कैसे कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए अब पाकिस्तान ने मिलाया चीन से हाथ

कश्मीर के जम्मू में आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान ने नई रणनीतियां बना ली हैं. इसके लिए वह चीन से भी मदद ले रहा है. ये मदद कैसी है और किस तरह से बदली पाकिस्तान परस्त आतंकियों की रणनीति

कैसे कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए अब पाकिस्तान ने मिलाया चीन से हाथ
हाइलाइट्स ऑपरेशन का क्षेत्र कश्मीर से जम्मू संभाग में ले जाया गया चीन ने लीपा घाटी में कहीं खोदी गई एक सुरंग खोदी, जो निकलती है कश्मीर सीमा पर अब इसी सुरंग से घुस रहे आतंकी और इसी से लाए जा रहे हथियार जम्मू संभाग को अब तक आतंकवाद के लिहाज से कश्मीर का शांत इलाका कहा जाता था. लेकिन अब स्थिति बदल गई है. इस साल आतंकवादियों ने इस पूरे इलाके को थर्रा दिया है. सारे आतंकी हमले इसी क्षेत्र में हो रहे हैं. इस साल अब तक जम्मू संभाग के 06 जिलों में 14 आतंकी हमले हो चुके हैं, इसमें 27 लोग मारे गए, जिसमें सुरक्षा बल के 11जवान शहीद हुए जबकि केवल 05 आतंकी ही मारे गए. अगर खबरों की मानें तो आतकंवादियों का एक बड़ा समूह कथित तौर पर जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी जिलों के ऊपरी इलाकों में छिपा है. 9 जून को भारत प्रशासित जम्मू और कश्मीर में वर्षों में सबसे घातक हमला हुआ. तीर्थयात्रियों से भरी बस पर आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में 09 हिंदू तीर्थयात्री मारे गए. 30 से अधिक लोग घायल हो गए. हाल के हमले बताते हैं कि आतंकवादियों ने शांत जम्मू क्षेत्र को अपने टारगेट पर रखते हुए रणनीति बदलकर उसको अशांत करना शुरू कर दिया है. ये सीमा से इस इलाके में घुसपैठ कर रहे हैं. ये आतंकवादी कहे ज्यादा प्रशिक्षित हैं. उनके पास कुछ सबसे आधुनिक और परिष्कृत हथियार हैं, जिनमें नाइट विजन उपकरणों से सुसज्जित अमेरिकी निर्मित एम4 कार्बाइन राइफलें भी शामिल हैं. सबसे बड़ा हमला तीर्थयात्रियों की बस पर हुआ. माना जा रहा है पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में अपने आतंकी मॉड्यूल के ऑपरेशन का क्षेत्र कश्मीर से जम्मू संभाग में स्थानांतरित कर दिया है, जिसमें पुंछ, राजौरी, कठुआ, डोडा और रियासी टारगेट एरिया बन गए हैं. कुछ विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि जम्मू में भारत का खुफिया नेटवर्क कश्मीर की तुलना में कम विकसित है, क्योंकि यहां अपेक्षाकृत शांति रही है. 2002 के बाद से हिंसा की घटनाएं कम हुई हैं. पिछले तीन दशकों से आतंकवाद निरोधक विशेषज्ञ जम्मू में नहीं बल्कि कश्मीर में तैनात रहे हैं. सेना ने कश्मीर घाटी के भूभाग को पिछले दशकों में अच्छी तरह जरूर समझ लिया लेकिन जम्मू को ज्यादा नहीं. जम्मू का पूरा इलाका आतंक के लिहाज से जितना शांत था, उतना ही अशांत बन गया है. आतंकियों की गुरिल्ला रणनीति आतंकी अब गुरिल्ला रणनीति अपना रहे हैं. इसमें घने जंगलों में गुफाओं और गहरी दरारों को छिपने के लिए इस्तेमाल करना शामिल है. हथियार, गोला-बारूद, खाद्य पदार्थ, कपड़े, दवाइयां इन अज्ञात गुफाओं में पहले से ही डाल दी जाती हैं, फिर स्थानीय गाइड्स के जरिए आतंकवादी यहां पहुंचते हैं. सुरक्षा बलों या पुलिस गश्ती दल पर हमला करने के बाद वे बिना पकड़े गए इन गुफाओं में वापस लौट जाते हैं. जम्मू संभाग में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकवादी भी पहाड़ी और जंगल युद्ध में विशेषज्ञ हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में छोटे-छोटे बिखरे हुए समूहों में काम करते हैं. सुरक्षा बलों को इन आतंकवादियों का पता लगाने के लिए हेलीकॉप्टर और ड्रोन तैनात करने पड़ते हैं. साथ में चीन निर्मित आधुनिक हथियार आतंकवादियों की नई पीढ़ी गुरिल्ला युद्ध रणनीति में कहीं बेहतर प्रशिक्षित है. उन्हें चीन निर्मित अत्याधुनिक हथियार, संचार उपकरण, गोलियां और हथगोले उपलब्ध कराए गए हैं. चीन से बनाई गई गुप्त सुरंग तीसरी और बल्कि खतरनाक स्ट्रैटजी बदलाव आतंकवादियों के लिए भारतीय क्षेत्र में घुसने के लिए एक नए और अब तक सबसे गुप्त मार्ग को चुनना है. बताया जाता है कि चीन ने लीपा घाटी में कहीं एक सुरंग खोदी है जो कश्मीर सीमा को काराकोरम राजमार्ग से जोड़ती है. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी अब हथियार, गोला-बारूद और अन्य युद्ध सामग्री को डंप करने के लिए सीमा क्षेत्र में जाने के लिए इसी गुप्त रास्ते का इस्तेमाल कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि चीन अब सीधे तौर पर कश्मीर में पाकिस्तान परस्त आतंकवाद को मदद देनी शुरू कर दी है. चीन से मिल रहा हथियार और समर्थन द यूरेशिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कहा जाना चाहिए कि कश्मीर को लेकर भारत-पाक विवाद में अब चीन सीधे तौर पर शामिल है. चीन से पाकिस्तान को न केवल नैतिक समर्थन मिल रहा है बल्कि हथियार और गोला-बारूद भी मिल रहा है. दोनों दुश्मनों ने मिलकर भारत को जख्म देने की बड़ी और खतरनाक साजिश रची है. क्यों चीन के रुख में आया ये बदलाव आज जमीनी हालात ये है कि चीन ने कश्मीर पर अपने पुराने रुख को बदल दिया है. बीजिंग अब खुलकर पाकिस्तान के रुख का समर्थन करता है. यह समर्थन पाकिस्तान के प्रति किसी प्रेम के कारण नहीं है, बल्कि अवैध रूप से कब्ज़ा किए गए अक्साई चिन और शक्सगाम का उपयोग ल्हासा से जुड़ने वाली सड़क और रेलमार्ग बनाने की उसकी रुचि की वजह से है. चीन कराकोरम राजमार्ग पर सुरंगों और बंकरों का निर्माण कर रहा है, जिससे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों को कश्मीर में आतंकवादी हमले करने के लिए लोगों और सामग्रियों को ले जाने में मदद मिल सकती है. क्या है बीजिंग की प्राथमिकता कश्मीर में भारत को अस्थिर करना अब बीजिंग की प्राथमिकता है, खासकर तब से जब भारत के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व ने पाकिस्तान को चेतावनी देना शुरू किया है कि उसने जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से को वापस लेने की योजना को अंतिम रूप दे दिया है. दरअसल ये चेतावनियां पाकिस्तान से ज़्यादा चीन के लिए थीं. जवाबी कार्रवाई में, चीन ने न केवल पाकिस्तानी सेना को भारी सैन्य तैनाती के साथ अपनी सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित किया, बल्कि जम्मू-कश्मीर के भारतीय हिस्से में आतंकवादी हमले करने के लिए उसे नैतिक समर्थन भी दिया. तब चीन में पाकिस्तान के पीएम से क्या कहा गया जून के महीने में जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री चीन गए तो माना जाता है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि अगर भारत पीओके को वापस लेने में सफल हो जाता है, तो इससे कराकोरम राजमार्ग का अंत हो जाएगा. चीन के अवैध कब्जे वाले अक्साईचिन और शक्सगाम की नाकाबंदी खत्म हो जाएगी. इससे मध्य और दक्षिण एशिया की पूरी भू-रणनीतिक केमिस्ट्री बदल जाएगी. यह बहस का विषय है कि क्या भारत वाकई चीन-पाकिस्तान गठबंधन से प्रतिरोध के बावजूद पीओके वापस लेना चाहता है. FIRST PUBLISHED : July 24, 2024, 17:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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