महाभारत कथा: कैसे नदी में गिरे वीर्य से पैदा हुईं पांडवों की पड़दादी सत्यवती
महाभारत कथा: कैसे नदी में गिरे वीर्य से पैदा हुईं पांडवों की पड़दादी सत्यवती
क्या आपको मालूम है कि पांडवों की दादी सत्यवती कैसे पैदा हुईं. जानेंगे तो चकरा जाएंगे. ये सत्यवती वही थीं, जिन पर राजा शांतनु रीझ गए. तब भीष्म को भीष्म प्रतिज्ञा करनी पड़ी थी. उसकी वजह वही थीं. सत्यवती अपूर्व रूपवती थीं लेकिन उनके जन्म की कहानी बहुत अजीबगरीब है ऐसी कि विश्वास ही नहीं होगा. लेकिन महाभारत के जमाने में तो ऐसा बहुत होता था.
हाइलाइट्स महाभारत की कहानी की शुरुआत जिस स्त्री से होती है, वो सत्यवती हैं वह पांडवों के बाबा विचित्रवीर्य की मां थीं, जिनसे पांडु और धृतराष्ट्र का जन्म हुआ मछली के पेट से पैदा हुईं थीं राजा शांतनु की पत्नी सत्यवती
महाभारत दौर की कुछ कहानियां या घटनाएं ऐसी हैं कि जानकर कोई भी चकरा जाए. क्या आपको मालूम है कि पांडवों की पड़दादी सत्यवती कैसे पैदा हुईं. जानेंगे तो चकरा जाएंगे. ये सत्यवती वही थीं, जिन पर राजा शांतनु रीझ गए. तब भीष्म ने अपने पिता की शादी उनसे कराई. तभी भीष्म को ये भीष्म प्रतिज्ञा करनी पड़ी कि वो जीवन में कभी विवाह नहीं करेंगे. सत्यवती अपूर्व रूपवती थीं. उनके जन्म की कहानी बहुत अजीबगरीब है. ऐसी कि विश्वास नहीं होगा.
महाभारत की कहानी की शुरुआत जिस स्त्री से होती है, वो सत्यवती हैं, जिन्हें देखकर हस्तिनापुर के राजा शांतनु मोहित हो जाते हैं. बाद में सशर्त उनकी सत्यवती से शादी होती है, जिससे उनके दो बेटे होते हैं. ये होते हैं चित्रांगद और विचित्रवीर्य. फिर विचित्रवीर्य की पत्नियों से पांडु और धृतराष्ट्र का जन्म होता है. महाभारत में ऋषि व्यास इस कथा को कहते हैं.
उस समय चेदि नाम का एक देश होता था, जिसके पुरु वंश के राजा थे उपरिचर वसु. उपरिचर इंद्र के दोस्त थे. उनके विमान से ही वह आकाश का गमन किया करते थे, इसी वजह से उनका नाम उपरिचर पड़ गया. generated by leonardo ai
उपरिचर की राजधानी के करीब शुक्तिमत नाम की नदी थी. एक दिन राजा शिकार खेलने गया. तभी वह अपनी रूपवती पत्नी गिरिका का स्मरण करने लगा. इससे वह कामासक्त हुआ. कथा कहती है, इससे उसका वीर्य स्खलित हो गया, उसने इसे एक बाज पक्षी को दिया और कहा कि इसे उसकी पत्नी तक पहुंचा दिया जाए.
वीर्य से नदी की मछली गर्भवती हो गई
जब बाज वहां से इसे लेकर उड़ा तो रास्ते में उस पर आक्रमण हो गया. नतीजतन ये वीर्य नदी में गिर गया. उस समय नदी में एक अप्सरा रहती थी, जिसका नाम अद्रिका था, वह ब्रह्मशाप के चलते मछली में बदल गई थी. नदी में ही अपना समय काट रही थी. उसने वह वीर्य ग्रहण कर लिया. जिससे वह गर्भवती हो गई. जब देवव्रत को ये मालूम हुआ कि उसके पिता सत्यवती से विवाह करना चाहते हैं लेकिन इसमें अड़चन है तो वह खुद मछुआरे के पास पहुंचे और पिता के लिए उनकी बेटी का हाथ ही नहीं मांगा बल्कि भीष्म प्रतिज्ञा भी कर डाली. (by raja ravi verma)
मछली के गर्भ से मछुआरे को मिले एक लड़का और एक लड़की
दसवें महिने एक मछुवारे ने जाल फेंका. ये मोटी सी मछली उसके जाल में फंस गई. मछेरे को उस मछली के पेट से एक नवजात लड़का और लड़की मिले, जिसको वह राजा के पास ले गया. तभी अप्सरा शाप से मुक्त होकर आकाशमार्ग में चली गई. राजा उपरिचर ने मछुआरे से कहा, ये कन्या अब तुम्हारी ही रहेगी. लड़के को उसने अपने बेटे की अपना लिया, जो बाद मतस्य नाम का धार्मिक राजा हुआ.
वो लड़की ही सत्यवती यानि मतस्यगंधा थीं
अब आप सोच रहे होंगे कि इस लड़की का क्या हुआ. ये लड़की जैसे जैसे बड़ी होती गई, वैसे वैसे बहुत खूबसूरत होती गई. लेकिन चूंकि वह मछुआरों के साथ उन्हीं की बस्ती में रहती थी लिहाजा नाम मतस्यगंधा पड़ा. वही सत्यवती थी. उसके देह ऐसी सुगंध निकलती थी कि दूर दूर तक उसका भान हो जाता था. इसलिए उसका एक नाम योजनगंधा भी था.
इस तरह राजा शांतनु से सत्यवती की शादी हुई
एक दिन जब राजा शांतनु यमुना तट के करीब वन में थे तो उन्हें एक मोहक सुंगध का अहसास हुआ. जब उन्होंने सुगंध का पीछा किया तो ये एक रूपवती कन्या के पास जाकर खत्म हुई. वह सत्यवती थीं. राजा के पूछने पर उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा, मैं धीवर जाति की कन्या हूं. पिता के आदेशानुसार नाव चलाती हूं. शांतनु इस कन्या पर इतना मोहित हो गए कि उसका हाथ मांगने उसके पिता दासराज के पास जा पहुंचे. generated by leonardo ai
तब दासराज ने शर्त रखी कि अगर आप मेरी बेटी के गर्म से पैदा पुत्र को ही अपनी राजा की गद्दी सौपेंगे तो मैं इसका विवाह आपके साथ कर सकता हूं. शांतनु वचन नहीं दे पाए और राजधानी लौट आए. हालांकि इसके बाद वह उदास रहने लगे. जब उनके पुत्र देवव्रत को इसका पता लगा तो वह खुद मछुआरे के घर गए और वचन दिया कि ना तो मैं आजीवन विवाह करूंगा तो इस वजह से मेरा कोई पुत्र भी नहीं होगा जो सत्यवती के बेटों की राह में आएगा.
और सत्यवती के चलते ही देवव्रत को भीष्म पितामह कहा गया
देवव्रत की इसी प्रतिज्ञा पर उन्हें भीष्म पितामह कहा जाने लगा. अब सत्यवती का विवाह राजा शांतनु से हुआ. फिर सत्यवती के दो बेटे चित्रागंद और विचित्रवीर्य हुए. चित्रागंद की युद्ध में मृत्यु हो गई तो विचित्रवीर्य भी कुछ सालों बाद बीमारी से चल बसे. उनकी दो रानियां थीं. अंबिका और अंबालिका. दोनों बहनें थीं. दोनों बहनों का नियोग महर्षि व्यास से कराया गया, जिससे फिर पांडु और धृतराष्ट्र ने बेटों के रूप में जन्म लिया.
क्या है नियोग और इसको महर्षि व्यास ने क्यों किया
आप ये सोच रहे होंगे कि ये नियोग क्या होता है और इस नियोग को महर्ष व्यास से ही क्यों कराया गया. प्राचीन समय नियोग मनुस्मृति में पति द्वारा संतान उत्पन्न न होने पर या पति की अकाल मृत्यु की अवस्था में ऐसा उपाय था, जिसके अनुसार स्त्री अपने देवर अथवा सम्गोत्री से गर्भाधान करा सकती थी.’ अब ये सत्यवती ने महर्षि व्यास से क्यों कराया, ये भी जानते हैं.
विचित्रवीर्य के बगैर किसी संतान के मृत्यु हो जाने पर सत्यवती ने जब अंबिका और अंबालिका का नियोग कराने की बात की तो उन्होंने व्यास को बुलाया. उसी समय उन्होंने भीष्म को बताया कि व्यास भी उनके बेटे हैं. इसके बारे में भी जानिए
सत्यवती के शरीर से पहले मछली जैसी गंध आती थी. मत्स्यगंधा नाव से लोगों को यमुना पार कराती थी. एक दिन ऋषि पाराशर वहां पहुंचे. ऋषि को यमुना पार जाना था. वे मत्स्यगंधा की नाव में बैठ गए. इसी दौरान उन्होंने सत्यवती से कहा कि वह उसके जन्म से परिचित हैं और उससे एक पुत्र की कामना करते हैं. और जब सत्यवती ने स्वीकृति दी तो कुछ समय बाद सत्यवती ने पाराशर ऋषि के पुत्र को जन्म दिया.
जन्म लेते ही वह बड़ा हो गया. वह द्वैपायन नाम द्वीप पर तप करने चला गया. द्वीप पर तप करने और इनका रंग काला होने की वजह से वे कृष्णद्वैपायन के नाम से प्रसिद्ध हुए. इन्होंने ही वेदों का संपादन किया और महाभारत ग्रंथ की रचना की.
ऋषि पाराशर के वरदान से मत्स्यगंधा के शरीर से मछली की दुर्गंध खत्म हो गई. इसके बाद वह सत्यवती के नाम से प्रसिद्ध हुई.
और इस तरह ये वंश महाभारत की लड़ाई तक जा पहुंचा
पांडु के पांच बेटे थे, जो पांडव कहलाए और धृतराष्ट्र के सौ पुत्र हुए जो कौरव कहलाए लेकिन पांडव और कौरवों में कभी नहीं बनी, बाद में इन दोनों के बीच महाभारत का युद्ध हुआ. तो अब समझ गए होंगे कि किस तरह सत्यवती के जन्म के साथ महाभारत की कहानी की शुरुआत होती है.
Tags: MahabharatFIRST PUBLISHED : June 8, 2024, 08:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed