गीता प्रेस के इन पुस्तकों की है सर्वाधिक डिमांड देश-विदेश से आते हैं ऑर्डर

गीता प्रेस में कुछ ऐसी पुस्तकें हैं जो, युवाओं के लिए अत्यंत मददगार है. इन पुस्तकों में सबसे महत्वपूर्ण बाल साहित्य है, जिसकी सबसे ज्यादा डिमांड रहती है. गीता प्रेस में बाल साहित्य का प्रकाशन 1937 में शुरू किया गया था. तब से अब तक इन पुस्तकों की 11 करोड़ से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं. वहीं गीता प्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी.

गीता प्रेस के इन पुस्तकों की है सर्वाधिक डिमांड देश-विदेश से आते हैं ऑर्डर
गोरखपुर. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित गीता प्रेस हिंदू धर्म के लगभग सभी धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन करता है. विशेष रूप से श्रीमद् भागवत गीता और शिव पुराण जैसी पुस्तकों की डिमांड पूरे साल बनी रहती है और उनका उत्पादन निरंतर जारी रहता है. इसके अलावा, गीता प्रेस कई नई पुस्तकों का भी प्रकाशन करता है जो युवाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होता है. इन पुस्तकों का स्तर किसी नोबल या कहानी से कम नहीं है. बच्चों को ये पुस्तकें पढ़ने के बाद संस्कारों की कोई कमी नहीं होगी और वे कई नई चीज़ें सीख सकेंगे. युवाओं के लिए भी है कई विशेष पुस्तकें गीता प्रेस में कुछ ऐसी पुस्तकें हैं जो युवाओं के लिए अत्यंत मददगार है. इन पुस्तकों में सबसे महत्वपूर्ण बाल साहित्य है, जिसकी सबसे ज्यादा डिमांड रहती है. गीता प्रेस में बाल साहित्य का प्रकाशन 1937 में शुरू किया गया था. तब से अब तक इन पुस्तकों की 11 करोड़ से अधिक प्रतियां बिक चुकी है. गीता प्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी, जबकि 1937 में पहली बार बाल साहित्य का प्रकाशन हुआ था. उसी वर्ष आदर्श भारत, प्रेम बाल शिक्षा और नारी धर्म जैसी तीन पुस्तकें प्रकाशित की गई. इसके बाद 150 से अधिक पुस्तकों का कई भाषाओं में भी प्रकाशन किया गया. युवाओं के लिए विशेष पुस्तकों में हिंदी और अंग्रेजी वर्णमाला, बालक की दिनचर्या, सिख आचरण, ऋषि-मुनियों और भक्तों की जीवनियां, गीता, रामायण और महाभारत के पात्रों पर प्रेरक कहानियां शामिल है. बाल साहित्य की है सबसे अधिक डिमांड गीता प्रेस में धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से बड़े-बुजुर्गों को सनातनी परंपरा का ज्ञान कराया जाता है. वहीं बच्चों के लिए भी साहित्य का प्रकाशन किया जाता है. बच्चों में संस्कार भरने के लिए श्री राम लीला और श्री कृष्ण लीला के अलावा उनकी ज्ञानवर्धक कहानियों का भी प्रकाशन होता है. गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल बताते हैं कि इन पुस्तकों में सबसे खास बाल साहित्य है. जिसका प्रकाशन बच्चों में संस्कार भरने के उद्देश्य से किया गया था. लोगों ने इस साहित्य को बहुत पसंद किया और पिछले कुछ सालों में बाल साहित्य की मांग में बढ़ोतरी हुई है. बच्चे और उनके अभिभावक गीता प्रेस में किताबें खरीदने के लिए पहुंचते हैं. Tags: Gorakhpur news, Local18, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : August 15, 2024, 17:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed