Gyanvapi Case: ज्ञानवापी केस में अब क्या होगी आगे की राह जानें हिन्दू पक्ष के लिए वाराणसी कोर्ट के फैसले के मायने
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी केस में अब क्या होगी आगे की राह जानें हिन्दू पक्ष के लिए वाराणसी कोर्ट के फैसले के मायने
Gyanvapi Case: वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी शृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही यह भी कहा कि पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका सुनवाई योग्य है.
हाइलाइट्समुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए वाराणसी जिला जज ने वाद को सुनवाई योग्य ठहराया है.न्यायालय के इस फैसले के बाद ज्ञानवापी मस्जिद अंजुमन अंतजामिया कमेटी ने होईकोर्ट में जाने को कहा है.पांच महिलाओं ने मांग की थी कि मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोज पूजा की अनुमति दी जाए.
अनन्या भटनागर
नई दिल्ली. वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मामले में माना है कि हिंदू पक्ष की दलील सुनवाई योग्य है. इस पूरे मामले की सुनवाई जारी रहेगी. अदालत ने यह निर्देश सोमवार को दिया, जो कि हिंदू पक्ष के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है. ज्ञानवापी मस्जिद अंजुमन अंतजामिया कमेटी की याचिका 7रूल 11 को खारिज करते हुए जिला जज ने हिंदू पक्ष के दावे को सही ठहराया और कहा कि यह वाद सुनवाई योग्य है. इस मुकदमे को खारिज करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों को कानून के मुद्दों और प्रश्नों को तैयार करने का भी निर्देश दिया, जिन्हें मुख्य मुकदमे में निपटाया जाना है. कोर्ट ने अब सुनवाई की अगली तारीख 22 सितंबर तय की है.
दोनों पक्षों द्वारा अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने के बाद, न केवल मौखिक तर्कों पर विचार करते हुए विस्तृत तर्क, बल्कि कानूनी मिसालें भी दोनों पक्षों द्वारा अदालत के सामने रखी जाएंगी. चूंकि मामले को अब सुनवाई योग्य बना दिया गया है, इसलिए एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट का भी कानूनी महत्व होगा और इस पर वाराणसी कोर्ट द्वारा भी विचार किया जा सकता है.
सोमवार को अदालत में सुनवाई के दौरान सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत हिंदू पक्ष के मुकदमे की वैधता को चुनौती देने वाले मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर आवेदन को खारिज करते हुए, वाराणसी के जिला न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा, ‘मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि मुकदमा वादी पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 (1991 का अधिनियम संख्या 42), वक्फ अधिनियम 1995 (1995 का अधिनियम संख्या 43) और यू.पी. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम, 1983 (1983 का अधिनियम संख्या 29) और प्रतिवादी संख्या 4 द्वारा दायर आवेदन 35सी खारिज किए जाने योग्य है.’
मुस्लिम पक्ष के पास विकल्प है मौजूद
वाराणसी कोर्ट के आदेशों से व्यथित, मुस्लिम पक्ष के पास दो व्यापक कानूनी विकल्प हैं. इसके तहत मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद के उच्च न्यायालय या भारत के सर्वोच्च न्यायालय से संपर्क करें. हालांकि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए प्रासंगिक और सबसे उपयुक्त विकल्प बाकी है. दरअसल, मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने सीएनएन-न्यूज18 को संकेत दिया है कि वे पहले आदेश का विश्लेषण करेंगे और फिर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले की सुनवाई अक्टूबर में करेगा.
5 महिलाओं ने की थी पूजा और अनुष्ठान करने की मांग
18 अप्रैल, 2021 को दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने मुकदमा दायर कर श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और नंदी की पूजा और अनुष्ठान करने की अनुमति मांगी. साथ ही विरोधियों को मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से रोकने की भी मांग की. बता दें कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताते हुए कहा था कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है. मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी.
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Tags: Gyanvapi Masjid Controversy, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : September 12, 2022, 23:16 IST