किसकी जमीन पर बना है वो राष्ट्रपति भवन जहां नरेंद्र मोदी लेंगे PM की शपथ
किसकी जमीन पर बना है वो राष्ट्रपति भवन जहां नरेंद्र मोदी लेंगे PM की शपथ
वायसराय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन) जिस जमीन पर बना है, तब वह जयपुर के महाराजा के कब्जे में थी. उन्होंने 330 एकड़ जमीन दे दी थी. करीब 17 साल में भवन बनकर तैयार हुआ...
नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. समारोह राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) में आयोजित किया जाएगा. शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां अंतिम चरण में है. आखिर कैसा है वो राष्ट्रपति भवन जहां मोदी शपथ लेंगे? किसकी जमीन पर बना है और किसने बनवाया? आइये आपको राष्ट्रपति भवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं…
330 एकड़ में बना राष्ट्रपति भवन दुनिया की सबसे भव्य इमारतों में शुमार है और वास्तु कला का अद्भुत नमूना कहा जाता है. साल 1911 के दिल्ली दरबार में जब ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली लाने की घोषणा की गई, तब वायसराय के लिए नए घर की तलाश शुरू हुई. ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) को नई राजधानी का खाका तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया. वह दिल्ली की टाउन प्लानिंग कमिटी के मेंबर भी थे.
क्यों रायसीना की पहाड़ी पर बना भवन?
एडविन लुटियंस और उनकी टीम ने पहले पूरी दिल्ली का मुआयना किया. उन्होंने पाया कि अगर दिल्ली के उत्तरी इलाके में वायसराय हाउस बनाया जाए, तो वहां हमेशा बाढ़ का खतरा रहेगा. क्योंकि वो इलाका यमुना से सटा था. इसलिए उन्होंने दक्षिणी हिस्से में रायसीना हिल्स वाले इलाके पर वायसराय हाउस बनाने का मन बनाया. यह इलाका खुला और हवादार था. ऊंचाई पर था, इसलिये भविष्य में ड्रेनेज या सीवर वगैरह की परेशानी भी नहीं हो सकती थी. लुटियंस द्वारा बनाया गया नक्शा
जयपुर के महाराजा ने दी जमीन
rashtrapatibhavan.gov.in पर दी गई जानकारी के मुताबिक रायसीना हिल्स की जिस जमीन को वायसराय हाउस के लिए चुना गया, तब वह जयपुर के महाराजा के हिस्से में आती थी. उस वक्त रियासतों का दौर था. जब वायसराय हाउस बनकर तैयार हुआ तो सबसे आगे के हिस्से में खासतौर से एक स्तंभ लगाया गया. जिसे ‘जयपुर स्तंभ’ कहते हैं. इसे जयपुर के महाराजा सवाई माधो सिंह ने गिफ्ट किया था.
निर्माण के लिए बिछाई गई रेल लाइन
रायसीना हिल्स की जिस पहाड़ी को वायसराय हाउस के लिए चुना गया, पहले उसे विस्फोटक के जरिए तोड़ गया. फिर जमीन समतल की गई. इसके बाद वहां तक ईंट, पत्थर, रोड़ी, बजरी जैसे मैटेरियल पहुंचाने के लिए एक खास रेलवे लाइन बिछाई गई. तत्कालीन गवर्नर जनरल और वायसराय लॉर्ड हार्डिंग चाहते थे कि इमारत 4 साल में बन जाए, पर इसको बनाने में 17 साल से अधिक का समय लगा. साल 1928 के आखिर में ‘वायसराय हाउस’ बनकर तैयार हुआ. गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन, वायसराय हाउस में जाने वाले पहले वायसराय बने.
4 मंजिला और 340 कमरों वाला भवन
राष्ट्रपति भवन चार मंजिला है और इसके अंदर छोटे-बड़े कुल 340 कमरे हैं. राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक यह करीब 2 लाख स्क्वायर फीट में फैला है. भवन की इमारत में 70 करोड़ से ज्यादा ईटें लगी हैं. जबकि तीन मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर लगा है. भवन के निर्माण में कुल 23000 मजदूर लगे थे, जिसमें से 3000 तो अकेले पत्थर काटने वाले थे.
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कौन था बिल्डर-कांट्रेक्टर
एडविन लुटियंस ने राष्ट्रपति भवन की डिजाइन प्राचीन यूरोपीय शैली के मुताबिक तैयार की. पर डिजाइन में भारतीय वास्तु-शिल्प को भी शामिल किया गया. जैसे- गुंबद सांची के स्तूप से प्रेरित था. तो वहीं, छज्जे, छतरी और जाली तथा हाथी, कोबरा, मंदिर के घण्टे आदि जैसे नमूनों पर भारतीय छाप दिखती है. राष्ट्रपति भवन की मेन बिल्डिंग का निर्माण हारून-अल-रशीद ने किया. जबकि अगला हिस्सा सुजान सिंह और उनके बेटे शोभा सिंह ने किया, जो उस दौर में नामी कांट्रेक्टर थे.
प्रेसिडेंट हाउस के ठीक सामने नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक भी बनाया गया. इसका निर्माण हरबर्ट बेकर ने किया. वह भी लुटियंस की तरह नामी आर्किटेक्ट थे.
Tags: Modi cabinet, Narendra modi, New Modi Cabinet, Rashtrapati bhawanFIRST PUBLISHED : June 8, 2024, 17:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed