देश की वो जगह जहां इस समय हवा स्वर्गिक आनंद दे रही है नेचर का वंडरलैंड मेदीकेरी
देश की वो जगह जहां इस समय हवा स्वर्गिक आनंद दे रही है नेचर का वंडरलैंड मेदीकेरी
Best AQI City Madikeri : देशभर में जहां हवा खराब, बहुत खराब और खतरनाक होने लगी है, तब देश का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जो आंकड़े दे रहा है, उसमें केवल 19 अंकों की एक्यूआई के साथ मेदीकेरी नाम की एक जगह पूरे देश को ललचा रही है. कैसी है ये जगह, जहां की हवा को हमेशा बेहतरीन गुणवत्ता वाला और जीवनदायी ही नहीं बल्कि बहुत हेल्दी माना जाता है.
हाइलाइट्सकर्नाटक के कुर्ग इलाके का खूबसूरत हिल स्टेशन है मेदीकेरी, जिसे नेचर का स्वर्ग कहा जाता हैइस समय मेदीकेरी में एयर क्वालिटी इंडैक्स यानि AQI 19 है जबकि दिल्ली में 220 के ऊपर मेदीकेरी कुर्ग को देश का कॉफी हर्टलैंड भी कहा जाता है. सुंदर बॉयो डायवर्सिटी वाला इलाका
इन दिनों जब दिल्ली और देश के ज्यादा शहरों की हवा में विषैले तत्व घुलने लगे हैं, हवा सांस लेना बीमारियों को न्योता देने वाला हो गया है, ऐसे में देश का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ये बता रहा है कि देश में इस समय सबसे अच्छी हवा की क्वालिटी कुर्ग इलाके के शहर मेदीकेरी की है. इसकी एयर क्वालिटी वैल्यू केवल 19 है. यानि की वो पैमाना जब हवा वाकई आपके लिए बहुत स्वास्थ्यप्रद और सुखद मानी जाती है.
कैसी है ये जगह. यहां हवा की क्वालिटी तब इतनी बेहतर क्यों है, जबकि देश के ज्यादातर हिस्सों में हवा की क्वालिटी खराब या बहुत खराब हो चुकी है. इस जगह के बारे में बताने से पहले जरा एक बार देश के कुछ शहरों की हवा की क्वालिटी का जायजा ले लेते हैं. ये आंकड़ें 20 अक्टूबर को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिए गए हैं.
इसके अनुसार दिल्ली की एक्यूआई यानि एयर क्वालिटी इंडैक्स 222 है यानि खराब, जिसमें बाहर जाने पर आपको सांस लेने में असहजता महसूस हो सकती है और हवा की ये स्थिति कई और रोगों को न्योता भी दे सकते हैं. इसमें बाहर कम निकलने की हिदायत दी गई है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार अगर किसी शहर का एक्यूआई 0-50 है तो वहां की हवा को अच्छा मानिए यानि सांस लेने और स्वास्थ्य के लिए बेहतर. इसके बाद 50-100 एक्यूआई का मतलब संतोषजनक स्थिति. 100-200 में एक्यूआई को माडरेट मानते हैं मतलब कि थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है. इससे ऊपर जाते ही है हवा की क्वालिटी खराब, बहुत खराब और खतरनाक हो जाती है. दिल्ली और आसपास के इलाके ही समूचा उत्तर भारत और देश के कई हिस्से दीवाली के आसपास बहुत खराब और खतरनाक वाली स्थिति में पहुंच जाते हैं.
अब आते हैं मेदीकेरी पर, जो कर्नाटक में बेंगलुरु से करीब 250 किलोमीटर दूर है. जहां रेलवे स्टेशन नहीं है, केवल सड़क मार्ग से ही जाया जा सकता है. आखिरी रेलवे स्टेशन मैसूर है. कुर्ग का ये इलाका अपनी प्रकृति, हवा, जलवायु और पानी के लिहाज से स्वर्ग कहा जाता है. इस इलाके को देश का कॉफी हर्टलैंड भी कहते हैं यानि देश में कॉफी उपज वाली सबसे बेहतरीन जगह. चूंकि ये इलाका केरल से सटा हुआ है लिहाजा प्रचुर मात्रा में यहां हर तरह के मसालों और फलों का भी उत्पादन होता है.
प्रकृति ने भरपूर आभा और नजारों से नवाज़ा
ये ब्रह्मागिरी हिल्स रेंज का ऐसा इलाका है, जिसे नेचर ने वाकई भरपूर हरियाली, पानी, उर्वरा, खुशहाली और हेल्दी हवा से नवाजा है. ये ऐसी जगह है, जहां औसतन रोज थोड़ी बहुत बारिश होती है. मानसून के समय तो ये इलाका भरपूर हरे-भरे स्वर्ग की आभा से जगमगाता है. आमतौर पर साल के ज्यादातर महीनों में यहां की सुबह घने कोहरे की चादर फैलाए हुए होती है और शाम को आसमान कई रंगों की दर्शनीय छटा बिखेरता हुआ सूरज को अस्ताचल के लिए विदा देता है.
कोड़वा लोग हैं यहां के मूल निवासी
इस इलाके में रहने वाले लोगों को कोड़वा कहते हैं. कुछ की नजर में ये इलाका कोड़वा ट्राइब्स का शानदार इलाका है. कुछ मानते हैं कि यहां के जो भी मूल निवासी हैं वो सभी कोड़वा कहलाते हैं. ये लोग बहुत अच्छा खाते-पीते हैं. तमाम तरह के फलों से वाइन बनाते हैं, उनका खाने के साथ सेवन करते हैं. मांसाहार खूब करते हैं. जीवन का भरपूर मजा लेते हैं. शायद कोड़वा ऐसी ट्राइब्स भी है, जिसमें सभी खासे पढ़े लिखे, समृद्ध, बेहतर कद काठी वाले और बहादुर होते हैं.
मेदीकेरी में जिधर देखो उधर कॉफी और मसालों के पेड़ पौधे नजर आते हैं, जो यहां की आबोहवा में भरपूर ऑक्सीजन देते हैं. कॉफी इस इलाके में करीब 100 पहले आई लेकिन अब यहां सबसे ज्यादा कॉफी की पैदावार होती है, उसी तरह काली मिर्च, इलायची और अन्य मसालों की भी. (Photo – Sanjay Srivastava)
सेना और खेलों में खूब जाते हैं यहां के बहादुर लोग
सेना में हमेशा से कोड़वा लोगों का स्वागत होता रहता है बल्कि ये कह सकते हैं कि अंग्रेज जब भारत आए और उन्होंने भारतीयों को लेकर शुरुआती पलटन बनाई, उसमें कोड़वा लोग ही ज्यादा थे. अब भी यहां का हर चौथा शख्स सेना में नौकरी करता मिलेगा. समय के साथ उन्होंने साबित कर दिया कि हथियार चलाने और बहादुरी में उनका कोई सानी नहीं. ये लोग दीवाली के समय अपने हथियारों खासकर बंदूक की पूजा करते हैं. कोड़वा वो लोग भी हैं, जो जात-पात में कतई विश्वास नहीं करते. उनकी बहादुरी और हथियार रखने की पुरानी परंपरा के कारण सरकार भी उन्हें बगैर लाइसेंस के बंदूक रखने की अनुमति देती है.
हैरान मत हों देश में ये अकेली प्रजाति है, जिसको ये खास अधिकार मिला हुआ है. आपको ये भी बता दें कि इस कुर्ग इलाके ने देश को अगर भरपूर फौजी दिए तो एक नहीं बल्कि सैन्य प्रमुख भी दिए. एक अर्से तक हॉकी टीम में यहां के कई खिलाड़ी होते थे. कई टीम के कप्तान भी बने. कुल मिलाकर ये खुशी फील कराने वाली ऐसी जगह है जहां लोग प्रकृति के साथ रहना जानते हैं. प्रकृति की विपुल संपदा उन्हें धनवान बनाती है और खुशियां भी देती है.
हवा बहुत साफ और सुंदर मौसम
मेदीकेरी पहाड़ पर बसा एक सुंदर शहर है. यहां की आबादी ज्यादा नहीं है. यहां मकानों से ज्यादा कॉफी और मसालों के एस्टेट हैं, जिनसे भरपूर कमाई होती है. चूंकि सालभर यहां पानी बरसता रहता है लेकिन इतना ज्यादा भी नहीं कि आप परेशान हो जाएं. पानी का ये बरसना यहां के लिए इस लिए सौगात की तरह है क्योंकि वो यहां की हवा को बहुत साफ ही नहीं रखता है बल्कि हवा में एक ऐसी ताजगी और खुशी घोलता है, जो आपके शरीर से लगते ही आपका तन मन दोनों प्रसन्नता से भर देती है.
एक जमाने में काली मिर्च को ब्लैक गोल्ड कहते थे. अब भी काली मिर्च बहुत महंगी बिकती है लेकिन मेदीकेरी में ये भरपूर होती है. चित्र में लटके हुए लच्छे काली मिर्च के हैं, जिन्हें सूखाकर और धूप में रखकर इसे वो रूप दिया जाता है जो हम मसाले में देखते हैं. (Photo – Sanjay Srivastava)
जब ये हवा शरीर को छूती है तो स्वर्गिक अहसास कराती है
ये संयोग है कि जिस समय देश की सबसे बेहतरीन हवा मेदकेरी में बताई जा रही है उससे कुछ दिन पहले ही मैं इलाके में कुछ दिनों के लिए घूमने गया. विवेकानंद के बारे में कहा जाता है कि वो यहां आकर महीने भर से ज्यादा रहे थे. मुझे याद आ रहा है कि मैने अपने जीवन में ठंडी, गरम और बेहतर हवा की फीलिंग का स्वाद तो चखा है लेकिन इतनी हेल्दी और सुखद हवा को कहीं फील नहीं किया. ये हवा वाकई जब शरीर को छूती थी तो तन-मन बहारें लेते हुए खिल उठता था. तब महसूस होता था कि हवा की अनुभूति भी कितनी स्वर्गिक हो सकती है.
जहां देखो उधर कॉफी के हरे-भरे एस्टेट
ऐसा आनंद ना तो एसी की ठंडी हवा में मिलता है और ना ही उत्तर भारत की किसी भी मौसम की ताजी हवा में. ऐसे में इस धरती का खास होना लाजिमी है. सितंबर के पहले हफ्ते में यहां धान की पैड़ी खेतों में बिछाई जा चुकी होती है. खेत हरी कालीन की तरह लहलहाने लगते हैं.
नारियल के खूब पेड़ नजर आते हैं और जिधर नजर दौड़ा लो, उधर कॉफी के पौधों की भरपूर तादाद लिए एस्टेट नजर आते हैं, जिसने सही मायनों में यहां की अर्थव्यवस्था का खास नेमत दी है. हालांकि कॉफी के यहां आने की कहानी महज 100 के आसपास ही पुरानी है. बाबा बूदान चोरी से यमन से कॉफी के 06 बीज लेकर आए और फिर ये इलाका इसका सबसे उपजाऊ इलाका बन गया. हालांकि ये एक अलग और दिलचस्प कहानी है.
मेदीकेरी का अच्छा मौसम यहां वाइन बनाने के लिए भरपूर मददगार है. यहां तमाम तरह के फलों की लजीज वाइन बनाई जाती है और दुनियाभर में बेची जाती है. (Photo – Sanjay Srivastava)
प्रचुर मात्रा में मसालों और फलों की भी पैदावार
वैसे यहां के कॉफी एस्टेट दुनियाभर के सभी बड़े कॉफी ब्रांड्स के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कॉफी सीड्स की आपूर्ति करते हैं. हालांकि कई बड़े कारपोरेट भी यहां पहुंचकर बड़े बड़े कॉफी एस्टेट खरीदकर उसमें कॉफी पैदा कर रहे हैं.
कटहल यहां खूब होता है और इतना लंबा चौड़ा कि हैरान हो सकते हैं. इसके अलावा तकरीबन सभी फलों की यहां भरपूर पैदावार है. यहां काली मिर्च से लेकर इलायची, और दाल चीनी से लेकर तेजपत्ता, जायफल सबकुछ पैदा होता है. चाकलेट में इस्तेमाल होने वाला कोको और रक्तचंदन के पेड़ भी यहां खूब दिखेंगे. वैसे आपको बता दें कि चंदन तस्कर के तौर पर कुख्यात वीरप्पन के ये पसंदीदा इलाकों में था.
नदियां, प्रपात और बादलों की लुकाछिपी
चूंकि ये इलाका बॉयो डाइवर्सिटी वाला है लिहाजा जितने पक्षियों की प्रजातियां यहां मिलती हैं, उतनी देश में कहीं नहीं. यहां कई नदियां बहती हैं. प्रपात बनाती हैं. बादल, पहाड़ और हवा मिलकर दर्शनीय खेलों का नजारा पेश करते हैं.
ये है मेदीकेरी का एब्बी फॉल,, जो कावेरी नदी के ऊंचाई से गिरने पर बनता है. इसके दोनों ओर नजर आ रहे पौधे कॉफी के हैं. ये काफी दर्शनीय है . (Photo – Sanjay Srivastava)
सुबह मेदकेरी के पर्वत रेंज के नीचे बादल आराम करते मिलते हैं. जैसे जैसे धूप 09-10 बजाती है, तब ये बादल धीरे धीरे विदा होने लगते हैं और पर्वत नजर आने लगते हैं. दिन भर मौसम साफ होता है या उमड़ते घुमड़ते बादल आते हैं और कुछ बारिश करके निकल जाते हैं.
मेदीकेरी में एक प्वाइंट है राजा सीट. यूं तो ये एक पार्क है लेकिन ऐसी जगह जहां से लोग उगते और डूबते सूरज के साथ बादलों के साथ आसमान में बनते बिगड़ते रंगों की छटा का आनंद लेते हैं.
और कावेरी नदी का उद्गम भी
दक्षिण भारत के सबसे बड़ी नदी मेदीकेरी से मुश्किल 40 किलोमीटर दूर तालाकावेरी नाम की जगह पर एक कंड से निकलती है, जो यहां की समृद्धि में भरपूर योगदान देती है. आखिर में ये कहूंगा कि अगर आप प्रकृति का महत्व समझेंगे तो प्रकृति भी आपको अपना खजाना लुटाएगा, जिसका एक खुशगवार उदाहरण मेदीकेरी तो है ही.
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Tags: Air pollution in Delhi, Air Quality Index AQI, AQI, Coffee, Karnataka, Mysuru, NatureFIRST PUBLISHED : October 20, 2022, 14:08 IST