धार्मिक आयोजनों में ही क्यों ज्यादा भगदड़ महिलाएं होती हैं ज्यादा शिकार
धार्मिक आयोजनों में ही क्यों ज्यादा भगदड़ महिलाएं होती हैं ज्यादा शिकार
हाथरस में एक धार्मिक आयोजन के दौरान बड़ी भगदड़ के बाद जबरदस्त हादसा हो गया. इसमें बड़ी संख्या में मौत होना बताया जा रहा है. ज्यादातर हादसे की शिकार महिलाएं हैं. जानते हैं क्यों महिलाएं ऐसे मामलों में ज्यादा मरती हैं.
हाइलाइट्स ज्यादातर हादसे धार्मिक आयोजनों में हादसे की वजह मूलभूत नियमों और प्रावधानों की अवहेलना महिलाएं हमेशा ऐसे हादसों में ज्यादा शिकार होती हैं
हाथरस के सिकंदराराऊ में बाबा नारायण साकार हरि भोला के एक सत्संग में मची भगदड़ में 27 लोगों की मौत हो गई. जिसमें ज्यादातर महिलाएं हैं. हमारे देश में अक्सर धार्मिक आयोजन में भगदड़ के दौरान बड़े पैमाने पर मौते होती रही हैं. आखिर क्या होती हैं इनकी वजहें और क्यों ज्यादातर महिलाएं ही इसका शिकार बनती हैं.
– वर्ष 2015 में आंध्र प्रदेश के गोदावरी पुष्करम में मंगलवार को धार्मिक स्नान उत्सव के दौरान मची भगदड़ में कम से कम 29 लोगों की मौत हो गई. ये हादसा तब हुआ जब कुछ तीर्थयात्री नदी की ओर दौड़ते समय गिरे अपने जूते उठाने की कोशिश कर रहे थे.
– 2014 में मुंबई में भगदड़ में 18 लोग मारे गए, जब श्रद्धालु दाऊदी बोहरा समुदाय के आध्यात्मिक नेता को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र हुए थे. स्थानीय पुलिस के अनुसार, इलाके की गलियां बहुत संकरी थीं. अप्रत्याशित रूप से बड़ी भीड़ जमा हो गई.
– मध्य प्रदेश में रतनगढ़ माता मंदिर के पास एक पुल के ढह जाने की अफवाह के बाद मची भगदड़ में 110 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी, जो कि हिन्दू त्यौहार नवरात्रि के दौरान हुआ.
– वर्ष 2013 में इलाहाबाद कुंभ के दौरान ट्रेन का इंतजार करते हुए श्रृद्धालुओं रेलवे स्टेशन में मची भगदड़ में 35 लोगों की मौत हो गई.
– 14 फरवरी 1954 को प्रयागराज (उस समय के इलाहाबाद) में प्रयाग कुंभ के दौरान भगदड़ मचने से 500 लोगों की मौत हो गई थी.
धार्मिक उत्सवों में अक्सर भगदड़ होती है और इसके चलते मौतें भी, जो बड़ा सवाल खड़ा करती हैं. आखिर भगदड़ क्यों होती है. क्या इसका कोई खास पैटर्न है.
80 फीसदी भगदड़ के हादसे धार्मिक सभाओं में
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2000 से 2013 तक, भगदड़ में लगभग 2,000 लोग मारे गए. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (आईजेडीआरआर) द्वारा प्रकाशित 2013 के एक अध्ययन से पता चलता है कि भारत में 79 फीसदी भगदड़ धार्मिक सभाओं और तीर्थयात्राओं के कारण होती हैं. भारत और अन्य विकासशील देशों में भीड़-भाड़ से जुड़ी अधिकांश दुर्घटनाएं धार्मिक स्थलों पर होती हैं.
धार्मिक सभाओं में भगदड़ में ज्यादा मौतें क्यों होती हैं
– अक्सर ये सभाएं ऐसी जगह होती हैं, जहां से निकलने का केवल एक रास्ता होता है और वो भी संकरा. अधिकांश धार्मिक उत्सव नदियों के किनारे, पहाड़ी इलाकों या पर्वत शिखरों जैसे क्षेत्रों में मनाए जाते हैं. इन क्षेत्रों में उचित मार्ग नहीं हैं, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए जोखिम पैदा होता है.
भगदड़ कई कारणों से हो सकती है। इनमें से कुछ खतरे इस प्रकार हैं:
– अधिक क्षमता
– भीड़ पर खराब नियंत्रण
– खराब तरीके से चुना गया कार्यक्रम स्थल, जिनमें कोई स्पष्ट निकास मार्ग नहीं
– संकीर्ण स्थान
– खतरनाक संरचनाएं
क्या इसके पीछे प्रबंधन की कमी जिम्मेदार होती हैं
– आमतौर पर धार्मिक सभाओं और आय़ोजनों ने मंजूरी तभी मिलती है, जबकि निकास की व्यवस्था समुचित हो. कई निकास द्वार हों और हर निकास द्वार बड़ा और चौड़ा हो.
आमतौर धार्मिक आयोजनों के आयोजकों, आयोजन स्थल के मालिकों और राज्य प्रशासन को भीड़ की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार माना जाता है, विशेषज्ञों का कहना है कि उचित भीड़ प्रबंधन प्रणाली की कमी से ऐसी आपदाएं होती हैं.
क्या भीड़ की भी सीमा तय होती है या भीड़ के हिसाब आयोजन स्थल बड़ा होना चाहिए
भारत में धार्मिक आयोजनों में आमतौर पर खासी भीड़ होती है. भगदड़ और भीड़ के घनत्व में एक अनुपात जरूर होता है. आमतौर पर प्रति वर्गमीटर में ज्यादा से ज्यादा 05से ज्यादा लोग नहीं होने चाहिए लेकिन हमारे यहां आयोजनों में प्रति वर्ग मीटर भीड़ की संख्या 10 तक पहुंच जाती है, जो हाथरस में भी हुई. यहां भी निकास द्वार केवल एक ही था वो भी छोटा.
– अमेरिका में एक वर्ग मीटर में आप 5 से ज़्यादा लोगों को समायोजित नहीं कर सकते लेकिन भारत में ये आराम से होता है. जब भीड़ बढ़ती जाती है तो हालात बेकाबू हो जाते हैं.
हादसे की शुरुआत कैसे होती है
ऐसे मामलों में ज़्यादातर ट्रिगर मनोवैज्ञानिक होता है – जैसे भीड़ में अफ़वाह फैलना, या तेज़ आवाज़ या किसी व्यक्ति का फिसल जाना. पहले से ही संकरी जगह में और घबराए हुए लोग एक-दूसरे को धक्का देना शुरू करना. इंडियन सोसाइटी फॉर एप्लाइड बिहेवियरल साइंस के अध्यक्ष गणेश अनंतरामन कहते हैं, “भौतिक बुनियादी ढांचे की कमी से भीड़ का व्यवहार और भी खराब हो जाता है और ख़तरे की भावना बढ़ जाती है.”
दिल्ली में विद्यासागर इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ, न्यूरो एंड एलाइड साइंसेज के पूर्व क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. पुलकित शर्मा कहते हैं, “घबराहट की ऐसी स्थितियों में हर किसी के दिमाग में यह अलार्म बजता है कि कोई खतरा है. ज़्यादातर लोगों को यह भी नहीं पता होता कि खतरा वास्तविक है या नहीं और क्या यह उन्हें प्रभावित करेगा. हर कोई अपने और अपने परिवार के बारे में चिंतित है और इसलिए स्वार्थी हो जाता है. बाकी सभी को सिर्फ़ एक वस्तु और बाधा के रूप में देखता है.”
पुलिस का एक्शन क्यों दिक्कत करता है
अनियंत्रित लोगों के एक समूह पर प्रतिक्रिया करते हुए पुलिस अक्सर आने वाली भीड़ को विपरीत दिशा में खदेड़ती, जिससे टकराव हो सकता है.
महिलाएं क्यों इसका ज्यादा शिकार बनती हैं
– हाथरस हादसे में ज्यादातर मरने वाली महिलाएं हैं. ज्यादातर मामलों में ऐसा ही होता है
– महिलाएं ज्यादा धार्मिक होती हैं तो ऐसे आयोजनों में ज्यादा पहुंचती हैं
– भागदौड़ में वह शारीरिक तौर उतनी मजबूत नहीं होतीं
– भारतीय महिलाओं की साड़ियां भी उनके भागने में रुकावट पैदा करती हैं
– महिलाओं में घबराहट की मात्रा भी तुरंत बहुत बढ़ जाती है, जिससे उन्हें हार्ट अटैक हो सकता है या दम घुट सकता है
– अक्सर महिलाएं भागते लोगों के पैरों के नीचे आकर कुचले जाती हैं.
– मौत का सबसे आम कारण कंप्रेसिव एस्फिक्सिया है, जो ऐसी स्थिति में महिलाओं के लिए खतरनाक तौर पर बढ़ जाती है.
– महिलाओं का शरीर आमतौर पर छोटा होता है और उनकी छाती के ऊपरी हिस्से में ज़्यादा वज़न होता है. अगर भगदड़ के दौरान वहां दबाव पड़ता है. इसका असर उनके लिए खतरनाक होता है.
शरीर भगदड़ के समय किस तरह प्रतिक्रिया करता है
– भगदड़ के दौरान, भीड़ में फंसे लोग एक-दूसरे से टकराते हैं. इसका मतलब है कि हिलने-डुलने के लिए कोई जगह नहीं है. यह श्वसन के लिए जिम्मेदार एक प्रमुख मांसपेशी, डायाफ्राम को सिकुड़ने (कसने) और सपाट होने (ढील देने) से रोकता है, जिसका अर्थ है कि हवा फेफड़ों में प्रवेश नहीं कर सकती या बाहर नहीं निकल सकती.
जब ऐसा होता है, तो यह जल्दी ही कार्बन डाइऑक्साइड के निर्माण और ऑक्सीजन की कमी के साथ कंप्रेसिव एस्फिक्सिया की ओर ले जा सकता है. मानव शरीर लंबे समय तक ऑक्सीजन के बिना काम नहीं कर सकता है क्योंकि इससे जल्दी ही अंग विफलता और मस्तिष्क की मृत्यु हो सकती है.
Tags: Hathras Case, Hathras news, Hathras News TodayFIRST PUBLISHED : July 2, 2024, 17:42 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed