जब कुमाऊंनी पंत लड़की पर आया पाकिस्तान प्रधानमंत्री लियाकत अली खान का दिल
जब कुमाऊंनी पंत लड़की पर आया पाकिस्तान प्रधानमंत्री लियाकत अली खान का दिल
Love Story: पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली तब भारत में रहते थे. उन्हें कुमाऊंनी पंत कन्या से प्यार हो गया. जब शादी की तो सनसनी फैल गई कि ये क्या हो गया. फिर उन्होंने मुजफ्फरनगर बीवी के लिए ये कोठी बनवाई जो अब शत्रु संपत्ति है.
हाइलाइट्स अल्मोड़ा के पंत परिवार से ताल्लुक रखती थीं पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बीवी शीला आयरीन पंत और लियाकत अली खान के चर्चे अब भी सुनने को मिलते हैं मुजफ्फरनगर में लियाकत ने अपनी बेगम के लिए बनवाई थी शानदार कोठी
पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान का नाम इन दिनों यूपी में फिर लिया जा रहा है. खासकर मुजफ्फरनगर में रेलवे स्टेशन के पास से गुजरने वाले लोग इस संपत्ति के बारे में फिर चर्चा करने लगे हैं जो कभी उनके पिता रुस्तम अली खान के नाम हुआ करती थी. दरअसल हरियाणा से लेकर यूपी के इस हिस्से तक उनके पिता की एक छोटी सी रियासत थी. इस संपत्ति पर मस्जिद और दुकानें बन गईं लेकिन अब कोर्ट ने इसे शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया है. वैसे लियाकत अली खान की एक शानदार कोठी भी यहां है, जिसे उन्होंने अपनी बेगम के लिए खासतौर पर बनवाया था. उनकी ये शादी भी काफी सनसनीखेज घटना थी, क्योंकि लड़की कुमाऊंनी पंत थी, जिसका परिवार ब्राह्मण से ईसाई बन चुका था, इस लड़की से उनके प्यार की कहानी पहाड़ से लेकर पाकिस्तान तक आज भी सुनाई जाती है.
पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे नवाबजादा लियाकत अली खान, जो पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर से ताल्लुक रखते थे. वह आजादी से पहले ही मुस्लिम लीग में शामिल हो गए. मोहम्मद अली जिन्ना के खास बन गए. लियाकत लंदन में वकालत पढ़कर लौटे थे. उनकी लव स्टोरी भी गजब की है,
उन्होंने लखनऊ में एक खूबसूरत लड़की को देखा. उस पर मोहित हो गए. ये लड़की कुमाऊंनी ऐसे ब्राह्णण पंत परिवार से ताल्लुक रखती थी, जो अंग्रेजों के राज में ईसाई बन चुका था. फिर ये लड़की कैसे उनकी मोहब्बत बनी और फिर बीवी – पूरा मामला काफी रोचक है. बात में ये लड़की मादर ए पाकिस्तान भी बनी.
लियाकत अली करनाल के नवाब के बेटे थे, जिनकी रियासत का हिस्सा मुजफ्फरनगर तक आता था. लियाकत आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे. आजादी से ठीक पहले भारत में लार्ड माउंटबेटन द्वारा बनाई गई पहली अंतरिम सरकार में वित्त मंत्री थे. हालांकि उनका वो कार्यकाल बहुत विवादित था, क्योंकि तब उन्होंने बंटवारे से पहले भारत को पहले बजट से नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी.
लियाकत जब लंदन से पढ़कर लौटे तो उन्होंने मुस्लिम लीग ज्वाइन कर ली. कहा जाता है कि 20 के दशक के आखिर में उनका प्यार परवान चढ़ा. उन्होंने लखनऊ में पहली बार शीला आयरीन पंत को देखा.
शीला के पिता थे भारतीय सेना में बड़े अफसर
शीला पंत का पूरा नाम आयरीन शीला पंत था. वो अल्मोड़ा के कुमाऊंनी ब्राह्णण परिवार से ताल्लुक रखती थीं. उनके पिता ब्रिटिश सेना में मेजर जनरल थे यानि सेना के बड़े अफसर. अंग्रेजों के साथ काम करने के कारण उन्हें महसूस हुआ कि अगर वो अपना धर्म बदल लें तो उन्हें ज्यादा बेहतर तरक्की मिल सकती है. लिहाजा वो क्रिश्चियन हो गए. तरक्की भी खूब पाई.
कैसे शुरू हुई प्रेम कहानी
आयरीन पंत लखनऊ में कॉलेज में पढने के लिए गईं. बताया जाता है कि वहां वो किसी चैरिटी प्रोग्राम के लिए टिकट बेच रही थीं. उनके पास दो टिकट बचे थे. सड़क से बघ्घियां निकल रही थीं. वह उन्हें रोककर टिकट लेने का आग्रह कर रही थीं. तभी लियाकल अली खान की बग्घी वहां से गुजरी.
नवाबजादा से जब उन्होंने टिकट खरीदने का आग्रह किया तो उन्होंने एक शर्त रख दी. शायद इसकी वजह ये थी कि लियाकत को वो पहली ही नजर में पसंद आ गईं.
उन्होंने कहा कि वो दोनों टिकट खरीद लेंगे, बशर्ते इस कार्यक्रम में वो उनके साथ बैठें. कुछ हिचकिचाहट के बाद शीला ने हां कर दी. यहीं से दोनों में दिल्लगी शुरू हुई जो बाद में निकाह में तब्दील हो गई. अपने पति पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के साथ उनकी बेगम
लंबे कद की सुंदर युवती
आयरीन का पूरा नाम था आयरीन रूथ मार्गरेट पंत (Irene Ruth Margaret Pant). लंबे कद की गोरी और सुंदर युवती. जिसमें अभिजात्यपन के साथ बेहतर शिक्षा ने कूट-कूटकर प्रखरता भर दी भी थी. अच्छी कविताएं लिखतीं थीं. कॉलेज के सांस्कृतिक प्रोग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं. चूंकि पिता सेना में थे. परिवार ईसाई धर्म में तब्दील हो चुका था. लिहाजा व्यवहार में एक खुलापन भी था. वो प्रगतिशील विचारों की थीं. पढाई के साथ समाजसेवा का काम भी करती थीं.
प्रेम कहानी का एक किस्सा ये भी
हालांकि दोनों की प्रेम कहानी को लेकर एक बात और कही जाती है. लखनऊ में इकोनॉमिक्स और सोशियोलॉजी में डबल मास्टर्स डिग्री लेने के बाद वो कोलकाता के किसी कॉलेज में पढाने लगीं. फिर उनकी नौकरी दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज में लगी. यहां वो अस्सिटेंट प्रोफेसर थीं.
इसी दौरान लियाकत कॉलेज में भाषण देने आए. उनके भाषण से शीला पंत खासी प्रभावित हुईं. मंच संचालन शीला कर रही थीं. लियाकत उनकी बुद्धिमत्ता और सुदंरता पर रीझ गए. प्रेमकहानी शुरू हो गई. 1931 में शीला पंत निकाह के लिए क्रिश्चियन से मुस्लिम बन गईं. फिर लियाकत से निकाह रचाया. बेगम राणा लियाकत खान
शादी पर क्यों सनसनी फैली
बेशक इस विवाह से शीला के परिवार को कोई विरोध नहीं था. लेकिन कुमाऊंनी समाज में जरूर इससे सनसनी फैल गई. पहले शीला के पिता धर्म बदलकर सनसनी फैला चुके थे. अब बेटी ने भी नई सनसनी फैला दी. हालांकि ये शादी केवल पहाड़ों पर ही चर्चाओं में नहीं थी बल्कि देशभर में इसे लेकर किस्से फैले. खुद मुस्लिम लीग में कई नेताओं को ये शादी रास नहीं आई लेकिन जिन्ना ने इस शादी को हरी झंडी दे दी थी. उस दौर में प्रेम विवाह और ऐसी शादियां दुर्लभ ही होती थीं और जब होती थीं तो खबरें बन जाती थीं.
निकाह के बाद शीला आयरीन पंत का नाम कहकशां रखा गया. इसी नाम पर मुजफ्फरनगर में लियाकत अली खान ने अपनी बेगम के लिए शानदार बंगला भी बनवाया. हालांकि पाकिस्तान में लोग उन्हें बेगम राणा लियाकत खान के तौर पर ही याद करते हैं. हालांकि बाद में ये कोठी बिक गई. अब उसमें एक स्कूल चलता है. अभी लियाकत की जिन पुश्तैनी प्रापर्टीज को शत्रु संपत्ति माना गया, उसमें ये नहीं है, क्योंकि ये पहले ही बिक चुकी थी. शीला ईरीन पंत जो बाद में बेगम राणा लियाकत खान बन गईं
लियाकत अली की दो बीवियां थी. पहली बीवी का इंतकाल बड़ी बीवी के लिए कोठी दिल्ली में थी,जो अब पाकिस्तानी दूतावास के पास है. उसके लिए मुजफ्फरनगर में यह शानदार बंगला बनवाया, जिसमें 5 सूइट हैं, जिनमें खास तरह का प्लास्टर कराया गया था जिससे मक्खी –मच्छर भीतर नहीं आने पाए.
पाकिस्तान की मादर ए वतन भी बनीं
बेगम राणा लियाकत को पाकिस्तान में मादरे ए वतन का खिताब भी मिला. राजनीतिक तौर पर वह पाकिस्तान के निर्माण में खासी सक्रिय रहीं. बाद में जुल्फिकार अली भुट्टो ने उन्हें काबिना मंत्री बनाया. वह सिंध की गर्वनर भी बनीं. 1990 में उनका निधन हुआ.
लेकिन अब भी पहाड़ों पर शीला आयरीन पंत और उनके परिवार को लोग गाहे-बगाहे याद जरूर कर लेते हैं. उत्तराखंड के किस्से कहानियों और इतिहास से जुड़ी कोई किताब शायद उनका जिक्र किए बगैर पूरी हो जाती हो.
Tags: Muzaffarnagar city news, Muzaffarnagar newsFIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 12:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed