महाभारत: क्यों अर्जुन के विवाह पर क्रोध से तिलमिलाईं द्रौपदी माना विश्वासघात
महाभारत: क्यों अर्जुन के विवाह पर क्रोध से तिलमिलाईं द्रौपदी माना विश्वासघात
Mahabharat Katha: माना जाता है द्रौपदी के लिए सभी पांडवों में सबसे खास अर्जुन ही थे. द्रौपदी ने शादी के बाद शर्त रखी थी अब उसके अलावा कोई अन्य स्त्री इस घर में नहीं आएगी.
हाइलाइट्स द्रौपदी ने इसके लिए बहुत दिनों तक अर्जुन को माफ नहीं किया, वह क्रोध में भरी रहीं उन्होंने इसे खुद के साथ धोखा माना और ये माना कि अर्जुन ने दूसरी शादी करके विश्वासघात किया हालांकि बाद में द्रौपदी को पांडवों की अन्य शादियों के बाद उनकी पत्नियों को भी अपनाना पड़ा
ये बहुत जटिल सवाल है कि जब अर्जुन ने द्रौपदी को स्वयंवर में वरण करने के बाद बाद में दो शादियां सुभद्रा और उलूपी से कीं तो क्यों द्रौपदी बहुत नाराज हो उठीं थीं. उन्होंने अर्जुन को बुरी तरह लताड़ा था. फिर उसके इन पत्नियों से कैसे रिश्ते रहे. और ये दूसरी पत्नियां भी अर्जुन के साथ द्रौपदी के रिश्तों को कैसे बर्दाश्त कर पाती थीं.
हालांकि ये बात सही है कि पांडव परिवार में पहला विवाह तब हुआ था जबकि अर्जुन ने स्वयंवर में ब्राह्णण के वेश में मछली की आंख में तीर चलाकर द्रौपदी को स्वयंवर में जीत लिया था. ऐसे में द्रौपदी को कायदे से तो अर्जुन की ही पत्नी होना चाहिए था लेकिन कुंती ने अनजाने में ऐसी बात कही कि उसे पांचों पांडवों की पत्नी बनना पड़ा. जो उस समय के लिहाज से भी बहुत विचित्र बात थी.
कहा जाता है कि बेशक इसके बाद द्रौपदी को पांचों पांडवों के साथ खुद को बांटना पड़ा लेकिन शायद उसका सबसे ज्यादा अनुराग अर्जुन के साथ ही था. उसकी वजह ये हो सकती है कि स्वयंवर उन्होंने ही जीता था, दूसरे वह उन्हें पहले से पसंद करती थीं. ऐसे में तब द्रौपदी बहुत नाराज हो गईं जबकि अर्जुन ने बाद में अन्य विवाह किए.
जब वनवास के दौरान ही अर्जुन ने युधिष्ठिर-द्रौपदी के मिलन के दौरान शर्त तोड़ी और उस कमरे में उन्हें जाना पड़ा तो उन्होंने खुद को सजा देते हुए 12 वर्ष का वनवास ले लिया.
कैसे अर्जुन ने वनवास में तीन विवाह किये
इसी दौरान उलूपी उनके प्रेम में पड़ गईं. और अर्जुन ने उससे विवाह रचा लिया. इसी क्रम में जब अर्जुन ने उलूपी से शादी करने के बाद उन्हें उसके ही राज्य में छोड़कर आगे तीर्थयात्रा शुरू की तो मणलूर में चित्रवाहन नाम के राजा की पुत्री चित्रांगना को देखते ही सुधबुध खो बैठे. वो उसके प्रेम में पड़े और सीधे सीधे राजा के पास जाकर चित्रांगदा का हाथ मांग लिया. वहां उन्होंने उससे विवाह किया. तीन साल तक साथ रहे. चित्रांगदा पिता का राज्य नहीं छोड़ सकती थी, लिहाजा अर्जुन आगे बढ़ गए.
इसके बाद जब अर्जुन जब प्रभास क्षेत्र में पहुंचे औऱ उनकी मुलाकात कृष्ण से हुई तो उनकी नजर कृष्ण की सौतेली बहन सुभद्रा पर पड़ी. वह उससे भी प्यार कर बैठे. वह उसे भगा ले गए. जब द्रौपदी को मालूम हुआ कि अर्जुन ने पांडवों से अलग जाकर 12 वर्ष तक वनवास में रहने के दौरान तीन शादियां कर लीं और वह कृष्ण की सौतेली बहन सुभद्रा को ब्याह करके घर ला रहे हैं तो वह भावनात्मक तौर पर काफी आहत हो गईं. (Image generated by Leonardo AI)
जब वह सुभद्रा से शादी करके उसको साथ लेकर लौटे तो द्रौपदी को सारी बात पता चल चुकी थी कि किस तरह अर्जुन ने इस दौरान तीन शादियां कर लीं. सुभद्रा को तो अब वह घर लेकर आ गए हैं. हालांकि बाद उलूपी और चित्रांगदा भी हस्तिनापुर आ गईं
तब द्रौपदी बुरी तरह क्रोधित थीं
जब अर्जुन सुभद्रा को लेकर घर लौटे तो द्रौपदी बिफरी हुईं थीं. बुरी तरह से क्रोधित. वह ये महसूस कर रही थीं कि अर्जुन ने ऐसा करके उनके साथ विश्वासघात किया है. वह इतनी नाराज थीं कि अर्जुन के सामने आने से इनकार कर दिया. भावनात्मक तौर पर उनके अंदर उथलपुथल मची हुई थी.
क्यों द्रौपदी ने विश्वासघात महसूस किया
द्रौपदी को सुभद्रा से विवाह करने के अर्जुन के निर्णय से विश्वासघात इसलिए महसूस हुआ, क्योंकि जब वह शादी करके पांडवों के घर में आईं थीं तो उन्होंने पहले ही ये शर्त रखी थी कि अब उनके अलावा कोई अन्य महिला उसके घर में नहीं रहेगी. लिहाजा अर्जुन का ये काम सीधे सीधे उनके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाने वाला था और शर्त तोड़ने वाला भी. द्रौपदी को क्रोध में बहते हुए और अर्जुन पर अपना वादा तोड़ने का आरोप लगाया.
वह क्रोध से भर उठी थीं
उसकी अपेक्षाओं के उल्लंघन ने उसे चोट और आक्रोश से भर दिया. उसका मानना था कि अर्जुन के साथ उसका बंधन सबसे खास और अभिन्न जैसा है. अर्जुन के विवाह के बारे में जानने पर, द्रौपदी को बहुत अधिक भावनात्मक पीड़ा का अनुभव हुआ. उसने हमेशा अर्जुन का पक्ष लिया था. उसे पांडवों में अपना सबसे करीबी साथी माना था. जब अर्जुन ने सुभद्रा का हरण करके उनसे शादी और उन्हें साथ लेकर घर लौटे तो द्रौपदी लंबे समय तक उनसे नाराज रहीं. सुभद्रा से भी वह खिन्न रहती थीं. (Image generated by Leonardo AI)
द्रौपदी को क्यों लगा कि वह तबाह हो गईं
अब जबकि अर्जुन दूसरी पत्नी के तौर पर सुभद्रा को साथ लेकर लौटे तो दूसरी पत्नी के साथ रहना उनके लिए कष्टदायक था. उन्हें ये भी लग रहा था कि इससे परिवार के भीतर उसकी सुरक्षा और स्थिति की भावना को खतरा था. इसलिए द्रौपदी को ये एहसास हुआ कि उसका बहुत नुकसान हो गया है, वह तबाह हो गई हैं. वह अर्जुन के 12 सालों तक अलग रहने के कारण उनके लिए तड़पती थीं. अब तो अर्जुन ने इसे और भी ज्यादा पीड़ा से भर दिया है.
द्रौपदी मजबूत चरित्र की थीं और जबरदस्त दृढ़ता वाली स्त्री थीं तो वह किसी भी मुद्दे पर चुप नहीं रहती थीं तुरंत मुखर होती थीं. उन्होंने अर्जुन को गुस्से में खूब भला-बुरा कहा. हालांकि अब वह कर ही क्या सकती थीं.
कैसे फिर सुभद्रा को अपनाया
लेकिन तब भी अर्जुन जब जब द्रौपदी को मनाने की कोशिश करते थे, वह रूठकर कहती थीं, सुभद्रा के पास ही जाओ. तब केवल अर्जुन ही नहीं बल्कि सुभद्रा ने भी द्रौपदी से याचना की. सुभद्रा को कहना पड़ा-मैं तुम्हारी दासी हूं. बस इतना कहते ही द्रौपदी का गुस्सा हल्का पड़ा और उसने तब सुभद्रा को अपनाया. बेशक द्रौपदी लंबे समय तक अर्जुन से नाराज रहीं लेकिन उन्होंने किसी तरह उन्हें मनाया. फिर सुभद्रा और द्रौपदी के बीच रिश्ते सामान्य हो पाए. (Image generated by Leonardo AI)
व्यास की महाभारत में द्रौपदी को स्थिति को शालीनता से संभालते हुए दिखाया गया है.हालांकि उसने अर्जुन को तुरंत माफ़ नहीं किया, लेकिन उसने आखिरकार सुभद्रा को परिवार में स्वीकार कर लिया. बाद में द्रौपदी और सुभद्रा अच्छी सहेलियां बन गईं. बहनों की तरह एक-दूसरे से जुड़ गईं.
द्रौपदी सुभद्रा और अर्जुन के बेटे अभिमन्यु को अपने बच्चे की तरह प्यार करती थी. जब पांडव पासा का खेल हारने के बाद वनवास पर चले गए, तो सुभद्रा ने द्रौपदी के बच्चों की देखभाल की.
बाद में पांडवों की अन्य पत्नियों के साथ तालमेल किया
हालांकि बाद में युधिष्ठिर से लेकर दूसरे पांडवों मसलन भीम, नकुल और सहदेव सभी ने अन्य शादियां कीं लेकिन दूसरे पांडव भाइयों की शादियों पर द्रौपदी ने ये नाराजगी नहीं जाहिर की. हालांकि द्रौपदी का दर्जा हमेशा मुख्य रानी का बना रहा. जब युधिष्ठिर महाभारत का युद्ध होने के बाद राजा बने तो मुख्य रानी होने के नाते द्रौपदी ही उनके साथ सिंहासन पर बैठती थीं.
सभी पांडव पत्नियों से रिश्ते बेहतर हो गए
हालांकि समय के साथ द्रौपदी के रिश्ते अर्जुन की अन्य पत्नियों उलूपी और चित्रांगदा से भी बेहतर हो गए लेकिन इसी शर्त पर सभी पत्नियों को उसे समुचित सम्मान देना होगा. समय के साथ उसने पांडवों की सभी पत्नियों को अपने विस्तारित परिवार के हिस्से के रूप में स्वीकार कर लिया होगा, ठीक उसी तरह जैसे उसने अर्जुन की शादी के बाद सुभद्रा को स्वीकार किया था.
कुछ समय के बाद पांडवों की अन्य पत्नियों ने भी साथ साथ रहना सीख लिया होगा. युद्ध के बाद 15 वर्षों तक द्रौपदी और अन्य पांडव पत्नियों ने मिलकर हस्तिनापुर में अंधे राजा धृतराष्ट्र और उनकी पत्नी गांधारी की देखभाल की. जब पांडव हिमालय की अपनी अंतिम यात्रा पर निकले, तो द्रौपदी उनके साथ चली गईं, लेकिन कुछ अन्य पत्नियां वहीं रुक गईं. सुभद्रा राजमाता के रूप में राज्यों का मार्गदर्शन करने के लिए रुकीं.
Tags: 2 marriages story, Mahabharat, Marriage newsFIRST PUBLISHED : September 11, 2024, 13:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed