भतृहरि को प्रोटेम स्पीकर बनाने पर क्यों भड़की कांग्रेस क्या रही परंपरा
Pro Tem Speaker: भर्तृहरि महताब को लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष यानी प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है. इस पर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्यों आठवी बार सांसद बने के. सुरेश की अनदेखी की गई. जबकि परंपरा के मुताबिक वह सबसे वरिष्ठ सांसद हैं. क्यों भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाने के लिए संसदीय मर्यादाओं का पालन नहीं किया गया.
प्रोटेम स्पीकर को लेकर क्या कहता है संविधान
भारत के संविधान में संसद में प्रोटेम स्पीकर जैसे पद की कोई व्यवस्था नहीं दी गई है. प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति अस्थायी तौर पर तब तक के लिए होती है, जब तक स्पीकर नहीं चुन लिया जाता है, जो स्थायी पद है. संविधान भले ही प्रोटेम स्पीकर के पद के बारे में कुछ नहीं कहता हो, लेकिन संसदीय कार्य मंत्रालय की आधिकारिक पुस्तिका में उनकी नियुक्ति और शपथ ग्रहण के बारे में बताया गया है. ‘प्रो-टेम’ (Pro-tem) शब्द लैटिन के प्रो-टेम्पोर से आया है, जिसका मतलब होता है ‘अस्थायी रूप से’ या ‘अस्थायी’.
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कैसे होता प्रोटेम स्पीकर का चुनाव
संसदीय कार्य मंत्रालय की आधिकारिक पुस्तिका के अनुसार जब नई लोकसभा से पहले स्पीकर का पद खाली हो जाता है, “तो स्पीकर का कर्तव्य एक वरिष्ठतम सदस्य द्वारा निभाया जाता है. उस सदस्य को राष्ट्रपति द्वारा प्रोटेम स्पीकर के तौर पर नियुक्त किया जाता है. आमतौर पर सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य इस पद के लिए चुने जाते हैं. आधिकारिक पुस्तिका के अनुसार देखा जाए तो इस बार प्रोटेम स्पीकर कांग्रेस पार्टी का बनना चाहिए था. कांग्रेस के सांसद कोडिकुनिल सुरेश 18वीं लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं. वह आठवीं बार सांसद चुने गए हैं. इस नाते प्रोटेम स्पीकर पद पर उनका वादा बनता था.
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