Explainer: हाइपरसोनिक मिसाइल क्या है मैक 5 क्यों है रडार की पकड़ से बाहर
Explainer: हाइपरसोनिक मिसाइल क्या है मैक 5 क्यों है रडार की पकड़ से बाहर
रुस-यूक्रेन युद्ध में घातक मिसाइलों का इस्तेमाल इन दिनों चर्चा में है. उधर इजरायल हमास की लड़ाई में भी मिसाइल दागे जा रहे है. ऐसे में जानना रोचक होगा कि भारत के पास कौन सी उम्दा और मारक किस्म की मिसाइलें है. इसमें हफ्ते भर पहले टेस्ट की गई हाइपर सोनिक मिसाइल बहुत अहम है. तो जानते हैं मैक 5 की रफ्तार पर उड़ कर दुश्मन के परखच्चे उड़ा देने वाली मिसाइल तकनिकी के बारे में.
दुनिया के दो हिस्सों में चल रही लड़ाई में हमने देख लिया है कि अब रायफल और मशीनगन लेकर होने वाली लड़ाई गुजरी हुई बात हो गई. आने वाले युद्ध अत्याधुनिक हथियारों से लड़े जाएंगे. इनमें हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली नायाब नमूना है. किसी भी देश के लिए हाइपरसोनिक टेक्नॉलॉजी हासिल करने के पीछे पाँच मुख्य उद्देश्य होते हैं – गति, सटीकता, घातकता, पहले प्रहार की क्षमता और प्रभुत्व स्थापित करना. जो भी देश इन पाँच उद्देश्यों को सफलता से प्राप्त कर लेगा, वही युद्ध में विजयी होगा. 16 नवंबर 2024 को, भारत ने अपनी लॉन्ग रेंज हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली के सफल परीक्षण के साथ इस प्रतिस्पर्धात्मक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जो भारत की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक बहुत जरूरी कदम है. तो जानते हैं कि हाइपरसोनिक टेक्नॉलॉजी में ऐसा क्या है जो इसे गेम-चेंजर बनाती है?
गति और सटीकता
हाइपरसोनिक को उस वस्तु के रूप में परिभाषित किया जाता है “जो ध्वनि की गति से पांच गुना तेज यात्रा करती हो” – मतलब, मैक 5. इसे सरल शब्दों में ऐसे समझें, समुद्र स्तर पर ध्वनि की गति लगभग 1,230 किमी प्रति घंटा होती है. एक हाइपरसोनिक हथियार घंटे भर में 6,100 किलोमीटर से अधिक की गति से लक्ष्य को भेद सकता है. यह गति पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में कई गुना अधिक है.
दिशा बदलने और बचने की क्षमता
हाइपरसोनिक मिसाइल अत्यधिक गति और मैन्युवरेबिलिटी का अद्भुत संयोजन है. ये मिसाइलें दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम से बचने और अपनी दिशा में तेजी से बदलाव करने में सक्षम हैं. इनकी यह विशेषता उन्नत रडार और मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देती है, जिससे इन्हें ट्रैक करना या नष्ट करना बेहद कठिन हो जाता है. यही कारण है कि दुनिया की प्रमुख शक्तियां या तो इस तकनीक को विकसित कर चुकी हैं या इसके विकास पर गहन शोध कर रही हैं.
कम ऊंचाई पर उड़ान
हाइपरसोनिक मिसाइलें पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइल प्रणालियों की तुलना में बहुत कम ऊंचाई पर उड़ती हैं. इनकी उन्नत मैन्युवरेबिलिटी और अप्रत्याशित मार्ग इन्हें लक्ष्यों को बेहद सटीकता और गति से भेदने में सक्षम बनाती है.
“हाइपरसोनिक” मिसाइलों के प्रकार की बात की जाय तो पहला हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स (HGVs) होता है. ये ग्लाइड व्हीकल्स पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में उच्च गति से दिशा बदल सकते हैं. दूसरे हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल्स (HCMs) कहलाती है. ये मिसाइलें जेट इंजन तकनीक पर आधारित हैं और तेज गति से उड़ान भरती हैं.
दुनिया की पहली हाइपरसोनिक मिसाइल: “Avangard”
“Avangard” एक रुसी परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल है. इसका विकास 1980 के दशक में शुरू हुआ, लेकिन सोवियत संघ के पतन के बाद इसे अस्थायी रूप से रोक दिया गया. इसे 1990 के दशक में “प्रोजेक्ट 4202” के रूप में दोबारा शुरू किया गया।
1990 से 2018 के बीच रूस ने इसके लगभग 14 परीक्षण किए। दिसंबर 2018 में इसका सफल परीक्षण हुआ, जिसमें Avangard ने “डोम्बारोवस्की मिसाइल बेस” से 6,000 किमी दूर “कामचटका” में लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदा. Avangard की रेंज 6,000 किमी से अधिक है, इसका वजन लगभग 2,000 किलोग्राम है, और यह मैक 20 (6.28 किमी/सेकंड) की गति से उड़ती है. 27 दिसंबर 2019 को रूस ने इसकी पहली रेजिमेंट को ओरेनबर्ग क्षेत्र में तैनात किया था.
“विश्व शक्तियों के हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम”
रूस
– Avangard: परमाणु-सक्षम HGV, जो मैक 20 (24,696 किमी/घंटा) की गति से महाद्वीपीय दूरी तय कर सकती है.
– Tsirkon (Zircon): एक नौसैनिक मिसाइल, जो मैक 9 (11,114 किमी/घंटा) की गति तक पहुँचती है. इसकी रेंज 1,000 किमी है और इसे 2023 में तैनात किया गया.
चीन
– DF-17: एक मध्यम-दूरी की मिसाइल. यह मैक 10 (12,348 किमी/घंटा) की गति से उड़ कर सकती है और इसकी रेंज 2,000 किमी से अधिक है.
अमेरिका
– Common Hypersonic Glide Body (CHGB): “लॉन्ग रेंज हाइपरसोनिक वेपन” कार्यक्रम का हिस्सा.
– Air-Launched Rapid Response Weapon (ARRW): मध्यम-दूरी का ग्लाइड व्हीकल, जिसे B-52H विमान से लॉन्च किया जाता है.
– Hypersonic Attack Cruise Missile (HACM): एक छोटी हाइपरसोनिक मिसाइल, जिसे कई प्रकार के विमानों से लॉन्च किया जा सकता है.
दुनिया में प्रचलित मिसाइल की तीनों तकनीकी भारत के पास हैं-
अभी तक दुनिया में जितनी भी तरह की मिसाइलें मौजूद हैं, उन सभी टेक्नॉलॉजी वाली मिसाइले भारत के पास हैं. खास बात ये है कि सभी तकनीक से भारत ने मिसाइलों का निर्माण अपने ही देश में किया है. इसमें दिमाग भी भारतीय वैज्ञानिकों ने लगाया. डीआरडीओ के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि है. तो जानते हैं इन तीनों की टेक्नॉलॉजी के बारे में –
– देसबसोनिक: निरभय क्रूज़ मिसाइल 1000 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्यों को सटीकता से भेदने में सक्षम है. यह मिसाइल अपने बेलनाकार ढांचे (सिलिंड्रिकल फ्यूज़लेज) के कारण अमेरिकी “टॉमहॉक” और रूसी “क्लब SS-N-27” के समान दिखती है.
– सुपरसोनिक: ब्रह्मोस मिसाइल, जो रूस के सहयोग से विकसित की गई है और दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइलों में से एक है. ब्रह्मोस की सुपरसोनिक गति इसे इसे अधिक मारक शक्ति भी प्रदान करती है. यह मिसाइल लगभग मैक 3 (3700 किमी/घंटा) की रफ़्तार लक्ष्य को भेद सकती है.
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– हाइपरसोनिक: 16 नवंबर 2024 को भारत ने लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह उपलब्धि भारत को हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक विकसित करने वाले देशों के विशिष्ट समूह में शामिल करती है.
Tags: India Defence, Missile trialFIRST PUBLISHED : November 20, 2024, 13:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed