क्या है इंडस्ट्रियल अल्कोहल कैसे सामान्य शराब से अलग अगर पी लें तो क्या होगा
क्या है इंडस्ट्रियल अल्कोहल कैसे सामान्य शराब से अलग अगर पी लें तो क्या होगा
सुप्रीम कोर्ट ने इंडस्ट्रियल अल्कोहल को लेकर राज्यों का अधिकार दे दिए हैं. ये बड़ा फैसला है. जानते हैं कि ये कैसी शऱाब होती है और सामान्य पी जाने वाली शराब से कैसे अलग है.
हाइलाइट्स औद्योगिक शराब का इस्तेमाल औद्योगिक कामों और उत्पादन में होता है ये नेचर से जहरीली होती है, लेकिन अवैध शराब बनाने में इसका इस्तेमाल औद्योगिक शराब भी उसी तरह से बनती है जैसे दूसरी शराब
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है इंडस्ट्रियल अल्कोहल यानि औद्योगिक अल्कोहल का मसला केंद्र से ज्यादा राज्य सरकारों का है, लिहाजा वो इस पर कानून बनाने का अधिकार रखती हैं. इंडस्ट्रियल अल्कोहल को औद्योगिक शराब भी कह सकते हैं. इसे विकृत अल्कोहल भी कह सकते हैं. ये चूंकि इलेनॉल का शुद्धता वाला रूप में है, लिहाजा इसका इस्तेमला मानव उपभोग के लिए नहीं होता. ये पीते ही स्वास्थ्य को खराब कर सकती है और अस्पताल पहुंचा सकती है. ये जहरीली शराब जैसा काम भी करती है.
23 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने इंडस्ट्रिल शराब के अधिकार को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें पुष्टि की गई कि राज्यों के पास इस मामले पर कानून बनाने का अधिकार है. केरल, महाराष्ट्र, पंजाब और यूपी जैस राज्य इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की शरण में थे. उनकी दलील थी कि जिस तरह इसका उपयोग किया जा रहा है, उसको देखते हुए राज्य सरकारें चुप नहीं बैठ सकतीं. क्योंकि इनके उपयोग से जहरीली शराब भी बनाई जा रही हैं और मौते हो रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला 9 जजों की खंडपीठ ने किया. ये फैसला 8:1 बहुमत से सुनाया गया. फैसले में इसे इसे “नशीली शराब” के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इस फैसले ने 1990 के पुराने फैसले को पलट दिया कि जबकि इस पॉवर केंद्र सरकार तक सीमित कर दिया था.
क्या है नशीली शराब की परिभाषा
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार सातवीं अनुसूची की सूची II (राज्य सूची) की प्रविष्टि 8 में “नशीली शराब” शब्द में औद्योगिक शराब शामिल है, जो बताता है कि ये अगर मनुष्यों द्वारा उपयोग में लाई जाए तो जहर जैसा काम करती है. बहुमत की राय ने इस बात पर जोर दिया कि “नशीली” का अर्थ हानिकारक या जहरीले पदार्थों से भी हो सकता है.
किस जज ने असहमति जाहिर की
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने इस पर असहमति जताई. उनका तर्क था कि औद्योगिक शराब मानव उपभोग के लिए नहीं है. इसे मादक शराब के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने तर्क दिया कि राज्यों को इसे रेगुलेट करने की अनुमति देने से अल्कोहल रेगुलेशन के संबंध में विधायी मंशा की गलत व्याख्या हो सकती है.
अल्कोहल कितनी तरह की होती है
शराब मुख्य तौर पर दो तरह की होती है
औद्योगिक अल्कोहल – यह आमतौर पर आइसोप्रोपिल अल्कोहल (आइसोप्रोपेनॉल) या विकृत अल्कोहल (एडिटिव्स के साथ इथेनॉल) होती है. आइसोप्रोपाइल अल्कोहल की केमिकल संरचना C₃H₈O होती है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से औद्योगिक सेटिंग्स में सफाई और कीटाणुशोधन के लिए किया जाता है. दूसरी औद्योगिक अल्कोहल इथेनॉल यानि C₂H₅OH होती है., जिसका उपयोग अक्सर जहरीली शराब बनाने में किया जाता है.
उपयोग की जाने लायक अल्कोहल – यह मुख्य रूप से इथाइल अल्कोहल (इथेनॉल) है, जिसका उपयोग मनुष्यों द्वारा किया जाता रहा है. बीयर, वाइन और स्प्रिट जैसे मादक पेय पदार्थों में इसी के घटक होते हैं. इथेनॉल खो खमीर द्वारा शर्करा के किण्वन के माध्यम से बनाया जाता है.
औद्योगिक शराब का क्या इस्तेमाल होता है
औद्योगिक शराब का इस्तेमाल कई कामों में होता है
क्लीनिंग एजेंट के तौर पर
मैन्यूफैक्चरिंग में घोल के रूप में, अक्सर रसायनों के साथ घोलने में
चिकित्सा कामों में एंटीसेप्टिक के तौर पर
औद्योगिक अल्कोहल का उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है, जिसमें विनिर्माण, निर्माण और ईंधन शामिल हैं, तथा इसका उपयोग विलायक, रसायन, कीटाणुनाशक या जैव ईंधन के रूप में किया जाता है.
अगर औद्योगिक अल्कोहल पी ली जाए तो क्या होता है
इंडस्ट्रियल अल्कोहल के पेय के तौर इस्तेमाल की अनुमति बिल्कुल नहीं दी जाती. ये बैन है लेकिन तब भी चोरी चुपके इससे शराब बनाकर बेची जाती है, जो गंभीर समस्याएं तो पैदा करती ही है बल्कि इससे मौत भी हो जाती है. इससे जुड़े हादसे हम अक्सर पढ़ते और देखते रहते हैं.
औद्योगिक शराब का जहरीलापन
– आइसोप्रोपाइल और विकृत शराब दोनों ही अगर पीये जाएं तो जहर जैसा काम करते हैं. सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. मसलन
– पेट और आंतों में बुरी तरह जलन (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल जलन)
– नर्वस सिस्टम पर बुरी तरह असर
– छोटी मात्रा से भी संभावित घातक परिणाम
– आंखें जा सकती हैं
– पागलपन
– मौत भी
– औद्योगिक अल्कोहल के लगातार सेवन से लीवर और किडनी को नुकसान हो सकता है
– कोमा का जोखिम
क्या इथेनॉल हमेशा जहरीला होता है
– नहीं ऐसा नहीं है. इथेनॉल उच्च खुराक हमेशा जहरीली होती है. लेकिन तय सीमा सेवन के लिए सुरक्षित है. शरीर इथेनॉल को तब पचा सकता है, जब जिम्मेदारी से इसका सेवन किया जाए, तब इसके हानिकारक प्रभाव नहीं होते.
क्यों सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये फैसला
ये फैसला राज्य सरकारों को औद्योगिक शराब के दुरुपयोग को रोकने के लिए कानून बनाने का अधिकार देता है. औद्योगिक शराब के दुरुपयोग और जहरीले शराब पीने से जुड़े हादसों से जोड़ा गया है. राज्य सरकार अब अपनी जरूरतों के हिसाब से इस कानून बना सकेंगे. इस पर टैक्स भी लगा सकेंगे.
राज्य सरकारों को इस फैसले से क्या लाभ होगा
इससे उनके राजस्व में बढोतरी होगी, क्योंकि अब राज्य अब औद्योगिक शराब पर कर लगा सकते हैं. राजस्व का यह नया स्रोत राज्यों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि कई राज्यों को हाल ही में कर कटौती और आर्थिक चुनौतियों के कारण बजट घाटे और जीएसटी और आयकर जैसे पारंपरिक स्रोतों से घटते राजस्व का सामना करना पड़ रहा है.
औद्योगिक शराब कैसे बनती है
ये शराब भी किण्वन के माध्यम से ही बनती है. ये ऐसी प्रक्रिया है जिसमें इथेनॉल के उत्पादन के लिए गन्ना, मक्का या गेहूं जैसे फीडस्टॉक्स का उपयोग किया जाता है.
Tags: Alcohol Death, Illegal alcohol, Supreme Court, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : October 23, 2024, 13:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed