun) पिछले 75 वर्षों से आस्था का केंद्र बना हुआ है. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है. इच्छा पूरी होने के बाद श्रद्धालु यहां वापस आते हैं और ईश्वर को धन्यवाद देते हैं.
लक्ष्मीनारायण मंदिर सुबह 6 बजे खुलता है और शाम 7 बजे इसके कपाट बंद हो जाते हैं. मंगलवार को भगवान श्रीकृष्ण की छठी के दिन यहां काफी भव्य आयोजन हुए. मंदिर में हवन व भंडारा आयोजित किया गया. हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे और प्रसाद ग्रहण किया. लक्ष्मीनारायण मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया कि करीब सात दशक पहले हरि चंद्र दुसेजा ने इस मंदिर की नींव रखी थी. तब से लेकर अब तक यहां लोग दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं.
मंदिर के पुजारी आचार्य वीपी डिमरी ने बताया कि देहरादून के करनपुर में स्थित यह मंदिर करीब 75 साल पुराना है. यह पहले छोटा सा मंदिर हुआ करता था, लेकिन बाद में इसे विशाल रूप दिया गया. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में लोग अपनी शिक्षा और कामयाबी के लिए मनोकामना लेकर आते हैं. वहीं उनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाने पर वे यहां भगवान का धन्यवाद करने दोबारा आते हैं और फिर उनका विश्वास ऐसे ही बना रहता है. उन्होंने बताया कि वह इस मंदिर में हर साल भगवान श्रीकृष्ण की छठी के दिन भव्य आयोजन होता है.
कैसे पहुंचे लक्ष्मीनारायण मंदिर?
लक्ष्मीनारायण मंदिर राजधानी देहरादून के करनपुर में स्थित है. यहां जाने के लिए आप सबसे पहले सर्वे चौक पर जाइए, जहां से होते हुए आप सीधे इस मंदिर में दर्शन करने जा सकते हैं. सर्वे चौक से करनपुर के लिए शेयरिंग ऑटो भी चलते हैं.
लक्ष्मीनारायण जी की आरती;
जय लक्ष्मी रमणा,स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।सत्यनारायण स्वामी,जन पातक हरणा ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ॥
रतन जड़ित सिंहासन,अदभुत छवि राजे ।नारद करत नीराजन,घंटा वन बाजे ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ॥
प्रकट भए कलिकारण,द्विज को दरस दियो ।बूढ़ो ब्राह्मण बनकर,कंचन महल कियो ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ॥
दुर्बल भील कठोरो,जिन पर कृपा करी ।चंद्रचूड़ एक राजा,तिनकी विपत्ति हरि ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ॥
वैश्य मनोरथ पायो,श्रद्धा तज दीन्ही ।सो फल भाग्यो प्रभुजी,फिर स्तुति किन्ही ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ॥
भव भक्ति के कारण,छिन-छिन रूप धरयो ।श्रद्धा धारण किन्ही,तिनको काज सरो ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ॥
ग्वाल-बाल संग राजा,बन में भक्ति करी ।मनवांछित फल दीन्हो,दीन दयालु हरि ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ॥
चढत प्रसाद सवायो,कदली फल मेवा ।धूप-दीप-तुलसी से,राजी सत्यदेवा ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ॥
सत्यनारायणजी की आरती,जो कोई नर गावे ।ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति,सहज रूप पावे ॥
जय लक्ष्मी रमणा,स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ॥सत्यनारायण स्वामी,जन पातक हरणा ॥
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Tags: Dehradun newsFIRST PUBLISHED : August 24, 2022, 15:39 IST