बेंगलुरु: ग्राउंडवॉटर लेवल की स्थिति नाजुक सरकार बना रही नीति लेकिन बोरवेल पर कोई रोकटोक नहीं

Water Crisis: कर्नाटक भूजल प्राधिकरण (केजीडब्ल्यूए) शहर और राज्य के अन्य हिस्सों में बोरवेल की वास्तविक संख्या की जांच करने के लिए आधिकारिक एजेंसी है. लेकिन दिशानिर्देशों और शक्तियों की कमी ने इसके संचालन को पंगु बना दिया है.

बेंगलुरु: ग्राउंडवॉटर लेवल की स्थिति नाजुक सरकार बना रही नीति लेकिन बोरवेल पर कोई रोकटोक नहीं
हाइलाइट्सऊर्जा विभाग के मुताबिक कर्नाटक में करीब 32.5 लाख बोरवेल हैंभूजल के स्तर में खतरनाक स्तर पर आ रही कमी और पानी का दूषित होना दोनों ही बेहद चिंताजनक हैबेंगलुरु में ग्राउंडवॉटर लेवल चिंताजनक स्तर पर आ पहुंचा है बेंगलुरु. बेंगलुरु में भूजल स्तर अपने सबसे निम्नतम स्तर पर जा पहुंचा है. एक तरफ राज्य मंत्रिमंडल जलनीति 2022 को मंजूरी दे रहा है, जिसका मकसद बेंगलुरु शहर के लोगों को सुरक्षित पीने योग्य पानी मुहैया कराना और पर्यावरण मुक्त भूजल संरक्षित करना है. दूसरी तरफ सरकार ने बोरवेल की खुदाई पर बमुश्किल पर कोई सख्ती बरती होगी. नतीजा यह है कि शहर में रोजाना हज़ारों की संख्या में गैरकानूनी बोरवेल खोदे जा रहे हैं. आलम यह है कि भूजल स्तर यानी ज़मीन के नीचे का पानी और नीचे जाता जा रहा है, और स्थित यह है कि बेंगलुरु में ग्राउंडवॉटर लेवल चिंताजनक स्तर पर आ पहुंचा है. कर्नाटक भूजल प्राधिकरण (केजीडब्ल्यूए) शहर और राज्य के अन्य हिस्सों में बोरवेल की वास्तविक संख्या की जांच करने के लिए आधिकारिक एजेंसी है. लेकिन दिशानिर्देशों और शक्तियों की कमी ने इसके संचालन को पंगु बना दिया है. लघु सिंचाई विभाग के एक वरिष्ठ इंजीनियर बेबसी के सुर में कहते हैं कि ज्यादातर बोरवेल सिंचाई और घरेलू इस्तेमाल के लिए होते हैं. बेंगलुरु में ज़मीन के नीचे के पानी के अत्यधिक दोहन को देखते हुए हमें कम से कम कुछ सालों तक बोरवेल खुदाई की अनुमति नहीं देनी चाहिए. लेकिन अगर हमने थोड़ी भी सख्ती बरती तो टकराव की स्थिति पैदा हो जाती है. आंकड़े नहीं खाते मेल दिलचस्प बात है कि केजीडब्ल्यूए और ऊर्जा विभाग में जो पंजीकृत बोरवेल की संख्या है वह मेल ही नहीं खाती है. ऊर्जा विभाग के मुताबिक कर्नाटक में करीब 32.5 लाख बोरवेल हैं वहीं केजीडब्ल्यूए के हिसाब से बोरवेल की संख्या महज 14,240 है. इससे ज्यादा हैरान यह बात करती है कि शहर का भूजल स्तर जरूरत से ज्यादा कम है. इस हकीकत से वाकिफ होते हुए भी सरकार कई बार विभिन्न योजनाओं के तहत बोरवेल खुदवाने की अनुमति प्रदान करती है. बोरवेल पर कोई निगरानी नहीं केजीडब्ल्यूए से प्राप्त डेटा बताता है कि बेंगलुरु अर्बन क्षेत्र में बोरवेल के लिए सबसे ज्यादा 89 अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC), इसके बाद रामनगर (63), बेंगलुरु ग्रामीण ( 33), बेल्लारी (20) और मैसुरू (19) को दिए गये हैं. अधिकारियों का कहना है कि जबसे सरकार ने कर्नाटक भूजल (विकास एवं प्रबंधन का विनियमन और नियंत्रण) अधिनियम 2011 को लागू किया है, उनके पास महज औद्योगिक और व्यवसायिक उपयोग वाले क्षेत्रों में अवैध बोरवेल की जांच करने और भूजल के लिए उद्योगों को चार्ज करने का निर्देश दिया गया है. यानि घरेलू स्तर पर धड़ल्ले से खोदे जा रहे बोरवेल पर ना कोई निगरानी है बल्कि उन्हें अनुमति भी दी जा रही है. सरकार को देना होगा ध्यान नीति कहती है कि भूजल के स्तर में खतरनाक स्तर पर आ रही कमी और पानी का दूषित होना दोनों ही बेहद चिंताजनक है. इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. बेंगलुरु वर्तमान में सभी दिशाओं में तेजी से फैल रहा है. ऐसे में सरकार को अपशिष्ट जल, सतही जल, बेसिन के बाहर जल व्यवस्था और भूजल के दोहन पर ध्यान केंद्रित करने की बेहद जरूरत है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Water CrisisFIRST PUBLISHED : August 17, 2022, 13:04 IST