मुस्लिम के साथ राजपूत भी कैसे हैं पाकिस्तान ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता अशरफ नदीम
मुस्लिम के साथ राजपूत भी कैसे हैं पाकिस्तान ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता अशरफ नदीम
पेरिस ओलंपिक में जैवलीन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतने वाले अशरफ नदीम का परिवार मुस्लिम होने के बाद भी सुखेरा राजपूत मानता है. बड़ी संख्या में पाकिस्तान में ऐसे राजपूत मिल जाएंगे.
हाइलाइट्स सुखेरा राजपूत सदियों पहले हिंदू राजपूत ही थे मुगलों के आने के बाद कई वजहों से उन्होंने धर्मांतरण कर लिया अब भी मुस्लिम सुखेरा राजपूतों के बहुत रीतिरिवाज राजपूतों जैसे ही
पेरिस ओलंपिक में करीब 92 मीटर तक भाला फेंक कर गोल्ड मेडल जीतने वाले पाकिस्तान के अरशद नदीम पाकिस्तान में सुखेरा राजपूत कम्युनिटी से ताल्लुक रखते हैं. यानि अरशद मुस्लिम तो हैं लेकिन उनका कुनबा शान से खुद को राजपूत भी कहता है. क्या है इसकी वजह. इसको हम आगे जानेंगे. पंजाब में वह मियां चानु के रहने वाले हैं. उनके सुखेरा राजपूत वंश को सुखेड़ा भी कहा जाता है.
सुखेरा एक पंजाबी मुस्लिम सामाजिक समूह और उपनाम है जिसकी उत्पत्ति पंजाब, पाकिस्तान में हुई थी. वे तोमर राजपूतों की एक शाखा हैं. सुखेरा साहू, हिंजराओं और चोटिया या भानेका के साथ पछाड़ा की चार उप-जनजातियों में एक हैं. हर उप जाति खुद के प्रसिद्ध राजपूत कुलों के अंश होने का दावा करते हैं.
कई लोग अब भी हरियाणवी भाषा बोलते हैं. पूरी तरह से सुन्नी हैं. उनके रीति-रिवाज पाकिस्तान में बसे अन्य हरियाणवी मुसलमानों जैसे रंगहर और मेव के समान हैं.
इस्लाम तो कबूला लेकिन राजपूत पहचान भी बनाकर रखी
सुखेरा राजपूत वंश या सुखेड़ा दरअसल भारत में बड़े राजपूत समुदाय की एक शाखा है. उन्हें डोडिया राजपूत राजवंश के हिस्से के रूप में पहचाना जाता है, विशेष रूप से पुरावत कबीले के भीतर. सैकड़ों साल पहले इस राजपूत समुदाय के लोगों ने इस्लाम धर्म जरूर कबूल कर लिया लेकिन अपनी इस पहचान को बनाकर रखा. भारतीय उपमहाद्वीप मे्ं मुस्लिम राजपूतों की आबादी अच्छी खासी है. (न्यूज18)
पाकिस्तान के बहुत से मुस्लिम खुद को सुखेरा राजपूत ही बताते हैं. इसी वजह से सुखेरा कहलाते हैं. अरशद भी इसी से हैं. उनका परिवार गर्व से खुद को सुखेरा कहता है. ये समुदाय अपनी उत्पत्ति रावत प्रताप सिंह डोडिया से मानते हैं, जो सुखेरा राजपूत राजवंश के पहले रावत थे, जिन्होंने इस वंश की स्थापना की.कबीले के बाद के प्रमुखों ने अन्य शाही परिवारों के साथ विवाह और गठबंधन से अपने असर को बनाकर रखा.
इन राजपूतों ने कब धर्मांतरण शुरू किया
सुखेरा राजपूतों का इस्लाम में रूपांतरण मध्यकाल में तब हुआ जब मुगल बादशाह देश में राज करते थे. भारत में मुस्लिम शासन की लंबी अवधि के दौरान 12वीं शताब्दी के बाद सुखेरा वंश सहित कई राजपूतों ने इस्लाम में परिवर्तित होना शुरू कर दिया. ये रूपांतरण कई वजहों से हुआ था.
क्या थी इसकी वजह
मुस्लिम शासन की स्थापना के साथ देश में नई सामाजिक संरचनाएं बनने लगीं, बहुत से ऐसे राजपूतों ने राजनीतिक और आर्थिक लाभ के लिए धर्म बदलकर खुद को मुस्लिम बना दिया. कुछ राजपूतों ने खुद शासक शक्तियों के करीब आने के लिए धर्म परिवर्तन किया. कुछ ने इसलिए धर्म बदला क्योंकि हिंदू समाज की कठोर जाति के ऊंच नीच से बचना चाहते थे. मुगल दौर में मुस्लिम राजपूतों को काफी अहम स्थिति प्रशासन से लेकर सेना तक में हासिल थी.
हिंदू रीति-रिवाजों और पहचान को भी बरकरार रखा
बहुत से राजपूतों ने इस्लाम को स्वीकार करने के बाद भी अपने हिंदू रीति-रिवाजों और पहचान को बरकरार रखा. जो आज भी यहां जारी है. इसके जरिए वो अपने कबीले की पहचान भी बनाए रखते हैं.
कई राजपूत कुलों ने इस्लाम को अपनाया
पंजाब और सिंध के कुछ हिस्सों में, सुखेरा सहित कई राजपूत कुलों ने इस्लाम अपनाया, जिससे इन क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण मुस्लिम राजपूत आबादी बढ़ गई. इस रूपांतरण के बाद भी उन्होंने अपनी राजपूत विरासत को खत्म नहीं किया, वे अक्सर अपने वंश और सामाजिक रीति-रिवाजों को संरक्षित करते हुए मुस्लिम राजपूतों के रूप में पहचाने जाते थे और आज भी उनके साथ वैसा ही है.
सुखेरा को एक पंजाबी सामाजिक समूह के रूप में मान्यता प्राप्त है. उनका रूपांतरण पंजाब में राजपूतों के बीच व्यापक प्रवृत्ति को दर्शाता है, जहां सदियों से कई कुलों ने इस्लाम में परिवर्तन किया है. सुखेरा के धर्म परिवर्तन के विशिष्ट कारणों में स्थानीय ऐतिहासिक घटनाएं, मुस्लिम शासकों के साथ बातचीत और उस समय की सामाजिक-राजनीतिक स्थितियां भी इसके लिए जिम्मेदार रहीं.
क्या है मुस्लिम सुखेरा राजपूत और हिंदू राजपूत में एक जैसा
मुस्लिम सुखेरा राजपूत और हिंदू राजपूत एक समान वंश साझा करते हैं, हालांकि समय के साथ अलग धार्मिक प्रथाओं के कारण उनके रीति-रिवाज भी कुछ बदलते चले गए और कुछ वही रह गए. दोनों के बीच अब क्या अंतर है, जानते हैं
इस्लामी आस्था- मुस्लिम सुखेरा राजपूत इस्लामी शिक्षाओं का पालन करते हैं, जिससे उनकी रोजाना की पूजा, अनुष्ठान और त्योहार प्रभावित होते हैं. वे अब ईद मनाते हैं.
खानपान – बहुत से हिंदू राजपूत शाकाहारी भोजन ही खाते हैं लेकिन मुस्लिम सुखेरा राजपूत आमतौर पर मांस का सेवन करते हैं, लेकिन इस्लामी आहार कानूनों का पालन करते हुए आमतौर पर गोमांस और सूअर का मांस खाने से बचते हैं.
पर्दा प्रथा – दोनों समूह पर्दा (महिलाओं को एकांत में रखना) का अभ्यास करते रहे हैं. मुस्लिम सुखेरा राजपूत अक्सर इस्लामी परंपरा के हिस्से के रूप में इस प्रथा का सख्ती से पालन करते हैं. जबकि राजपूतों में ये प्रथा उतनी सख्त नहीं रह गई.
विवाह प्रथाएं – विवाह रीति-रिवाज काफी भिन्न हो सकते हैं, मुस्लिम सुखेरा राजपूत इस्लामी विवाह संस्कार का पालन करते हैं, जिसमें निकाह समारोह भी शामिल है, जबकि हिंदू राजपूतों के अपने पारंपरिक हिंदू विवाह अनुष्ठान होते हैं
सांस्कृतिक पहचान- इस्लाम में रूपांतरण के बावजूद, कई मुस्लिम सुखेरा राजपूतों ने अपनी हिंदू विरासत के तत्वों, जैसे कुछ रीति-रिवाजों और सामाजिक प्रथाओं को बरकरार रखा है. उदाहरण के लिए कुछ लोग अभी भी हिंदू सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और हिंदू प्रतीकों को बनाए रखते हैं.
सामुदायिक संबंध – धार्मिक मतभेदों के बावजूद, मुस्लिम और हिंदू राजपूतों दोनों के बीच सहयोग और साझा पहचान के उदाहरण हैं, विशेष रूप से सम्मान और सामुदायिक रक्षा के मामलों में.
राजपूत कुलों की तरह, मुस्लिम सुखेरा राजपूत भी वीरता, शूरता और सम्मान की मजबूत भावना के लिए जाने जाते हैं. वे ऐतिहासिक रूप से अपने क्षेत्रों के प्रशासन और सैन्य सेवा में शामिल रहे हैं.
भारत में भी मुस्लिम राजपूत
मुस्लिम राजपूत केवल पाकिस्तान ही नहीं बल्कि भारत में भी बड़ी संख्या में हैं. उन्होंने भारत में मध्यकाल के दौरान हिंदू धर्म से इस्लाम धर्म अपना लिया लेकिन अपने उपनाम बरकरार रखे. हिंदू धर्म से इस्लाम में धर्मांतरण के बाद भी राजपूतों ने अपनी कई हिंदू रीति-रिवाजों को कायम रखा. पाकिस्तान में इनकी संख्या 1.6 करोड़ के आसपास है तो भारत में 29 लाख के करीब. बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका में भी उनकी रिहाइश है.
Tags: India and Pakistan, MuslimFIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 15:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed