भतृहरि को प्रोटेम स्पीकर बनाने पर क्यों भड़की कांग्रेस क्या रही परंपरा

Pro Tem Speaker: भर्तृहरि महताब को लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष यानी प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है. इस पर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्यों आठवी बार सांसद बने के. सुरेश की अनदेखी की गई. जबकि परंपरा के मुताबिक वह सबसे वरिष्ठ सांसद हैं. क्यों भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाने के लिए संसदीय मर्यादाओं का पालन नहीं किया गया.

भतृहरि को प्रोटेम स्पीकर बनाने पर क्यों भड़की कांग्रेस क्या रही परंपरा
भर्तृहरि महताब (Bhartruhari Mahtab) को लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष यानी प्रोटेम स्पीकर (Protem Speaker) नियुक्त करने पर कांग्रेस ( Congress) भड़क गई है. कांग्रेस ने भर्तृहरि महताब की नियुक्ति को परंपरा का उल्लंघन बताते हुए सवाल उठाए हैं. लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा. नवनिर्वाचित सांसद 24-25 जून को शपथ लेंगे, जबकि लोकसभा अध्यक्ष यानी स्पीकर (Lok Sabha Speaker) का चुनाव 26 जून को होना है. चुनाव में जीतकर आए सभी सांसदों को भर्तृहरि महताब ही शपथ दिलवाएंगे. यानी स्पीकर का चुनाव होने तक सातवीं बार सांसद बने  भारतीय जनता पार्टी (BJP) के भर्तृहरि महताब पीठासीन अधिकारी के रूप में काम करेंगे. भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने पर कांग्रेस ने संसदीय मानदंडों को नष्ट करने का आरोप लगाया है. क्योंकि अभी तक परिपाटी यही है कि सबसे अनुभवी सांसद को ही प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी दी जाती रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने ऐसा करके कांग्रेस के सबसे अनुभवी और आठ बार के सांसद के. सुरेश ((Kodikunnil Suresh) की अनदेखी की है. ये भी पढ़ें- इंडिया गठबंधन ने चली यह चाल तो आजादी के बाद पहली बार होगा स्पीकर का चुनाव  केसी वेणुगोपाल ने एक्स पर क्या लिखा केसी वेणुगोपाल ने एक्स पर लिखा, “ संसदीय मानदंडों को नष्ट करने का एक और प्रयास. सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को के. सुरेश की जगह प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है. के. सुरेश अपने 8वें कार्यकाल में प्रवेश करेंगे. यह एक निर्विवाद मानदंड है कि अध्यक्ष के विधिवत चुनाव से पहले सबसे वरिष्ठ सांसद सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता करता है. यह हमारी पार्टी के लिए बेहद गर्व की बात है कि समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्ग के नेता के. सुरेश ने 8वीं बार सांसद बनने की यह उपलब्धि हासिल की है. सरकार को यह बताना चाहिए कि उसने के. सुरेश को नज़रअंदाज क्यों किया, वह कौन सा कारक था जिसने उन्हें इस पद के लिए अयोग्य ठहराया? क्या इस निर्णय को प्रभावित करने वाले योग्यता और वरिष्ठता से परे कुछ गहरे मुद्दे हैं?” In yet another attempt at destroying parliamentary norms, Mr. Bhartruhari Mahtab (a 7-term MP) has been appointed the Pro-Tem Speaker, superseding Sh. @kodikunnilMP, who will be entering his 8th term. It is an unquestioned norm that the senior most MP presides over the… — K C Venugopal (@kcvenugopalmp) June 20, 2024

प्रोटेम स्पीकर को लेकर क्या कहता है संविधान
भारत के संविधान में संसद में प्रोटेम स्पीकर जैसे पद की कोई व्यवस्था नहीं दी गई है. प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति अस्थायी तौर पर तब तक के लिए होती है, जब तक स्पीकर नहीं चुन लिया जाता है, जो स्थायी पद है. संविधान भले ही प्रोटेम स्पीकर के पद के बारे में कुछ नहीं कहता हो, लेकिन संसदीय कार्य मंत्रालय की आधिकारिक पुस्तिका में  उनकी नियुक्ति और शपथ ग्रहण के बारे में बताया गया है. ‘प्रो-टेम’ (Pro-tem) शब्द लैटिन के प्रो-टेम्पोर से आया है, जिसका मतलब होता है ‘अस्थायी रूप से’ या ‘अस्थायी’.

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कैसे होता प्रोटेम स्पीकर का चुनाव
संसदीय कार्य मंत्रालय की आधिकारिक पुस्तिका के अनुसार जब नई लोकसभा से पहले स्पीकर का पद खाली हो जाता है, “तो स्पीकर का कर्तव्य एक वरिष्ठतम सदस्य द्वारा निभाया जाता है. उस सदस्य को राष्ट्रपति द्वारा प्रोटेम स्पीकर के तौर पर नियुक्त किया जाता है. आमतौर पर सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य इस पद के लिए चुने जाते हैं. आधिकारिक पुस्तिका के अनुसार देखा जाए तो  इस बार  प्रोटेम स्पीकर कांग्रेस पार्टी का बनना चाहिए था. कांग्रेस के सांसद कोडिकुनिल सुरेश 18वीं लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं. वह आठवीं बार सांसद चुने गए हैं. इस नाते प्रोटेम स्पीकर पद पर उनका वादा बनता था.

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