मुजफ्फरनगर संभल और अलीगढ़ मुस्लिम बस्तियों में कैसे निकलने लगे मंदिर
मुजफ्फरनगर संभल और अलीगढ़ मुस्लिम बस्तियों में कैसे निकलने लगे मंदिर
Temples Start Appearing in Muslim Area: एक हफ्ते के अंदर उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों के मुस्लिम बहुल शहरों में चार मंदिरों की खोज की गई है. ऐसा क्यों है कि इन शहरों में ये धार्मिक स्थल उपेक्षित होकर खंडहर होने लगे थे. अब हिंदू समूह की दिलचस्पी इन मंदिरों को ढूंढकर उनको फिर से पुराने स्वरूप में लौटाने में बढ़ गई है.
Temples Start Appearing in Muslim Area: उत्तर प्रदेश के शहरों में बंद पड़े मंदिर मिलने का सिलसिला जारी है. एक हफ्ते के अंदर प्रदेश के मुस्लिम बहुल शहरों में चार मंदिरों की खोज की गई है. केवल यही नहीं दशकों बाद उनमें नियमित पूजा-अर्चना फिर से शुरू हो गई है. हाल ही में अलीगढ़ में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां हिंदू समूहों को एक बंद पड़ा मंदिर मिला है. पुलिस मंदिर की निगरानी कर रही है और कथित रूप से गायब मूर्तियों की जांच शुरू करने की बात कह रही है.
पहले बात संभल की. उत्तर प्रदेश में ताजा विवाद संभल की जामा मस्जिद को लेकर पैदा हुआ. हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां पहले हरिहर मंदिर था, जिसे तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण कराया गया था. हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल सम्राट बाबर ने 1529 में इस मंदिर को तोड़कर जामा मस्जिद बनवाई थी. हिंदू पक्ष इस दावे को मज़बूत करने के लिए 1879 की एएसआई की रिपोर्ट का हवाला देता है. हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के स्थान पर पहले हरिहर मंदिर था, जिसे भगवान विष्णु के आखिरी अवतार कल्कि अवतार का मंदिर माना जाता है. इस विवाद के चलते, कोर्ट ने जामा मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था, जिसके बाद इलाके में तनाव पैदा हो गया था. इस विवाद में पांच लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं.
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इन शहरों में क्यों मिल रहे मंदिर
मुजफ्फरनगर, संभल और अलीगढ़ में मुस्लिम आबादी से घिरे इलाकों में रखरखाव न होने से काफी मंदिर अपना अस्तित्व खो चुके हैं. बताते हैं कि पहले इन इलाकों में हिंदुओं की अच्छी-खासी आबादी थी, लेकिन बाद में मुस्लिम आबादी ज्यादा हो गई. इस कारण मंदिरों में पूजा-अर्चना बंद हो गई. जब लंबा समय बीत गया तो ये मंदिर खंडहर खोने लग गए. जिन शहरों में दबे हुए या उपेक्षित मंदिर मिले हैं आइए जानते हैं उनका इतिहास…
मुस्लिम शासन में महत्वपूर्ण था संभल
संभल एक पुराना उपनिवेश है जो मुस्लिम शासन के समय भी महत्वपूर्ण था. यह शहर सिकंदर लोदी की 15वीं सदी के अंत और 16वीं सदी के शुरू में प्रांतीय राजधानियों में से एक था. यह प्राचीन शहर एक समय महान चौहान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी भी था. और संभवतः यह वहीं है जहां वह अफगानियों द्वारा द्वितीय युद्ध में मारे गए. मध्यकाल में संभल का सामरिक महत्व बढ़ गया, क्योंकि यह आगरा और दिल्ली के निकट है. संभल की जागीर बाबर के आक्रमण के समय अफगान सरदारों के हाथ में थी. बाबर ने हुमायूं को संभल की जागीर दी लेकिन वहां वह बीमार हो गया, अतः आगरा लाया गया. इस प्रकार बाबर के बाद हुमायूं ने साम्राज्य को भाइयों में बांट दिया और संभल अस्करी को मिला. शेरशाह सूरी ने हुमायूं को खदेड़ दिया और अपने दामाद मुबारिज़ खान को संभल की जागीर दी. बाबर के सेनापतियों ने यहां कई मंदिरों को तोड़ा था और जैन मूर्तियों को भी नष्ट किया. संभल राज्य का एक मुस्लिम बहुल शहर है, जहां लगभग 77.67 फीसदी आबादी इस्लाम को अपना धर्म मानती है.
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मुगलकाल में कोइल बना अलीगढ़
अकबर के शासनकाल में भी कोइल यानी अलीगढ़ को काफी अहम माना जाता था. इसमें मराहर, कोल बा हवेली, थाना फरीदा और अकबरबाद शामिल थे. इब्राहिम लोधी के समय, उमर के पुत्र मुहम्मद कोल के गवर्नर थे. उन्होंने कोल में एक किला बनाया और 1524-25 में मुहम्मदगढ़ के नाम पर शहर का नाम रखा और फरुखसीयर और मुहम्मद शाह के समय इस क्षेत्र के गवर्नर सबित खान ने पुराने लोदी किले का पुनर्निर्माण किया और अपने नाम सब्तगढ़ के नाम पर शहर का नाम दिया. जयपुर के राजा जय सिंह से संरक्षण मिलने के बाद 1753 में जाट शासक सूरजमल और मुस्लिम सेना ने कोइल के किले पर कब्जा कर लिया. र्गुजर राजा बहादुर सिंह ने उनके तहत एक और किले से लड़ाई जारी रखी और जो “घोसर की लड़ाई” के नाम से जानी जाती है. फिर इस शहर को रामगढ़ का नाम दिया गया. आखिरकार, जब शिया कमांडर नजफ खान ने कोल पर कब्जा कर लिया, तो उन्होंने इसे अलीगढ़ का वर्तमान नाम दिया. अलीगढ़ की आबादी में हिंदू धर्म को मानने वाले 79.05 फीसदी हैं. मुस्लिम यहां कि कुल आबादी का 19.85 फीसदी हैं.
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शाहजहां ने की मुजफ्फरनगर की स्थापना
मुजफ्फरनगर की स्थापना मुगल बादशाह शाहजहां ने 1633 में की थी. इस शहर की स्थापना से पहले इस इलाके को सरवट के नाम से जाना जाता था. मुगल बादशाह शाहजहां ने इस शहर का नाम अपने सरदार सैयद मुजफ्फर खान के नाम पर रखा था. मुजफ्फर खान के बेटे मुनव्वर लश्कर खान ने अपने पिता की याद में इस शहर का नाम मुजफ्फरनगर रख दिया. मुजफ्फरनगर, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है. यह बिजनौर, मेरठ, और हस्तिनापुर जैसे ऐतिहासिक शहरों के पास है. मुजफ्फरनगर में धर्म (2011) के हिसाब से, हिंदू धर्म को मानने वाले 55.79 फीसदी, इस्लाम को मानने वाले 41.39 फीसदी, जैन धर्म को मानने वाले दो फीसदी और अन्य धर्मों को मानने वाले दो फीसदी लोग हैं.
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कहां-कहां मिले बंद मंदिर
अलीगढ़ में हिंदू समूहों को एक बंद पड़ा मंदिर मिलने से पहले संभल में दो और वाराणसी में एक मंदिर को भी इसी तरह खोल दिया गया है. वहां भी पूजा-अर्चना फिर से शुरू हो गई है. 14 दिसंबर को संभल के खग्गू सराय इलाके में एक शिव-हनुमान मंदिर की खोज की गई थी. इसके बाद 17 दिसंबर को हयात नगर इलाके में एक दूसरे मंदिर का ताला खोला गया. उसी दिन, सनातन रक्षक दल नामक एक हिंदू संगठन ने वाराणसी के मदनपुरा इलाके में एक मंदिर की खोज की जो 40 साल से बंद था. दावा किया जाता है कि यह 250 साल पुराना है. संभल जिले के चंदौसी के मुस्लिम इलाके में स्थित बांके बिहारी और महादेव का मंदिर देखरेख के अभाव में खंडहर हो चुका था. इसी तरह चंदौसी के मुस्लिम बहुल लक्ष्मणगंज में 152 साल पुराना बांके बिहारी प्राचीन मंदिर खंडहर वाली हालत में पहुंच गया था.
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मुजफ्फरनगर में शिव मंदिर बना खंडहर
मुजफ्फरनगर जिले के लद्धावाला मोहल्ले में एक शिव मंदिर खंडहर हो गया था. लगभग पांच दशक पहले भगवान शिवशंकर के मंदिर की स्थापना हुई थीय तब यह हिंदू बहुल क्षेत्र था. उस समय मंदिर में पूजा-अर्चना होती थी. साल 1992 में बाबरी मस्जिद विवाद और उसके बाद के सांप्रदायिक दंगों के कारण हिंदू यहां से पलायन कर गए. तब हिंदू पक्ष मंदिर में स्थापित शिवलिंग और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी साथ ले गए. फिलहाल इस इलाके में मुस्लिम आबादी है और मंदिर की देखभाल नहीं हो पाती है. यह मंदिर भी उस लिस्ट में है जिसका जीर्णोद्वार किया जाना है.
Tags: Aligarh news, Hindu Temples, Muslim Areas, Muzaffarnagar news, Sambhal News, UP newsFIRST PUBLISHED : December 21, 2024, 13:03 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed