Opinion: मानगढ़ धाम की गौरव गाथा आदिवासी इतिहास संस्कृति और वीरता को पीएम मोदी ने दी नई पहचान
Opinion: मानगढ़ धाम की गौरव गाथा आदिवासी इतिहास संस्कृति और वीरता को पीएम मोदी ने दी नई पहचान
Tribal History: मानगढ़ धाम को 17 नवंबर 1913 की घटना के कारण जाना जाता है. समाज सुधारक और आदिवासी नेता गोविंद गुरु के नेतृत्व में डेढ लाख से ज्यादा भील आदिवासियों ने मानगढ़ किले को घेर लिया था. अंग्रेजों ने उन पर जलियांवाला बाग की तरह ही गोलियों की बरसात कर दीं. इसमें 1500 से ज्यादा आदिवासी मारे गए थे और इस कारण इस घटना को आदिवासी जलियांवाला के नाम से भी जाना जाता है. पीएम मोदी अब आदिवासियों के इसी त्याग, बलिदान और संस्कृति को पहचान दे रहे हैं.
1 नवंबर को पीएम मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में एक यादगार कार्यक्रम में हिस्सा लिया. ये कार्यक्रम था मानगढ़ धाम की गौरव गाथा. ये सार्वजनिक कार्यक्रम एक श्रद्धांजलि था स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए उन आदिवासी वीरों का जिनकी शौर्य गाथा और शहादत के बारे में इतिहास में वर्णन तो दूर इनकी वीरता के किस्से तक नहीं गढ़े गए. मानगढ़ धाम जाना जाता है 17 नवंबर 1913 की घटना के कारण. समाज सुधारक और आदिवासी नेता गोविंद गुरु के नेतृत्व में डेढ़ लाख से ज्यादा भील आदिवासियों ने मानगढ़ किले को घेर लिया था. तब अंग्रेजों ने उन पर जलियांवाला बाग की तरह ही गोलियों की बरसात कर दी. इस हत्याकांड में 1500 से ज्यादा आदिवासी मारे गए थे और इस कारण इस घटना को आदिवासी जलियांवाला के नाम से भी जाना जाता है.
पीएम नरेन्द्र मोदी ने मानगढ़ के कार्यक्रम में पहुंचते ही भील स्वतंत्रता सेनानी गोविंद गुरु को श्रद्धांजली दी और कहा कि दुर्भाग्य से मानगढ़ के आदिवासी समाज के बलिदान को इतिहास मे जो जगह मिलनी चाहिए, उन्हे वो जगह नहीं मिली. आज देश उस कमी को पूरा कर रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत का अतीत, इतिहास, वर्तमान और भविष्य आदिवासी समाज के बिना पूरा नहीं होता. बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री भी नरेन्द्र मोदी ने गोविंद गुरु के लिए अपार श्रद्धा दिखायी.
गुजरात के सीएम के तौर भी मानगढ की घटना और गोविंद गुरु का सम्मान
30 जुलाई 2012 को गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने मानगढ की पहाड़ियों से 63 वां वन महोत्सव शुरू किया. मानगढ धाम के आदिवासी शहीदों की याद में 1507 पेड़ लगाए गए. एक जैविक उद्यान का उद्घाटन भी किया जिसका नाम गोविंद गुरु स्मृति वन रखा गया. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने गोविंद गुरु के पोते मान सिंह को सम्मानित भी किया. इसके बाद 30 सितंबर 2012 को पीएम मोदी ने गोविंद गुरु की प्रतिमा का भी अनावरण किया. गोविंद गुरु और आदिवासी शहीदों को याद करते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में जलियांवाला बाग में जो खून की होली खेली गयी उसका जिक्र तो है, लेकिन मानगढ़ हत्याकांड का कोई जिक्र तक नहीं है. आदिवासी भाईयों की शहादत को लोग भूल गए हैं. बिरसा मुंडा जैसे आदिवासी वीर और गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1500 आदिवासी युवकों ने बिना किसी हिचक के ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्ति दिलाने के लिए जान दे दी थी. नरेन्द्र मोदी ने कहा कि स्वतंत्र और बेहतर भारत के बीज मानगढ़ की जमीन पर ही बोए गए थे. अब कोई भी गोविंद गुरु को भूला नहीं पाएगा. अब कोई नहीं भूलेगा कि कैसे देश की आजादी के लिए आदिवासी वीरों ने अपनी जान दी थी.
सितंबर 2012 को गुजरात के एनआरआई से संवाद करते हुए पीएम मोदी ने मानगढ के हीरो गोविंद गुरु को खूब याद किया था. नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए ये सुनिश्चित किया कि गुजरात सरकार गोविंद गुरु पर एक किताब छापे. किताब छपी भी और उसकी प्रस्तावना यानि फोरवर्ड खुद सीएम नरेन्द्र मोदी ने लिखा था.
सीएम रहते नरेन्द्र मोदी ने आदिवासियों से सीधा तार जोड़ा
आदिवासियों के बीच न सिर्फ प्रचारक के तौर पर काम किया बल्कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के हर गांव को 24 घंटे बिजली की सप्लाई देने की योजना को अमली जामा पहनाना शुरू किया. उन्होंने ये भी सुनिश्चित किया कि आदिवासी डांग जिला पहला जिला बना जहां 24 घंटे बिजली की आपूर्ति शुरू की गयी. सीएम मोदी ने आदिवासियों के उत्थान और कल्याण के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए. इसमें वाडी योजना महत्वपूर्ण थी. इस योजना के तहत आदिवासी इलाकों में खेती को नये आयाम देने का अभियान था. वनबंधु कल्याण योजना को 2007 में शुरू किया गया जिसमें आदिवासी समाज की जरूरतों और सपनों को नयीं उड़ान देने का कार्यक्रम था. आदिवासी इलाकों में हजारों स्कूल बनाएगा और उनमें से कई स्कूलों को आधुनिकिकरण के लिए चुना गया है. विद्यालयों के आधुनिकीकरण का ये कार्यक्रम पीएम मोदी ने शुरू किया है हाल में ही शुरू किए गए मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के तहत. अपने मुख्यमंत्रित्व काल में नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2012 में गरीबी रेखा के नीचे रह रहे 2 लाख से ज्यादा आदिवासियों को घर देने का ऐलान किया था. गुजरात के आदिवासी बाहुल्य 45 तालुकों के उच्च शिक्षा वाले विद्यालयों में विज्ञान की पढाई शुरु की गयी.
पीएम मोदी 8 सालों में आदिवासी इतिहास, संस्कृति को सम्मान देते रहे
आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर आजादी की लड़ाई के अनसुने और अनजाने वीरों को याद करना और उन्हें सम्मान देना. पीएम मोदी की कार्यशैली का एक ऐसा अनूठा अध्याय है, जिसके कारण आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना पूरे देश को आ गया है. झारखंड के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के जन्मदिन 15 नवंबर को आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाने का ऐलान कर पीएम मोदी ने आदिवासी समाज को सम्मान देने की एक पहल शुरू की. फिर देश के 10 विभिन्न हिस्सों में 10 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय बनाने का फैसला भी आदिवासी समाज को खुशी से भर गया. इसी कड़ी में देश के पहला भगवान बिरसा मुंडा स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन 15 नवंबर 2021 को हुआ.
द्रौपदी मुर्मू बनीं देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति
वाकई ये देश के लिए गौरव का क्षण था और दुनिया भर को संदेश जब एक ऐतिहासिक फैसले में पीएम मोदी ने देश के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू के नाम का प्रस्ताव रखा. द्रौपदी मुरमु देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनीं और आजादी के बाद पहला ऐसा मौका आया कि आदिवासी समुदाय से कोई व्यक्ति देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हुआ है.
देश में 27 आदिवासी रिसर्च इंस्टीट्यूट स्थापित किए गए
देश भर में 27 आदिवासी रिसर्च इंस्टीट्यूट स्थापित किए गए हैं जिनका काम एक थिंक टैंक की तरह आदिवासी समुदाय पर तमाम सूचनाओं को एकत्र कर उसे मुकाम तक पहुंचाना. आदिवासी सांस्कृतिक विरासत, आदिवासियों के इतिहास और उससे जुडे रिसोर्स और तारों को सुरक्षित रखने और आगे बढ़ाने के लिए एक डिजिटल आदिवासी रिपोजिटरी भी विकसित की जा रही है जिसमें आदिवासियों से जुड़े रिसर्च पेपर, किताबें, रिपोर्ट और दस्तावेज, लोक गीत और आदिवासियों से जुड़ी तस्वीरें भई एक साथ एक जगह पर मिलनी संभव हो जाएंगी.
आदिवासी विकास पर मोदी सरकार का विशेष ध्यान
आदिवासी जनसंख्या के उत्थान के लिए केन्द्र सरकार कई योजनाएं चला रही है. इनमें आदिवासियों के कौशल विकास और आर्थिक उत्थान के कार्यक्रम प्रमुख हैं. इसमें पीएम जनजातीय मिशन जिसके तहत आदिवासियों द्वारा बनाई गयी चीजों के बनने से लेकर मार्केटिंग तक का जिम्मा सरकार ले लेती है। एक और महत्वपूर्ण वन धन योजना जंगल में रहने वाले आदिवासियों की अतिरिक्त कमाई के लिए शुरू की गयी है। हनी मिशन को खादी ग्रामोद्योग 2017.18 से आगे बढ़ रहा है जिसमें शहद बनाने के लिए मधुमक्खी पालन जैसे काम शामिल हैं। ट्राईफेड जैसे विभाग आदिवासी प्रोडक्ट्स को अब दुनिया भर के 63 भारतीय मिशनों और दूतावासों को भेज रहा है जहां आत्मनिर्भर भारत कार्नर स्थापित किए जा रहे हैं। अब तक ऐसे 42 आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर स्थापित किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त ट्राईफेड देश भर में आदि महोत्सव आयोजित कर रहा है जहां आदिवासी समाज अपने बनाए समान की प्रदर्शनी लगा कर उन्हे बेच भी सकता है.
आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए एकलव्य मॉडल आवास विद्यालय
आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए एकलव्य मॉडल आवास विद्यालय को मजबूत किया जा रहा है. अब तक जारी आंकड़ों के मुताबिक ऐसे 378 एकलव्य स्कूल स्थापित हो चुके हैं जहां एक लाख से ज्यादा आदिवासी बच्चे शिक्षा पा रहे हैं. पीएम मोदी ने एक पहल करते हुए आदिवासी युवाओं की उच्च शिक्षा के लिए दो आदिवासी विश्वविद्यालय स्थापित किए हैं. एक बिरसा मुंडा ट्राईबल युनिवर्सिटी, नर्मदा और दूसरा गोविंद गुरु विश्वविद्यालय, गोधरा में बनाया गया है.
आदिवासियों की कुर्बानी और इतिहास को पीएम मोदी ने पहचाना
इसलिए ये कहा जा सकता है कि राजस्थान के बांसवाड़ा में आयोजित मानगढ धाम की गौरव गाथा को एक अलग थलग कार्यक्रम के रूप में नहीं देखना चाहिए. बल्कि ये नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात और फिर दिल्ली की सरकारों के आदिवासी कल्याण के निरंतर और सतत प्रयास के तौर पर देखा जाना चाहिए. आखिर बतौर सीएम और फिर पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के आदिवासी समाज की कुर्बानी, उनकी संस्कृति और इतिहास को पहचाना और उसे सम्मान और ताकत देना हर वक्त अपनी प्राथमिकता में रखा.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए up24x7news.comHindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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Tags: Pm narendra modi, Tribal culturalFIRST PUBLISHED : November 01, 2022, 20:18 IST