NIT से बीटेक की डिग्रीPCS ऑफिस की छोड़ी नौकरीचपरासी से बने असिस्टेंट कमिश्नर
NIT से बीटेक की डिग्रीPCS ऑफिस की छोड़ी नौकरीचपरासी से बने असिस्टेंट कमिश्नर
CGPSC Success Story: सरकारी नौकरी (Sarkari Naukri) पाने की ख्वाहिश में इंसान कुछ भी करने को तैयार है.ऐसे ही कहानी एक लड़के की बता रहे हैं, जिनके पास NIT से मैकेनिकल इंजीनियरिंग होने के बावजूद चपरासी की नौकरी की. इसके बाद वहीं काम करते हुए CGPSC की परीक्षा को पास करके ऑफिसर बन गए हैं.
CGPSC Success Story: सरकारी नौकरी (Sarkari Naukri) की चाहत ऐसी होती है कि इंसान इसे पाने के लिए कुछ ही कर सकता है. ऐसी ही कहानी एक लड़के की है, जिनके पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री होने के बावजूद भी छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) कार्यालय में चपरासी की नौकरी की और अब वह सीजीपीएससी की परीक्षा को पास करने में सफल रहे हैं. वह अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय के बल पर इस मुकाम को हासिल किया. उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में सीजीपीएससी पास करके असिस्टेंट कमिश्नर (State Tax) बन गए. इनका नाम शैलेंद्र कुमार बांधे (Shailendra Kumar Bandhe) है.
NIT से किया बीटेक
बिलासपुर जिले के बिटकुली गांव के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले 29 वर्षीय शैलेंद्र (Shailendra Kumar Bandhe) ने बचपन से ही अपने लक्ष्य को लेकर स्पष्टता रखी. उन्होंने रायपुर में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद एनआईटी रायपुर से बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) की डिग्री प्राप्त की. अच्छी तनख्वाह वाली निजी नौकरी का विकल्प होने के बावजूद उन्होंने सरकारी सेवाओं में जाने का सपना देखा और प्लेसमेंट सेशन में भाग नहीं लिया.
CGPSC में हासिल की 73वीं रैंक
शैलेंद्र बताते हैं कि एनआईटी रायपुर के उनके एक सीनियर हिमाचल साहू, जिन्होंने सीजीपीएससी-2015 में टॉप रैंक हासिल की थी, उससे प्रेरणा लेकर उन्होंने सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू की. हालांकि, शुरुआत में उन्हें कई असफलताओं का सामना करना पड़ा. पहले प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा में असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. दूसरे प्रयास में मुख्य परीक्षा में और तीसरे और चौथे प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचने के बावजूद सफलता से दूर रह गए. लेकिन पांचवें प्रयास में उन्होंने 73वीं रैंक (जनरल कैटेगरी) और आरक्षित कैटेगरी में दूसरा स्थान प्राप्त कर अपने सपने को साकार किया.
चपरासी की नौकरी से जीवन को संवारने की शुरुआत
सिविल सेवाओं की तैयारी के दौरान परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए शैलेंद्र ने मई 2023 में सीजीपीएससी कार्यालय में चपरासी की नौकरी ज्वाइन की. इस दौरान उन्हें तानों और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने आत्मविश्वास को कमजोर नहीं होने दिया. शैलेंद्र का मानना है कि कोई भी नौकरी छोटी या बड़ी नहीं होती, फिर चपरासी हो या डिप्टी कलेक्टर, हर काम को ईमानदारी और जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए. उनकी यह सोच उनके संघर्ष और सफलता की कहानी को और भी प्रेरणादायक बनाती है.
परिवार का मजबूत सहारा
शैलेंद्र अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं, जिन्होंने हर कठिनाई में उनका साथ दिया. उनके पिता संतराम बांधे, जो एक किसान हैं. उन्होंने कहा कि मेरा बेटा उन सभी के लिए प्रेरणा है जो सरकारी नौकरी पाने और देश की सेवा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. शैलेंद्र की सफलता यह साबित करती है कि दृढ़ निश्चय, मेहनत, और आत्मविश्वास से किसी भी सपने को साकार किया जा सकता है. उनकी कहानी उन लाखों युवाओं के लिए एक मिसाल है, जो अपने जीवन में बदलाव लाने का सपना देखते हैं.
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Tags: Govt Jobs, Success StoryFIRST PUBLISHED : December 6, 2024, 18:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed