34 साल पहले कैसे शुरू हुई ममता बनर्जी और लेफ्ट की दुश्मनी 18 साल निभाई कसम
34 साल पहले कैसे शुरू हुई ममता बनर्जी और लेफ्ट की दुश्मनी 18 साल निभाई कसम
सीपीएम का एक कार्यकर्ता लालू आलम हाथ में लाठी लिए रैली को लीड कर रही महिला की तरफ बढ़ा और सिर पर वार कर दिया. महिला का सिर फट गया. सफेद साड़ी खून से लाल हो गई. वह महिला ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) थीं.
लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट से ठीक पहले ममता बनर्जी ने CPM को निशाने पर लिया है. ममता ने कहा कि अगर सीपीएम दखलअंदाजी छोड़ दे तो उन्हें इंडिया गठबंधन से कोई समस्या नहीं है. ममता ने सवाल किया कि आखिर सीपीएम, इंडिया गठबंधन का प्रवक्ता क्यों बन गया है? कुछ वक्त पहले ही ममता ने लेफ्ट की तुलना आतंकवादी से की थी.
आखिर ममता बनर्जी क्यों सीपीएम को अपना जानी दुश्मन मानती हैं? इसकी शुरुआत 34 साल पहले एक ऐसी घटना से हुई, जिसमें ममता की जान जाते-जाते बची थी.
जब खून से भीग गई ममता की साड़ी
तारीख 16 अगस्त, साल 1990. कोलकाता की सड़कों पर लगभग सन्नाटा पसरा था. दुकानें बंद थीं. सड़क पर इक्का-दुक्का गाड़ियां नजर आ रही थीं. उस दिन कांग्रेस ने पूरे बंगाल में बंद का ऐलान किया था. कांग्रेसी कार्यकर्ता सीपीएम सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए थे. दक्षिणी कोलकाता के हाजरा इलाके में कांग्रेस की रैली की अगुवाई सफेद सूती साड़ी और हवाई चप्पल पहने एक महिला कर रही थी. जो पार्टी की फायर ब्रांड नेता कही जाती थी.
करीबियों ने छोड़ दी थी बचने की उम्मीद
कांग्रेस की रैली जैसे ही हाजरा के बीचो-बीच पहुंची, अचानक सीपीएम के कार्यकर्ताओं से भिड़ंत हो गई. सीपीएम का एक कार्यकर्ता लालू आलम हाथ में लाठी लिए रैली को लीड कर रही महिला की तरफ बढ़ा और सिर पर वार कर दिया. महिला का सिर फट गया. सफेद साड़ी खून से लाल हो गई. वह महिला ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) थीं.
यहीं से दुश्मनी की शुरुआत
सुतपा पॉल अपनी किताब, ‘दीदी: द अनटोल्ड ममता बनर्जी’ (Didi: The Untold Mamata Banerjee) में लिखती हैं कि ममता बनर्जी को इतनी तेज लाठी लगी थी कि उनकी खोपड़ी चटक गई. ममता के करीबियों को लगने लगा कि उनका बचना मुश्किल है, लेकिन उन्हें कुछ नहीं हुआ. अस्पताल से छुट्टी मिलते ही ममता बनर्जी फिर सिर पर पट्टी बांधकर सड़क पर उतर गईं. 1990 की इस घटना से एक तरीके से ममता बनर्जी और सीपीएम की दुश्मनी शुरू हुई. 3 साल बाद साल 1993 में ममता बनर्जी के साथ एक और वाकया हुआ. जिससे सीपीएम उनका जानी दुश्मन बन गया.
राइटर्स बिल्डिंग से घसीटकर निकाला
जनवरी 1993 में नदिया जिले में एक मूक बधिर लड़की के साथ रेप की खबर आई. ममता बनर्जी उस वक्त कांग्रेस की यूथ विंग की अध्यक्ष हुआ करती थीं. वह पीड़िता को लेकर सचिवालय की राइटर्स बिल्डिंग पहुंच गईं और मुख्यमंत्री ज्योति बसु के चेंबर के बाहर धरने पर बैठ गईं. ममता बार-बार कह रही थीं कि आरोपी ज्योति बसु की पार्टी सीपीएम के कार्यकर्ता हैं, इसलिए मुख्यमंत्री उन्हें बचा रहे हैं. बनर्जी ने कहा कि जब तक CM उनसे नहीं मिलेंगे, तब तक वह राइटर्स बिल्डिंग से नहीं हटेंगी.
सुरक्षा कर्मी ममता को बार-बार मुख्यमंत्री के चेंबर से हटने को कह रहे थे लेकिन वह टस से मस नहीं हुईं. अचानक दर्जनों महिला पुलिसकर्मी बिल्डिंग में घुसीं और ममता बनर्जी को सीढ़ियों से घसीटते हुए नीचे उतार लिया. ममता के कपड़े फट गए. उन्हें जबरन जीप में डालकर लाल बाजार थाने ले जाया गया.
दीदी की वो कसम, जो 18 साल तक निभाई
डोला मित्रा अपनी किताब ”डिकोडिंग दीदी” में लिखती हैं कि ममता बनर्जी ने उस दिन कसम खाई कि अब जब तक वह मुख्यमंत्री नहीं बनेंगी, तब तक फिर कभी राइटर्स बिल्डिंग में कदम नहीं रखेंगी. उन्होंने 18 साल तक अपनी कसम निभाई. साल 2011 में जब मुख्यमंत्री बनीं तब राइटर्स बिल्डिंग में गईं. ममता बनर्जी और सीपीएम के बीच कैसी दुश्मनी है, इसको इस बात से समझ सकते हैं कि ज्योति बसु जब तक जिंदा रहे, उन्होंने कभी सार्वजनिक तौर पर ममता का नाम नहीं लिया. अपनी रैलियों और सभाओं में वह ममता बनर्जी को ”वह महिला” कहकर संबोधित किया करते थे.
Tags: 2024 Loksabha Election, INDIA Alliance, Loksabha Election 2024, Mamta BanerjeeFIRST PUBLISHED : June 3, 2024, 17:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed