रावण की मौत के बाद उसकी पत्नी मंदोदरी ने क्यों की दुश्मन विभीषण से शादी
रावण की मौत के बाद उसकी पत्नी मंदोदरी ने क्यों की दुश्मन विभीषण से शादी
Ramayan Katha: रावण की मृत्यु के बाद उसकी पटरानी मंदोदरी सती होना चाहती थी. राम ने ऐसा करने से रोक दिया. जब राम ने कहा कि उसे विभीषण से शादी कर लेनी चाहिए तो पहले उसने मना कर दिया फिर सहमत हो गई, क्या वजह थी इसकी
हाइलाइट्स रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी ने विभीषण से विवाह किया मंदोदरी ने पहले तो विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था यह विवाह लंका में स्थिरता और समृद्धि के लिए किया गया था
रावण की पतिव्रता पत्नी पटरानी मंदोदरी ने जब युद्ध में पति के मारे जाने के कुछ दिनों बाद दुश्मन माने जाने वाले देवर विभीषण से शादी कर ली तो हर कोई हैरान रह गया. क्योंकि मंदोदरी धार्मिक भी थीं और उसी रास्ते पर चलने वाली तो सही और नैतिक हो. इसी वजह से उन्होंने तब इस शादी के प्रस्ताव को सिर से खारिज कर दिया था, जब राम ने उनसे कहा था कि उन्हें श्रीलंका के नए राजा विभीषण से शादी कर लेनी चाहिए. फिर उन्होंने इस पर विचार किया. सही और गलत भी सोचा. इस नतीजे पर पहुंची कि शादी कर लेने में कोई बुराई नहीं. तो वो कौन सी बात थी जिसने पतिव्रता मंदोदरी को इस फैसले पर पहुंचने में मदद की.
वैसे हम आपको बता दें कि मंदोदरी के साथ रावण की शादी दबाव और बलपूर्वक हुई थी. रावण उसे बलपूर्वक उसी तरह हरण कर लिया था, जैसे उसने सीता का अपहरण किया था. मंदोदरी की जिंदगी भी बहुत से उतार-चढ़ावों से गुजरी थी. वह पहले अप्सरा थी लेकिन पार्वती को एक बात पर इतना नाराज किया कि उन्होंने शाप दे दिया. और तब वह बहुत कष्ट में रही. फिर उसकी जिंदगी बदली जरूर लेकिन उठापटक तो उसमें कम नहीं हुई.
क्यों पार्वती हो गईं नाराज
पुराणों की एक कथा के मुताबिक मधुरा नाम की एक अप्सरा कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की तलाश में पहुंची. जब वो भगवान शिव के पास पहुंची तो उसने वहां पार्वती को न देखकर शिव को रिझाने के प्रयास शुरू कर दिए.
जब पार्वती वहां पहुंचीं तो उन्होंने मधुरा के शरीर पर शिव की भस्म देखी. वो क्रोधित हो गईं. पार्वती ने मधुरा को शाप दिया कि वो 12 साल तक मेंढक बनी रहेगी. कुंए में ही रहेगी. मधुरा के लिए मुश्किल जीवन शुरू हो गया, जिसमें बहुत कष्ट थे. राजा मायासुर ने शापित अप्सरा मधुरा को बेटी के रूप में स्वीकार किया. उसे वो महल ले आए. उसे मंदोदरी नाम दिया गया. मंदोदरी अत्यंत रूपवान और धार्मिक महिला थी.
फिर कैसे वह मंदोदरी बन गईं
जिस समय ये सारी घटनाएं घट रही थीं उसी समय कैलाश पर असुर राजा मायासुर अपनी पत्नी के साथ तपस्या कर रहे थे. दोनों एक बेटी की कामना के लिए तपस्या कर रहे थे. 12 वर्षों तक दोनों तप करते रहे. इधर मधुरा के शाप का जब अंत हुआ तो वो कुंए में ही रोने लगी.
सौभाग्य से असुरराज और उनकी पत्नी दोनों कुंए के नजदीक ही तपस्या कर रहे थे. जब उन्होंने रोने की आवाज सुनी तो कुंए के पास गए. वहां उन्हें मधुरा दिखी, जिसने पूरी कहानी सुनाई. असुरराज ने तपस्या छोड़कर मधुरा को ही बेटी मान लिया. मधुरा का नाम बदलकर मंदोदरी कर दिया गया.
महल का जीवन और रावण से मुलाकात
असुरराज के महल में मंदोदरी को राजकुमारी का जीवन मिला. वो नई जिंदगी में बेहद खुश थीं. इस बीच उसकी जिंदगी में रावण की एंट्री हुई. वह मंदोदरी के पिता मायासुर से मिलने रावण पहुंचा. वहीं उसने मंदोदरी को देखा. मोहित हो गया. उसने मायासुर से मंदोदरी का हाथ मांगा.
मायासुर ने प्रस्ताव ठुकरा दिया. तब क्रोधित रावण मंदोदरी का बलपूर्वक अपहरण कर लाया. दोनों राज्यों में युद्ध की स्थिति बन गई. मंदोदरी जानती थी कि रावण उसके पिता से ज्यादा शक्तिशाली शासक है लिहाजा उसने रावण के साथ रहना स्वीकार किया.
सीता अपहरण का विरोध किया
मंदोदरी का चरित्र रामायण में बहुत नैतिक दिखाया गया है. जब रावण ने सीता का अपहरण किया, तब मंदोदरी ने इसका जमकर विरोध किया. वह रावण को ये समझाने की कोशिश करती रही कि दूसरे की पत्नी का अपहरण अपराध है. रावण नहीं माना. आखिरकार राम के साथ युद्ध में रावण की बुरी पराजय हुई. वह मारा गया. मंदोदरी विधवा हो गई. मंदोदरी के साथ भी रावण ने बलपूर्वक अपहरण करके विवाह किया. हालांकि विवाह के बाद मंदोदरी सच्चे मन से उसके प्रति समर्पित हो गई.
तब मंदोदरी ने विभीषण से शादी को मना कर दिया
रावण की मौत के बाद भगवान राम ने मंदोदरी को विभीषण से शादी का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने समझाया कि विभीषण के साथ मंदोदरी की जिंदगी बेहतर रहेगी. लेकिन मंदोदरी ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. कहा जाता है कि इसके बाद एक बार भगवान राम, सीता और हनुमान के साथ मंदोदरी को समझाने गए.
तब ज्योतिष की प्रकांड विद्वान मंदोदरी को महसूस हुआ कि धार्मिक और तार्किक तौर के साथ नैतिक तौर पर देवर विभीषण से विवाह करना गलत नहीं होगा. ये महसूस होने पर उन्होंने ये प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. फिर उन्होंने विभीषण से शादी कर ली. ये मूर्ति इंडोनेशिया के जावा स्थित प्रमबानन मंदिर की है, जिसमें रानी मंदोदरी और अन्य रानियों को रावण के शव पर माला डालकर उन्हें विलाप करते दिखाया गया है. (विकी कामंस)
हालांकि रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी के बारे में वाल्मीकि की रामायण ज्यादा कुछ नहीं कहती लेकिन रामायण के दूसरे वर्जन में जरूर इस बारे में काफी कुछ कहा गया है.
विभीषण भी नहीं चाहते थे भाभी से शादी करना
रावण के मरने के बाद जब मंदोदरी विधवा हो जाती है तब भगवान राम विभीषण को सलाह देते हैं कि उसे अपनी भाभी से विवाह कर लेना चाहिए. ये परंपरा उन दिनों मान्य थी. हालांकि विभीषण की पहले से कई रानियां थीं. वह इसके लिए तैयार नहीं थे. कहा जाता है कि अगर विभीषण ये शादी कर लेते तो उन्हें भाई की जगह लंका पर शासन का नैतिक अधिकार भी हासिल हो जाता.
विवाह राजनीतिक और राजकाज से ज्यादा जुड़ा था
हालांकि ये भी कहा जाता है कि ये विवाह शारीरिक तौर पर पति पत्नी के तौर पर एक दूसरे के सांथ यौन संबंधों की बजाए विशुद्ध राजकाज से जुड़ा था. क्योंकि मंदोदरी भी चाहती थी कि उसके पति के निधन के बाद लंका में स्थायित्व और समृद्धि रहे. वह राम से शत्रुता की बजाए मित्रता चाहती थी. रावण की मृत्यु के लिए उसने राम को कभी जिम्मेदार भी नहीं ठहराया.
Tags: Lord rama, Ramayan, Ravana DahanFIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 19:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed