तो क्या नेताजी के परिवार ने मान लिया सुभाष बोस का निधन विमान हादसे में ही हुआ

18 अगस्त 1945 को तायहोकू एयरपोर्ट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विमान हादसे में निधन की बात अब तक कभी उनके परिवार ने स्वीकार नहीं किया था. इसी वजह से उनकी अस्थियां जापान से भारत लाने और उनके नाम पर भारत रत्न अवार्ड के लिए विचार करने पर भी फैमिली को एतराज था.

तो क्या नेताजी के परिवार ने मान लिया सुभाष बोस का निधन विमान हादसे में ही हुआ
हाइलाइट्स अब तक सुभाष चंद्र बोस का परिवार उन्हें विमान हादसे में मृत नहीं मानता था हालांकि नेताजी की बेटी अनिता ने हमेशा माना कि सुभाष बोस प्लेन क्रैश में ही नहीं रहे भारत सरकार ने भी आधिकारिक तौर पर उनको मृत नहीं माना है नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार ने हमेशा यही माना कि उनका निधन जापान में 18 अगस्त 1945 में विमान हादसे में हुआ ही नहीं. उनके इस रुख के कारण कई समस्याएं भी पैदा होती रहीं. उनकी अस्थियां लाने की जब भी बात चलती तब उनके परिवार का ही विरोध इस पर आ जाता. जब 1992 में उन्हें भारत रत्न अवार्ड देने पर विचार हुआ तो भी उनके परिवार को मरणोपरांत शब्द पर एतराज था. लेकिन ऐसा लगता है कि अब उनका इस बात पर एकमत हो गया है कि उनका निधन उसी हादसे में हुआ, जिसे लेकर लगातार रहस्य रहा. हालांकि उनकी बेबी अनिता बोस फॉफ पिछले कुछ सालों ने उनकी अस्थियों को भारत लाने की मांग करती रही थीं. लेकिन अब पहली बार उनके पोते ने नेताजी की अस्थियों को जापान के रेंकोजी मंदिर से लाने के लिए प्रधानमंत्री को खत लिखा है. अगर इस खत की बातों का उल्लेख करें तो बोस परिवार अब मानने लगा है कि 79 साल तक नेताजी के निधन को लेकर जो रहस्य था, उसको खत्म करके वो ये मानने को तैयार है कि उनका निधन उसी दिन विमान हादसे में हुआ, जिसकी खबर हादसे के पांच दिन बाद जापान सरकार ने जारी की थी. हालांकि इस बात को लेकर भी रहस्य था कि रैंकोजी मंदिर में रखी अस्थियां उन्हीं की हैं या किसी और की. वैसे चंद्र कुमार बोस पांच साल पहले तक ये कहते रहे थे कि अस्थियां भारत लाई जाएं और यहां लाकर उनका डीएनए टेस्ट किया जाए. हालांकि नेताजी की बेटी अनिता फॉफ कई सालों से कह रही हैं कि उनकी अस्थियां भारत लाकर गंगा में प्रवाहित की जाएं. पूर्व भाजपा नेता चंद्र कुमार बोस ने भी नेताजी के बारे में झूठी कहानियों और सिद्धांतों को समाप्त करने के लिए केंद्र की ओर से अंतिम बयान की देने को कहा है. पोते ने क्या लिखा पत्र में  चंद्र कुमार बोस ने पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा, “अब समय आ गया है कि भारत सरकार नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की पहल करे. मामले को बंद करे. सभी फाइलों (10 जांच- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय) के जारी होने के बाद यह स्पष्ट है कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को हुई थी. इसलिए जरूरी है कि भारत सरकार की ओर से अंतिम बयान दिया जाए, ताकि भारत के मुक्तिदाता के बारे में झूठी कहानियों पर विराम लग सके.” अनीता कई सालों से मांग कर रही हैं कि टोक्यो में नेताजी की जो अस्थियां मंदिर में रखी हैं, उनका डीएनए टेस्ट कराया जाए, ताकि सच्चाई सामने आए और नेताजी की आत्मा को शांति प्रदान की जा सके मृत्यु से जुड़ी कई थ्योरीज नेताजी की मृत्यु और लापता होने के बारे में कई थ्योरीज हैं.आमतौर पर माना जाता है कि 1945 में ताइपे में एक विमान दुर्घटना के तुरंत बाद बोस की मृत्यु हो गई. दूसरी थ्योरी कहती है कि उन्हें जानबूझकर जापान ने रूस की ओर जाने के लिए सेफ पैसेज दिया और दुनिया से इस बात छिपाकर उनकी मृत्यु की बात गढ़ी गई. स्तालिन राज में रूस में उन्हें पकड़ लिया गया. जेल में रखा गया. हत्या कर दी गई. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्रकुमार बोस पांच साल पहले तक तोक्यो के रैंकोजी मंदिर में रखी अस्थियों का डीएनए टेस्ट कराने की मांग करते थे. परिवार इन अस्थियों को नेताजी की मानता ही नहीं था. कुछ साल पहले केंद्र सरकार ने नेताजी से संबंधित करीब 300 फाइलों को क्लासीफाइड किया. कुछ फाइलें अब भी बची हैं. इसके बावजूद पता नहीं चला कि 18 अगस्त 1945 को तायहोकु में हुए हवाई हादसे के बाद क्या वाकई वो जिंदा थे. भारत में इसकी जांच को लेकर तीन आयोग बन चुके हैं. क्या कहती रही है जांच आयोगों की रिपोर्ट  पहले दो आयोगों का कहना है कि नेताजी का निधन 18 अगस्त 1945 को ताइवान के तायहोकु एयरपोर्ट पर हो चुका है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मनोज मुखर्जी जांच आयोग ने इससे एकदम उलट रिपोर्ट दी. उसके बाद से ही नेताजी की जापान के मंदिर में रखी अस्थियों की डीएनए जांच का मुद्दा तूल पकड़ता रहा. मुखर्जी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि नेताजी का निधन तायहोकु में 18 अगस्त 1945 में नहीं हुआ था. आयोग ने रैंकोजी मंदिर में रखी अस्थियों को किसी अन्य ताइवानी सैनिक की अस्थियां बताया. सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर नेताजी सुभाष बोस की अस्थियां जापान से भारत लाने की मांग की है. (इंस्टाग्राम) सुभाष के बड़े भाई क्या मानते थे सुभाष के बड़े भाई शरत बोस नहीं मानते थे कि उनके भाई का निधन हो चुका है. पहली बार गठित किए गए शाहनवाज खान जांच आयोग में सुभाष के बड़े भाई शरत चंद्र बोस को शामिल किया गया था लेकिन उन्होंने भी शाहनवाज कमीशन की रिपोर्ट से असहमति जताकर अपनी अलग रिपोर्ट जारी की. उन्होंने कहा कि सुभाष का निधन तायहोकु में विमान हादसे में नहीं हुआ. लेकिन शरत के बेटे शिशिर की पत्नी कृष्णा बोस का कहना है कि उन्हें जो जानकारी है, उसके अनुसार नेताजी का निधन उसी हादसे में हो चुका है. बड़े भाई के बेटे ने भी माना निधन हवाई हादसे में नहीं हुआ चंद्र कुमार बोस नेताजी के पोते हैं, वो शरत चंद्र बोस के सबसे बड़े बेटे अमीय नाथ बोस की संतान हैं. अमीय ने भी कभी नहीं माना कि नेताजी उस हादसे में मरे हैं. कुछ समय पहले तक चंद्रकुमार भी अपने पिता के रुख पर कायम थे. अब लगता है कि उनका विचार बदल गया है. अब पोता और नेताजी की बेटी क्या चाहते हैं हालांकि चंद्र कुमार कई बार मांग कर चुके हैं कि नेताजी की अस्थियों की जांच कराकर पूरे मामले का पटाक्षेप किया जाए. इस मामले में नेताजी की बेटी अनीता बोस फॉफ भी उनसे सहमत हैं. सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनीता बोस फोफ अब 80 साल से ऊपर की हैं. जर्मनी में रहती हैं. नेताजी की बेटी अनिता फॉफ अब 80 साल से ऊपर की हैं. जर्मनी में रहती हैं. उन्होंने हमेशा माना कि उनके पिता का निधन विमान हादसे में ही हुआ. बेटी ने भी माना निधन हवाई हादसे में ही हुआ अनीता ने हमेशा कहा कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी या सूचना नहीं है कि उनके पिता विमान हादसे के बाद जिंदा थे. वो उन्हें मृत ही मानती हैं. वह चाहती हैं कि जापान के जिस मंदिर में उनके पिता की अस्थियां रखी हैं, उसका डीएनए टेस्ट कराकर उन्हें भारत लाया जाए. अगर ये अस्थियां उनके पिता की हैं तो वो गंगा नदी में इसका तर्पण करना चाहेंगी ताकि पिता की आत्मा को शांति मिले. दरअसल 1941 के आसपास सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी में अपनी स्टेनो रहीं एमिली शेंकल से गुप्त तौर पर शादी कर ली थी. जिनसे अनीता का जन्म हुआ. अनिता कई बार भारत आ चुकी हैं. तीन जांच आयोग  सुभाष चंद्र बोस देश में एक रहस्यपूर्ण किवंदती बन चुके हैं. जिनके निधन या जिंदा रहने को लेकर ना जाने कितनी बातें कही जाती रही हैं. इसकी जांच को लेकर तीन जांच आयोगों का गठन हुआ. दो आयोग कांग्रेस सरकारों के कार्यकाल में बने और एक जस्टिस मनोज मुखर्जी आयोग का गठन 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने किया था. पहले दो आयोगों का मानना था कि बोस का निधन हवाई हादसे में हुआ. जबकि तीसरे आयोग ने इससे साफ इनकार कर दिया. मुखर्जी आयोग ने तो टोक्यो के मंदिर में रखी अस्थियों पर ही सवाल उठा दिया. अस्थियों के तोक्यो तक पहुंचने की कहानी बोस की अस्थियों के तायहोकू के हवाई दुर्घटना हादसा स्थल से टोक्यो पहुंचने की भी एक कहानी है. अगर शाहनवाज रिपोर्ट की बात करें तो इसके अनुसार, 20 अगस्त को तायहोकू के होंगाजी मंदिर के पीछे पूरे सैन्य सम्मान के बीच नेताजी का अंतिम संस्कार किया गया. ये काम मंदिर के बौद्ध पुजारी की देखरेख में हुआ. अगले दिन शवदाह गृह से अस्थियां एक लकड़ी के बॉक्स में इकट्ठी की गईं. रिपोर्ट कहती है कि एक फुट क्यूबिक के इस लकड़ी के बॉक्स को सफेद कपड़े में लपेट कर एक हफ्ते तक वहीं मंदिर में रखा गया. फिर इसे विमान और रेल मार्ग के जरिए टोक्यो पहुंचाया गया. जब अस्थियां टोक्यो पहुंचीं तो एक जुलूस निकालकर और धार्मिक संस्कारों के बीच इसे रैंकोजी मंदिर में स्थापित कर दिया गया. तब ये अस्थियां उसी मंदिर में हैं. भारत सरकार ने अब तक नहीं माना है मृत इन अस्थियों को कई बार भारत में लाने की मांग होती रही हैं. लेकिन वैधानिक दिक्कत ये भी है कि भारत सरकार ने अब तक नेताजी सुभाष को मृत नहीं माना है. नेताजी की बेटी को लगता है कि पिछली सरकारों को कुछ ऐसे लोग थे जो नेताजी को लेकर कभी हल तलाशना ही नहीं चाहते थे. वो चाहते थे कि ये रहस्य बना रहे. Tags: Netaji subhas chandra bose, Subhash Chandra Bose, Subhash Chandra Bose BirthdayFIRST PUBLISHED : July 30, 2024, 20:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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