JNU में पढ़ींलंदन स्टोर में काम कर चुकीं निर्मला ने कैसे जमाई वित्त में धाक

निर्मला सीतारमण को प्रधानमंत्री ने लगातार दूसरी बार वित्त मंत्री बनाया है, जो दिखाता है कि वह सरकार की नीतियों के साथ अपने महकमे में जिस तरह काम करके उसे आगे बढ़ा रही हैं. जानते हैं निर्मला की खासियतों के बारे में, जिसने उन्हें यहां तक पहुंचाया.

JNU में पढ़ींलंदन स्टोर में काम कर चुकीं निर्मला ने कैसे जमाई वित्त में धाक
हाइलाइट्स निर्मला सीतारमण 06 बार बजट पेश कर चुकी हैं, जो एक रिकॉर्ड है उनके वित्त मंत्री बनते ही बाजार ने दिया उत्साहजनक संकेत मनोयोग से अखबार पढ़ती हैं, शास्त्रीय संगीत सुनने की शौकीन 64 साल की निर्मला सीतारमण को जब करीब 05 साल पहले अरुण जेटली की जगह वित्त मंत्री बनाया गया, तो किसी को शायद ही उम्मीद रही हो कि वो इस पद के लिए इतनी स्वाभाविक च्वाइस बन जाएंगी कि ना केवल इस पद पर फिर लौटेंगी बल्कि नरेंद्र मोदी सरकार में लगातार तीसरी बार केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ लेकर कोर मिनिस्टर्स में शामिल हो जाएंगी. उन्होंने सियासी करियर में पहचान यूपीए काल में बनाई थी. जब नितिन गड़करी के बीजेपी के अध्यक्ष रहते उन्हें बीजेपी का प्रवक्ता बनाया गया. वह तेजतर्रार प्रवक्ता साबित हुई. 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो गईं. उन्होंने उद्योग और वाणिज्य मंत्री के रूप में शुरुआत की. फिर देश की पहली महिला रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया. अरुण जेटली के बीमार होने पर वित्त मंत्री बनाया गया  जब अरुण जेटली अस्वस्थ हो गए, तो उन्हें वित्त मंत्रालय दिया गया. वह देश की पहली पूर्णकालिक वित्त मंत्री बनीं. सीतारमण के नाम लगातार छह केंद्रीय बजट पेश करने का रिकॉर्ड है. अगले साल जब वो वित्त मंत्री के रूप में बजट पेश करेंगी तो अपना ही मौजूदा रिकॉर्ड तोड़ देंगी, जो उन्होंने मोरारजी देसाई के साथ बराबरी करते हुए बनाया है. मोदी 2.0 सरकार में सीतारमण ने वहीं से शुरुआत की जहां जेटली ने छोड़ा. उन्होंने सुधारों को आगे बढ़ाया  मोदी 2.0 सरकार में सीतारमण ने वहीं से शुरुआत की जहां जेटली ने छोड़ा. उन्होंने मोदी सरकार में दूसरी पीढ़ी के सुधारों को आगे बढ़ाया. आलोचनाओं के बीच उन्होंने पहले कार्यकाल में भाजपा सरकार की आर्थिक नीतियों का बचाव किया, जिसमें नोटबंदी और जीएसटी लागू करना शामिल है. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उन्होंने बेस कॉरपोरेट टैक्स को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया. राजकोषीय विस्तार के बीच भी, उन्होंने राजकोषीय समेकन पर ध्यान केंद्रित किया. वित्त वर्ष 24 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.8 प्रतिशत से घटाकर 5.6 प्रतिशत करने में सफल रहीं. क्यों थीं फिर वित्त मंत्री बनने के लिए आदर्श विकल्प सीतारमण ने केंद्रीय बजट के लिए औपनिवेशिक युग के बजट ब्रीफकेस की जगह डिजिटल बही-खाता का इस्तेमाल किया. चूंकि भारतीय उद्योग जगत के साथ-साथ संस्थागत और खुदरा निवेशकों को नीतिगत निरंतरता की उम्मीद है, इसलिए सीतारमण केंद्रीय वित्त मंत्रालय का नेतृत्व करने के लिए आदर्श विकल्प थीं. अनुभव के अलावा उनके पास इस क्षेत्र में विशेषज्ञता भी है. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अर्थशास्त्र में मास्टर्स किया और फिर एमफिल. राजनीति में आने से पहले, सीतारमण हैदराबाद में सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी स्टडीज के उप निदेशक के रूप में काम कर चुकी हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अर्थशास्त्र में मास्टर्स किया और फिर एमफिल. (वीडियो ग्रैब X/@rishibagree) पति के साथ लंदन गईं तो वहां कई जगहों पर काम किया तमिलनाडु के तमिल आयंगर परिवार में पैदा हुई निर्मला सीतारमण की शुरुआती पढ़ाई मद्रास और तिरुचिरापल्ली से हुई. उनके पिता रेलवे में काम करते थे और उनकी माँ एक गृहिणी थीं. 1980 में तिरुचिरापल्ली के सीतालक्ष्मी रामास्वामी कॉलेज से उन्होंने इकोनॉमिक्स में डिग्री ली. फिर पति के साथ लंदन चली गईं, जहां रीजेंट स्ट्रीट में होम डेकोर स्टोर हैबिटेट में एक सेलर के तौर पर काम भी किया. इसी प्रवास के दौरान उन्होंने एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स एसोसिएशन में एक इकोनॉमिस्ट के सहायक के रूप में काम किया. प्राइसहाउस वाटरकूपर्स के लिए भी काम किया. कुछ समय के लिए वह लंदन में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में भी रहीं. उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य के रूप में भी काम किया. कब बीजेपी ज्वाइन की वह और उनका परिवार 1991 में भारत लौट आए. 2004 में वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गईं. शुरुआत में जब वह बीजेपी की ओर से टीवी बहस वाले प्रोग्राम्स में आती थीं तो असरदार तरीके से अपनी बात रखती थीं. निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2004 में बीजेपी ज्वाइन की. उसके बाद वह तेजी से सीढ़ियां चढ़ती गईं. खासकर पार्टी प्रवक्ता के तौर पर उन्होंने अपनी पहचान बनाई. क्या होगी अब उनके सामने बड़ी चुनौती नए वित्त मंत्री के लिए इस बार सबसे बड़ी चुनौती एनडीए में बीजेपी के दोनों बड़े सहयोगी जनता दल यूनाइटेड और तेलगूदेशम को विश्वास में लेना होगा. साथ ही आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए खास योजना तैयार करना होगा. ये भी देखना होगा कि इन दोनों को राज्यों को विशेष दर्जा देने के लिए वह उनके लिए किस तरह आर्थिक पैकेज देती हैं क्यों सीतारमण वित्त मंत्री पद के लिए नेचुरल पसंद थीं नीति निरंतरता – वित्त मंत्री के पद पर उनका फिर से नियुक्त होना नीति निरंतरता सुनिश्चित करती है, जो इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है. इससे बाजार की चिंताएं कम होंगी और निवेशकों का विश्वास मिलेगा. विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन – सीतारमण को उनके विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन के लिए जाना जाता है, जिसके कारण महामारी के बाद से राजकोषीय घाटे में गिरावट आई. ये राजकोषीय अनुशासन जारी रहने की उम्मीद है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत राजकोषीय स्थिरता के पथ पर चलता रहे. निर्मला सीतारमण को बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान देना होगा तो ज्यादा नौकरियां पैदा करने का भी दबाव रहेगा.  बुनियादी ढांचा विकास – विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर उनका ध्यान जारी रहने की संभावना है. इससे नौकरियां पैदा करने और आर्थिक विकास को गति देने में मदद मिलेगी. आर्थिक प्रदर्शन – उनके कार्यकाल में, भारत ने महत्वपूर्ण आर्थिक विकास देखा है. साथ ही देश दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. उनके नेतृत्व ने भारत को महामारी से निपटने और मजबूत आर्थिक प्रदर्शन बनाए रखने में मदद की. विशेषज्ञता और अनुभव – सीतारमण की अर्थशास्त्र में मजबूत पृष्ठभूमि है. जेएनयू से उन्होंने इकोनॉमिक्स में मास्टर्स डिग्री ली. ब्रिटेन में रहते हुए उन्होंने कॉर्पोरेट क्षेत्र में अनुभव हासिल करके आर्थिक प्रबंधन पर एक दृष्टिकोण हासिल किया. बाज़ार का विश्वास – उनको फिर से वित्त मंत्री बनाए जाने की अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों ने तारीफ की है. ये बात शेयर बाजार में दिख भी रही है. इससे बाज़ार की स्थिरता और आत्मविश्वास बनाए रखने में मदद मिलेगी. शास्त्रीय संगीत पसंद है उन्हें शास्त्रीय संगीत पसंद है. वह समय-समय पर उन्हें सुनती हैं. भगवान कृष्ण की भक्त हैं. उन्हें पढ़ना भी पसंद है. वह रोज कई अखबार पढ़ती हैं. एक जमाने में यात्रा, ट्रैकिंग और खाना बनाना उनके प्रिय शौक थे. अब तो खैर इसके लिए समय ही नहीं मिलता.अंग्रेजी तो वह फर्राटे से बोलती हैं लेकिन एक समय हिंदी में उनको मुश्किल होती थी, अब तो खैर उन्होंने उसको भी दूर कर लिया है. जेएनयू में प्यार और फिर शादी जेएनयू की पढ़ाई के दौरान ही सीतारमण को परकला प्रभाकर से प्यार हो गया. दोनों ने 1986 में शादी की. प्रभाकर आंध्र प्रदेश के नरसापुरम से हैं. जहां निर्मला का झुकाव बीजेपी की ओर था तो उनके पति का परिवार कांग्रेसी है. पति प्रभाकर आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के संचार सलाहकार के रूप में काम कर चुके हैं. बेटी लाइमलाइट से दूर रहती है उनकी बेटी वांगमयी परकला लोगों की नजरों से दूर रहती है. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक और परास्नातक की डिग्री प्राप्त की. फिर अमेरिका में पत्रकारिता में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की. वह मिंट लाउंज के लिए फीचर लेखन करती रही हैं. Tags: Finance Minister, Finance minister Nirmala Sitharaman, Finance ministry, Former JNU studentFIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 17:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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