कौन हैं चुनाव राजा245वां चुनाव लड़ रहे प्रियंका के खिलाफबड़े-बड़ों से हारे
कौन हैं चुनाव राजा245वां चुनाव लड़ रहे प्रियंका के खिलाफबड़े-बड़ों से हारे
Wayanad By-election2024: क्या आप चुनाव राजा को जानते हैं, जो केवल हारने के लिए खड़े होते हैं. 245 चुनावों में नोमिनेशन कर चुके हैं, इसमें राष्ट्रपति से लेकर विधानसभा तक का चुनाव है.
हाइलाइट्स 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ भी चुनाव मैदान में उतरे थे अटलबिहारी से लेकर पीवी नरसिंहराव और मनमोहन सिंह के खिलाफ लड़ चुके लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स ने पद्मराजन को "सबसे असफल उम्मीदवार" बताया है
वायनाड के लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस का प्रियंका गांधी के खिलाफ जिन 21 लोगों ने पर्चा भरा है, उसमें एक चुनावा राजा भी हैं, जो खुद को इलेक्शन किंग कहते हैं. खुद तमिलनाडु के मट्टूर में एक टायर मरम्मत की दुकान चलाते हैं. उनका दावा है कि चुनावों में जमानत जब्त कराने में जितनी मोटी रकम उन्होंने पानी में डुबाई होगी, उतनी किसी और नहीं.
भारत में कई ऐसे लोग रहे हैं, जो चुनावों में हारने के लिए ही खड़े होते थे और उन्होंने अपनी जिंदगी में 2-4 नहीं बल्कि 100-200 से ज्यादा चुनाव लड़े. ऐसी ही शख्सियत तमिलनाडु के केके पद्मराजन भी हैं. वो हर चुनावों में खड़े होते हैं. 65 साल के हो चुके हैं. कहते हैं कि जब तक जिंदा रहेंगे तब तक चुनाव लड़ते रहेंगे और लोगों से कहेंगे कि उनको वोट नहीं दें.
नामांकन के समय जोरदार जुलूस निकालते हैं
पद्मराजन जब नामांकन करते हैं तो जोर-शोर से जुलूस निकालते हैं भले इसके लिए उन्हें जेब से मोटी रकम ही खर्च ना करना पड़ जाए. वह पंचायत चुनाव, नगरपालिका चुनावों से लेकर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव लड़ चुके हैं. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड कहती है कि वह सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने और हारने वाले प्रत्याशी है. कुछ ऐसी ही बात लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स भी कहती है. वह जहां कहीं भी चुनाव लड़ते हैं, वहां मतदाताओं से अपील करते फिरते हैं कि वे उन्हें वोट न दें.
अटल से लेकर मनमोहन के खिलाफ चुनाव लड़ चुके
उनका दावा है कि अब तक उन्होंने 80 लाख रुपए की जमानत राशि गंवा दी है, जो हर बार चुनाव हारने पर जब्त हो जाती है. इसके अलावा नामांकन दाखिल करने का खर्च भी बहुत ज़्यादा है. वह कई हाई प्रोफाइल लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें तीन पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और पीवी नरसिंहराव शामिल हैं.
हालिया लोकसभा चुनावों में दो सीटों से मैदान में थे
यही नहीं वह वर्ष 2019 में वायनाड में ही राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव में उतरे. वर्ष 2024 के चुनावों में वह राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ पाए लेकिन ऐसा नहीं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में वह चुपचाप बैठे थे. तब उन्होंने दो संसदीय सीटों केरल के त्रिशूर और तमिलनाडु के धर्मपुरी से नामांकन किया. जिसमें उन्हें हारना ही था. चुनाव राजा पद्मराजन जयललिता, करुणानिधि, वाईएसआर रेड्डी, एके एंटनी, हेमामालिनी और विजयकांत के खिलाफ चुनावों में हारने का काम कर चुके हैं.
टायर मरम्मत की दुकान के मालिक
उन्होंने सबसे पहले 1988 में तमिलनाडु में स्थित अपने गृहनगर मेट्टूर से चुनाव लड़ना शुरू किया. वह हर बार एक अनोखी लड़ाई वाले चुनाव मैदान को चुनते हैं. यही नहीं वह सबसे असफल उम्मीदवार का टैग बरकरार रखना चाहते हैं. वह प्रचार नहीं करते. वह टायर मरम्मत की दुकान के मालिक हैं. साथ ही एक स्व-घोषित होम्योपैथिक डॉक्टर भी. पद्मराजन ने जो चुनाव लड़े हैं, उसमें 6 बार राष्ट्रपति , 6 बार उप-राष्ट्रपति , 32 बार लोकसभा , 50 बार राज्यसभा और 73 बार संसदीय चुनाव शामिल हैं.
पहले बाप बार-बार हारे अब बेटा ये काम कर रहा
इंदौर के परमानंद तोलानी पिछले तीन दशकों से ना जाने कितने ही चुनावों में निर्दलीय के तौर पर खड़े हुए और हारे. उनसे पहले उनके पिता यही करते थे. पिता के 1988 में हुए निधन के बाद उन्होंने मोर्चा संभाल लिया. वह अब तक 18 चुनाव लड़ चुके हैं. जिसमें आठ लोकसभा और 08 विधानसभा चुनाव शामिल है. वह कहते हैं कि उनके बाद उनकी दोनों बेटियां ये काम करेंगी, ये तब तक चलता रहेगा जब तक कि कोई जीत नहीं जाता.
वह हर चुनाव से पहले नाम बदलते और फिर लड़ते हैं
उनका नाम है विजय प्रकाश कोडेकर. पुणे में रहते हैं. वह भी चुनाव हारने के लिए ही लड़ते हैं. हर बार जब वह चुनाव लड़ते हैं तो अपना नाम बदल लेते हैं. कानून तौर पर पहला अपना नाम बदलवाते हैं और फिर नामांकन करते हैं. वह केवल सफेद धोती में सड़कों पर चलते नजर आ जाते हैं. 78 वर्ष के कोडेकर दरअसल हर बार चुनाव लड़कर संदेश देते हैं कि चुनावों में बहुत पैसा खर्च हो रहा है. वह ओशो के अनुयायी हैं. एक जमाने में राज्य के बिजली बोर्ड में कर्मचारी हुआ करते थे.
वह वादा करते हैं लाई डिक्टेटर पर टेस्ट कराता रहूंगा
हैदराबाद में रविंदर उप्पुला रिटायर हो चुके हैं लेकिन हर चुनावों में वह एक नई थीम और रणनीति बनाते हैं. वह ये कहते हैं कि अगर चुनाव जीते तो हर 100 दिन बाद लाई डिक्टेटर टेस्ट से गुजरेंगे. ऐसा ही करने के लिए वह दूसरे नेताओं से भी कहते हैं. वह भी चुनाव अभियान पर कम खर्च की पैरवी करते हैं.
धरती पकड़ रहे नहीं लेकिन सबसे पहले वही ऐसा करते थे
बरेली में काका जोगिंदर सिंह की कपड़े की दुकान थी. वह मिलने वाले को इलायची या लौंग खिलाया करते थे. वह भी अपने जीवन 300 चुनावों में खड़े हुए. 1998 में उनकी मृत्यु हो गई. बार बार उनके चुनाव लड़ने और हार जाने पर उनका नाम धरती पकड़ पड़ गया. वह कई बार राष्ट्रपति चुनावों में खड़े हुए. 1992 के राष्ट्रपित चुनावों में उन्हें चौथा स्थान मिला. वोट मिले 1135. उस चुनावों में शंकरदयाल शर्मा जीत हासिल करके राष्टपति बने थे.
काशी के नरेंद्र नाथ अडिग
बार बार चुनाव लड़ने और जमानत जब्त होने के कारण वह खुद को अडिग कहते थे. वह बनारस से चुनावों में खड़े होते थे. 1984 से वह लगातार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावों में खड़े होते रहे. 2022 में उनका निधन हो गया.
Tags: Priyanka gandhi, Priyanka gandhi vadra, Wayanad electionFIRST PUBLISHED : October 28, 2024, 21:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed