OPINION: गुजरात में भाजपा का अभेद किला और कमजोर विपक्ष

गुजरात में 182 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में मतदान किया जाएगा. इस दौरान भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेता जमकर जनप्रचार कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस अभी तक शातं नजर आ रही है.

OPINION: गुजरात में भाजपा का अभेद किला और कमजोर विपक्ष
गुजरात यानी सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठा का वो राज्य जो विकास के पायदान पर काफी ऊपर है. ऐसा राज्य जहां 27 साल से सरकार चला रही भाजपा फिर से अपनी वापसी को लेकर आश्वस्त दिख रही है. Network18 के ग्रुप एडिटर-इन-चीफ राहुल जोशी से बेहद खास बातचीत में भाजपा के चाणक्य और गृहमंत्री अमित शाह ने जब ये दावा किया कि “भारतीय जनता पार्टी गुजरात में अपने सभी पिछले रिकॉर्ड तोड़ कर सर्वाधिक मत और सीटों के साथ विजयी बनेगी” तो उसके कुछ बड़े और बेहद मजबूत आधार भी हैं. चुनावी गणित को देखें तो इस बार से ज्यादा कठिन परिस्थित भाजपा के लिए 2017 थी. तब भाजपा के खिलाफ कांग्रेस ने सोशल इंजीनियरिंग करते हुए पटेल समुदाय के हार्दिक पटेल, ओबीसी से अल्पेश ठाकोर और अनुसूचित जाति जनजाति से जिग्नेश मेवानी को लामबंद किया था. भाजपा ने कड़ा मुकाबला किया और विधानसभा चुनाव जीता. जबकि इस बार कांग्रेस बिलकुल बुझी बुझी नज़र आ रही है और उस पर तीसरी शक्ति बनने को बेताब आम आदमी पार्टी ने भाजपा की राह और आसान कर दी है. वैसे चुनाव जीतने के लिए दो कारक सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं- एक आपकी ताकत और दूसरी विपक्षियों की कमजोरी। इस लेख में इन दोनों कारकों पर बात करते हैं. गुजराती अस्मिता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार के दौरान नारा दिया “आ गुजरात में बनाव्यु छे” यानी “ये गुजरात मैंने बनाया है.” वलसाड में इस नारे को जनता से लगवाते समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “गुजरात को बदनाम करने की कोशिश कामयाब नहीं होगी”. दरअसल कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहे प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को निशाने पर लेते समय गुजरात को भी निशाने पर लेने लगते हैं. भाजपा ने इस बात को अपनी चुनावी रणनीति में अहम् स्थान दिया है. वलसाड में गुजराती में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि “जिन विभाजनकारी ताकतों ने घृणा फैला कर गुजरात को बदनाम करके गुजरातियों का अपमान करने की कोशिशें की हैं, उन्हें गुजरात से बाहर का रास्ता दिखाया गया है.” 20 नवम्बर को धोराजी में बोलते समय प्रधानमंत्री मोदी ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के साथ राहुल गांधी की तस्वीर का ज़िक्र करते हुए कहा, “नर्मदा विरोधियों के कंधो पर हाथ रखकर दौड़ रहे कांग्रेस के लोगो को सवाल ज़रूर पूछना की वो उनके साथ क्यों खड़े है? नर्मदा बचाओ आंदोलन के नाम पर उस बहन ने सरदार सरोवर बांध में रोड़ा डालने के अलावा कुछ काम नहीं किया. बांध देरी से पूरा होने से गुजरात की धरती सालों तक प्यासी रही, उसी महिला के कंधों पर कांग्रेस के नेता हाथ रखकर यात्रा पर निकले है.” मोदी और शाह की अविजित जोड़ी दिसंबर में होने जा रहे गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया जिसमें कई बड़े नेता जैसे पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल भी हैं. कोई और राज्य होता तो हाहाकार मच जाता. लेकिन कैडर बेस पार्टी होने के साथ साथ भाजपा के पक्ष में जो बात जाती है वो इसके शीर्ष के दोनों नेता प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हैं. कई विधयाकों ने निजी बातचीत में इस बात का दुःख तो जताया कि उनका टिकट कट गया है लेकिन ये भी कहा कि उनके मन में मोदी और शाह के लिए बड़ा सम्मान है और उनके खिलाफ जाने की वो सोच भी नहीं सकते. वैसे भी पूरे भारत में मोदी फैक्टर ही भाजपा का सबसे बड़ा चुनावी दांव है शहरी इलाकों के साथ साथ गांवों में भी भाजपा के वोटर्स को एकजुट किये रहता है. उसके साथ गृह मंत्री अमित शाह की कुशल चुनावी रणनीति गुजरात को भाजपा का अभेद किला बना देती है. उदहारणस्वरुप जैसे ही कांग्रेस ने घोषणा की कि वो नरेन्द्र मोदी स्टेडियम का नाम सरदार पटेल के नाम पर करेंगे तो NEWS 18 से बात करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने जवाबी हमला करते हुए कहा कि “कांग्रेस को सरदार पटेल का नाम लेने का अधिकार ही नहीं है. सरदार पटेल को इतिहास में नाम न मिले इसके लिए गांधी-नेहरू परिवार जीवन भर लगा रहा. लेकिन मोदी सरकार ने देश भर से लोहा लेकर किसान नेता सरदार पटेल जी की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाई.“ प्रदर्शन पर भरोसा 2001 में कच्छ में आए विनाशकारी भूकंप से गुजरात में बहुत कुछ बदल गया. आज के प्रधानमंत्री और तब के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्छ के पुनर्वास में कमाल कर दिया. उस वक़्त से ही भाजपा और मोदी ने गुजरात में “परफार्मेंस” को अपना ट्रंप कार्ड बना लिया और जन्म हुआ शासन के “गुजरात मॉडल” का. नयी नयी योजनायें शुरू की गयी. गुजरात में निवेश लाने के लिए वाइब्रेंट गुजरात बहुत सफल रहा. कानून और व्यवस्था पर NEWS 18 से बात करते हुए अमित शाह ने कहा, “एक जमाना था, जब गुजरात में कांग्रेस की सरकार थी और साल में 250 दिन कर्फ्यू रहता था. लेकिन आज 20 साल के लड़के से पूछ लें कि कर्फ्यू क्या होता है तो वह नहीं बता पाएगा क्योंकि उसने भाजपा राज में कर्फ्यू देखा ही नहीं.” गुजरात एक सीमान्त प्रान्त है ऐसे में कानून व्यवस्था एक बहुत बड़ा मुद्दा रहा है. अच्छी कानून व्यवस्था से शिक्षा का भी स्तर बढ़ता है और कारोबार भी। बीतें 20 सालों से ज्यादा जीवन स्तर के कई पायदानों पर गुजरात अव्वल राज्य है और इसका श्री भाजपा अपने प्रदर्शन को देती है. चुनावी समीकरण बीजेपी के उम्मीदवारों के नाम देखें तो पार्टी ने जातिगत समीकरण साधने के अलावा युवा और महिला वोटरों को भी अपनी रणनीति के केंद्र में रखा है. इस बार 100 से अधिक सीट भाजपा ने पाटीदार व ओबीसी को देकर जातिगत समीकरण साधने का भरपूर प्रयास किया है. भाजपा ने ओबीसी को 59 सीट, पाटीदार को 45, अनसूचित जाति को 13 व अनुसूचित जनजाति को 27 सीट दी है जबकि 14 ब्राम्हण, 13 क्षत्रिय, 4 जैन समुदाय के नेताओं को टिकट दी गई. ओबीसी समाज से बीजेपी के कोर में पाटीदार समुदाय के साथ-साथ के प्रजापति, कोली. ठाकोर, क्षत्रिय, माली, चौधरी, राणा, खारवा जैसी अन्य छोटी जातियाँ भी है. साथ ही पार्टी ने 14 महिलाओं को टिकट दिया है जबकि 35 उम्मीदवारों की उम्र 50 साल से कम है. पुराने विधायकों और उमीद्द्वारों के टिकट कटने से नए चेहरों को भी मौका मिलेगा जो एंटी इन्कम्बैंसी फैक्टर को कम करने में मददगार होगा. कमज़ोर विपक्ष इस बार भाजपा के खिलाफ मैदान में कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी भी है. NEWS 18 से बात करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर करारा हमला करते हुए कहा कि सोनिया-मनमोहन सिंह की 10 साल की सरकार में 12 लाख करोड़ के घोटाले हुए. कांग्रेस के शासनकाल में घोटाले गिनना मुश्किल था और भाजपा राज में घोटाले ढूंढना मुश्किल है. मतदान के कुछ ही दिन शेष हैं लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता गुजरात चुनाव से गायब हैं. गांधी परिवार की भी गुजरात को लेकर कोई खास सक्रियता अभी तक नहीं दिखी. दिल्ली से गयी आम आदमी पार्टी भी नित नयी आ रही ख़बरों से सवालों के घेरे में हैं फिर चाहें वो आबकारी नीति पर मचा हंगामा हो या फिर जेल में सत्येन्द्र जैन का मालिश काण्ड. उस पर भी आम आदमी पार्टी दिल्ली सरीखे जो मुद्दे गुजरात में उठा रही है उसकी भी हवा कुछ खास बन नहीं पा रही. इस मॉडल में फ्री बिजली, स्कूल, हॉस्पिटल की बात है. NEWS 18 से बात करते हुए अमित शाह ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि “विरोधी पार्टियाँ हास्यास्पद दावे कर रही है जैसे प्राथमिक शिक्षा फ्री होगी, अरे हमारे यहाँ तो 1960 से प्राथमिक शिक्षा फ्री है.” तीसरी पार्टी के चुनावी रण में आने पर भी अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि तीसरी पार्टी इससे पहले भी आयी हैं, जब केशुभाई ने पार्टी बनाई, शंकर सिंह वाघेला ने भी पार्टी बनाई, चमन भाई पटेल ने भी पार्टी बनाई थी पर तीसरी पार्टी के कांसेप्ट को गुजरात ने कभी स्वीकार नहीं किया. गुजरात में दो चरणों में मतदान होना है. पहले चरण में एक दिसंबर जबकि दूसरे चरण में पांच दिसंबर को मतदान होगा. वोटों की गिनती आठ दिसंबर को होगी. लेकिन फिलहाल जो संकेत मिल रहे हैं उसके मुताबिक भाजपा काफी मज़बूत स्थित में हैं और जैसा कि NEWS 18 से बात करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि “भूपेन्द्र भाई पटेल ही अगले मुख्यमंत्री होंगे.” ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Gujarat Assembly Election, Gujarat ElectionFIRST PUBLISHED : November 20, 2022, 20:43 IST