जब जमींदार की हसीन बीवी पर आया राजा बड़ौदा का दिल फिर कैसे हुई फिल्मी शादी
जब जमींदार की हसीन बीवी पर आया राजा बड़ौदा का दिल फिर कैसे हुई फिल्मी शादी
Royal Love Story : ये लव स्टोरी एक ऐसी महिला की है, जो हैदराबाद के एक छोटे से जमींदार की बीवी थी. उसके दो बच्चे हो गए थे. खूबसूरत थी. बडौदा के ताकतवर महाराजा से उसको प्यार हो गया. फिर आगे क्या हुआ.
हाइलाइट्स जब सीतादेवी से लड़ी थीं बड़ौदा के महाराजा की आंखें पहली ही नजर दो विवाहितों में हो गया प्यार, दोनों बाल बच्चेदार थे सीतादेवी ने धर्म बदलकर हासिल किया पहले पति से तलाक
बला की खूबसूरत थीं, तीन बच्चों की मां थी. हैदराबाद के करीब एक छोटे से जमींदार से उसकी शादी हुई थी. उसकी आंखें चेन्नई में बड़ौदा के महाराजा से लड़ गईं. दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे. महाराजा भी विवाहित थे. फिर ये हालत हो गई कि दोनों का एक दूसरे के बगैर रहना मुश्किल हो गया. तब उसने अपने पति से तलाक मांगा. पति अड़ गया कि तलाक तो नहीं देंगे. फिर क्या हुआ और कैसे पति से शादी तोड़कर वो बड़ौदा की महारानी बन पाई, इसका किस्सा बहुत रोचक है.
बला की खूबसूरत और अपने जमाने की खासी चर्चित और फैशनेबल इस महिला का नाम सीता देवी था, जो बाद में बड़ौदा के राजा से शादी करके महारानी बन गई. लेकिन इस शादी ने ऐसा कोहराम मचाया था पूछिए मत. हर जुबान पर बस इसी अफेयर की चर्चा उन दिनों हुआ करती थी.
वो चेन्नई में 12 मई 1917 को पैदा हुईं थीं. जब अंग्रेजी राज में स्वतंत्र रियासतों के तमाम राजा वैभवपूर्ण जिंदगी जीते थे. विदेशों में घूमते थे. शानोशौकत से रहते थे. पार्टियां देते थे. महारानियां भी यूरोप में घूमती रहती थीं. ऐसी महारानी थीं बड़ौदा रियासत की सीतादेवी, जिसने अपने जमींदार पति को छोड़कर दूसरी शादी की थी.
सीता देवी का जन्म मद्रास (अब चेन्नई) में हुआ था. उनके पिता छोटी तेलुगु रियासत पीतमपुर के राजा थे. सीता देवी बेइंतहा सुंदर थीं. तीखे नाक-नक्श. उनकी शादी वाययुर के छोटे से जमींदार एमआर अप्पाराव बहादुर से हुई. उनके तीन बच्चे हुए. सीता देवी हाई सर्किल और रजवाड़ों की पार्टियों में उठती-बैठती थीं. हैदराबाद निजाम की बहू प्रिंसेस निलोफर की खास सहेली थीं. सीता देवी सुंदरता और स्टाइल से जहां होतीं, वहां आकर्षण का केंद्र बन जातीं.
1943 में उनकी मुलाकात मद्रास हार्स रेस कोर्स में बड़ौदा के राजा प्रताप सिंह गायकवाड़ से हुई. प्रताप सिंह की रईसी के चर्चे देश ही नहीं विदेशों तक थे. प्रताप जब सीता देवी से मिले तो उन्हें देखते ही दिल दे बैठे. बडौदा महाराजा और अपने बेटे के साथ महारानी सीतादेवी (फाइल फोटो)
प्रताप सिंह भी ना केवल विवाहित थे बल्कि चार बच्चों के पिता भी. गायकवाड़ हर हाल में उन्हें अपनी दूसरी रानी बनाने के लिए उतावले हो उठे. खुद सीता देवी भी इस प्यार में इतना आगे बढ़ चुकीं थीं कि शादी करने के लिए उतावली थीं.
सीता के पति को जब पता चला तो…
ये सबकुछ इतना आसान नहीं था. सीता के पति अप्पाराव तो तलाक की बात सुनते ही आपे से बाहर हो गया दो-टूक कहा, किसी हाल में तलाक नहीं देगा. अलग होने की बात तो दूर है बल्कि उसने प्रताव गायकवाड़ को चेतावनी दे दी कि उसकी बीवी से वह दूर ही रहें.
तब सीतादेवी ने कैसे लिया तलाक
ना तो सीता देवी मानने वाली थीं और ना प्रताप पीछे पैर खींचने वाले थे. महाराजा प्रताप गायकवाड़ की कानूनी टीम ने हल तलाशा. सीता देवी से मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए कहा गया. सीता देवी ने वैसा ही किया. तब भी अप्पाराव ने तलाक से मना कर दिया. तब सीता देवी ने एक तलाकनामा तैयार कराया, चूंकि वो मुस्लिम बन चुकी हैं, लिहाजा गैर मुस्लिम पति के साथ नहीं रह सकतीं. इस्लाम के अनुसार उन्हें अलग होने की अनुमति दी जाए. अदालत से अनुमति मिल गई. महारानी सीतादेवी अपने बेटे के साथ. (फाइल फोटो)
अंग्रेज सरकार ने भी फंसाया पेंच
अब सीता देवी आजाद थीं लेकिन प्रताप गायकवाड़ के सामने नई समस्या आ गई. अंग्रेज सरकार ने कानूनी पेच फंसा दिया. बड़ौदा में कानून था कि पहली पत्नी के जिंदा रहते या बगैर तलाक कोई दूसरी शादी नहीं कर सकता है. काफी मशक्कत के बाद अंग्रेज सरकार ने राजा को इस बिना पर शादी की मंजूरी दी कि महाराजा होने के नाते उन्हें कानून से छूट दी जा रही है. शर्त ये भी कि महाराजा प्रताप गायकवाड़ के बाद बड़ौदा राजघराने का उत्तराधिकारी पहली पत्नी का बेटा होगा.
सीता देवी फिर हिंदू बनीं और दूसरी शादी की
सीता देवी जो मुसलमान बन चुकी थीं. उन्होंने फिर आर्य समाजी तरीके से धर्म बदला. हिंदू बनीं. तीनों बच्चों को पूर्व पति के पास छोड़कर महाराज बड़ौदा से शादी रचाई. शादी के दौरान दुनिया दूसरे विश्व युद्ध में उलझी थी. जब 1946 में वर्ल्ड वार खत्म हुआ तो महाराजा बड़ौदा दूसरी बीवी को लेकर यूरोप टूर पर निकले. वह चाहते थे कि सीता देवी को यूरोप में ही कोई शानदार घर खरीदकर दिया जाए.वह भारत में रहने की इच्छुक नहीं थीं.
दिल खोलकर पैसा खर्च करती थीं
यूरोप के कई देश घूमने के बाद महारानी सीता देवी को मोनाको पसंद आया. प्रताप गायकवाड़ ने वहां रानी के लिए आलीशान किलेनुमा बंगला खरीदा. महाराजा ने बड़ौदा से काफी बेशकीमती सामान और जेवरात सीता देवी के पास वहां भेजे. इस बीच महारानी सीता देवी को प्रताप से एक बेटा हुआ.
मोनाको में महारानी सीतादेवी का स्वागत मोनाको के महाराजा और महारानी ने किया. सीता देवी का मोनाको में रहना उनके लिए गर्व की बात थी. महारानी की इमेज धीरे धीरे पूरे यूरोप में दिल खोलकर पैसा खर्च करने वाली और आलीशान जिंदगी जीने वाली महारानी की बन गई. महारानी सीता देवी अपने समय की चार्मिंग लेडी थीं. यूरोप में बसने के बाद उन्होंने दिल खोलकर पैसा खर्च किया. पार्टियां दीं. ऐशो-आराम से रहती रहीं. (फाइल फोटो)
यूरोप की फैशन सिंबल बन गईं
1947 में जब भारत आजाद हुआ तो बड़ौदा का विलय भारतीय संघ में हो गया. भारत सरकार ने पाया कि बड़ौदा का खजाना खाली है. बेशकीमती सामान गायब हैं. उन्हें मोनाको भेजा जा चुका है. महारानी सीता देवी ने उसे लौटाने से मना कर दिया. इन सभी का मालिकाना हक उनके नाम किया जा चुका था.
महारानी मोटी संपत्ति की मालिकिन थीं
महारानी ने जल्द ही यूरोप में खास पहचान बना ली. वो वहां की हाई-सोसाइटी में उठने-बैठने लगीं. उनका अपना रुतबा था. तब सीता देवी की संपत्ति करीब 300 मिलियन डॉलर यानी करीब 2200 करोड़ रुपये की आंकी गई. महाराजा प्रताप गायकवाड़ साल में कई बार वहां आते-जाते रहते थे. महारानी कभी यूरोप में होतीं तो कभी अमेरिका में. वो घूमती रहती थीं.
ये भी है सीता देवी का एक किस्सा
एक किस्सा है कि एक बार महारानी अमेरिका में थीं. वहां से उन्हें पति से फोन पर बात करने में दिक्कत आ रही थी. तो उन्होंने लंदन आकर बात करने का फैसला किया. वो फ्लाइट से लंदन आईं. पति से बात की. फिर वापस छुट्टियां मनाने अमेरिका उड़ गईं.
महाराजा से भी हुआ तलाक
बाद के सालों में महारानी के पास दौलत की कमी होने लगी. महाराजा प्रताप गायकवाड़ का खजाना खत्म होने लगा था. महारानी से मतभेद भी होने लगे थे. इसका नतीजा 1956 में तलाक के रूप में सामने आया. इससे भी महारानी को कुछ और दौलत मिली. लेकिन महारानी की शाहखर्ची जारी थी. हालांकि महारानी कर्ज में लदने लगीं. उन्होंने महंगे जेवरात बेचने शुरू किये.
बाद में महारानी सीता देवी के इकलौते बेटे की 1985 में ड्रग और ज्यादा शराब से मौत हो गई. रानी इस गम को झेल नहीं पाईं. 15 फरवरी 1989 में 71 साल की उम्र में महारानी का निधन पेरिस में हो गया. लेकिन उनके चर्चे अब भी जिंदा हैं.
Tags: Gujarat, Love affair, Love Story, Royal weddingFIRST PUBLISHED : August 2, 2024, 21:03 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed