Ramleela 2022: अल्मोड़ा की रामलीला को ये बात बनाती है खास जानें कब और किस मंदिर से हुई थी शुरुआत
Ramleela 2022: अल्मोड़ा की रामलीला को ये बात बनाती है खास जानें कब और किस मंदिर से हुई थी शुरुआत
Almora Ramleela: कुमाऊं की सबसे पुरानी रामलीला अल्मोड़ा की मानी गई है. साल 1860 में पहली बार बद्रेश्वर मंदिर से रामलीला का मंचन शुरू हुआ था. वहीं, आधुनिक दौर में भी यह अपनी परंपरा को बरकरार रखे हुए है.
रिपोर्ट- रोहित भट्ट
अल्मोड़ा. उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा ऐतिहासिक नगरी मानी जाती है. कुमाऊं की सबसे पुरानी रामलीला अल्मोड़ा (Ramleela of Almora Uttarakhand) की मानी गई है. इसका इतिहास काफी रोचक है. अल्मोड़ा में साल 1860 में पहली बार बद्रेश्वर मंदिर से रामलीला का मंचन शुरू हुआ था. कुछ समय बाद इस रामलीला को नंदा देवी मंदिर परिसर में आयोजित किया जाने लगा. जबकि नंदा देवी रामलीला को 162 वर्ष पूरे हो चुके हैं.
स्थानीय लोग बताते हैं कि बद्रेश्वर मंदिर में सबसे पहले इस रामलीला को आयोजित किया जाता था. उसके बाद रामलीला को नंदा देवी मंदिर परिसर में कराया जाने लगा. आज भी पुराने स्वरूप में ही इसका मंचन होता है. जबकि अल्मोड़ा की रामलीला देश-विदेश में मशहूर है. वहीं, यहां के कलाकार बाहर जाकर भी मंचन करते हैं. इसके अलाव नंदा देवी परिसर की रामलीला देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं.
वरिष्ठ कलाकार नवीन बिष्ट ने बताया कि उनकी उम्र 70 साल हो गई है. वह करीब 45 सालों से रामलीला में पाठ खेल रहे हैं. वर्तमान में वह दशरथ का पाठ करते हैं. उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा की रामलीला कुमाऊं की सबसे पुरानी रामलीला है. जिस तरह से पहले रामलीला होती थी, उसी तरीके से आज भी यह रामलीला हो रही है. आधुनिक दौर में थोड़ा बहुत बदलाव जरूर देखने को मिला है. मंच, साज और श्रृंगार के अलावा कई अन्य चीजें बदल चुकी हैं, लेकिन आज भी वही गायन शैली बरकरार है. बिष्ट ने आगे कहा,’अल्मोड़ा की रामलीला की खास बात यह भी है कि मंच पर किरदार निभाने वाला कलाकार ही स्वयं संवाद करता है. इसमें किसी तरह का वॉइस ओवर नहीं किया जाता. वह कामना करते हैं जिस तरह से वर्तमान में रामलीला का मंचन हो रहा है, उसी तरीके से आगे भी होता रहे.’
नंदा देवी रामलीला के मेकअप आर्टिस्ट संदीप साह ने बताया कि वह करीब 30 सालों से मेकअप आर्टिस्ट का काम कर रहे हैं. पहले इतना कलाकारों में कलर नहीं किया जाता था, पर अब अलग-अलग तरीके से कलाकारों को रूप देने के लिए उन्हें कलर के माध्यम से सजाया जाता है.
युवा कलाकार अखिलेश जोशी ने बताया कि वह कई सालों से नंदा देवी की रामलीला में पाठ करने की सोच रहे थे, लेकिन इस बार उन्हें अभिनय करने का मौका मिला है. वह इस बार मारीच का पाठ खेल रहे हैं, जिससे उन्हें काफी अच्छा लग रहा है.
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Tags: Almora News, Uttarakhand newsFIRST PUBLISHED : September 28, 2022, 15:46 IST