उमर की पार्टी में कितने हिंदू MLA क्यों जोड़ना चाहते हैं निर्दलीयों को भी

Hindu independent MLAs: एनसी के सामने समस्या यह है कि उसके पास केवल दो विधायक हैं, उनमें से कोई मध्य जम्मू रीजन से नहीं हैं. जब तक निर्दलीय विधायक पार्टी में शामिल होने के लिए सहमत नहीं होते, सरकार के हिंदू चेहरे के रूप में कठुआ, सांबा, जम्मू, उधमपुर और रियासी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कौन करेगा यह एक बड़ा सवाल है. 

उमर की पार्टी में कितने हिंदू MLA क्यों जोड़ना चाहते हैं निर्दलीयों को भी
Hindu independent MLAs: नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेता उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. उनके साथ पांच और मंत्रियों ने शपथ ली, जिसमें दो हिंदू हैं. 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था. 2014 के बाद से यह राज्य की पहली निर्वाचित सरकार है. दस साल पहले पीडीपी और बीजेपी ने मिलकर मुफ्ती मुहम्मद सईद के नेतृत्व में सरकार बनाई थी. 2016 में मुफ्ती मुहम्मद सईद के निधन के बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने सरकार की कमान संभाली. लेकिन दो साल बाद ही बीजेपी ने उनसे समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार गिर गई. जम्मू-कश्मीर में छह साल से राष्ट्रपति शासन लागू था.   उमर अब्दुल्ला ने जम्मू के नौशेरा से जीते सुरिंदर चौधरी को अपना डिप्टी चुना है. शपथ लेने के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा, “उन्होंने क्षेत्र के लोगों को आवाज देने और अपनी सरकार को समावेशी बनाने के लिए ऐसा किया है. हमारा प्रयास सभी को साथ लेकर चलने का होगा.” शपथ लेने वाले पांच मंत्री हैं, सकीना मसूद, जावेद डार, जावेद राणा, सुरिंदर चौधरी और सतीश शर्मा. उमर अब्दुल्ला ने कहा कि, अभी तीन मंत्री पद खाली हैं और उन्हें धीरे-धीरे भरा जाएगा.  ये भी पढ़ें- Explainer: क्या है संविधान का अनुच्छेद 32 जिसकी ओट ले रहा इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक, जानें पूरा मामला  क्यों अपनी ताकत बढ़ाना चाहती है एनसी हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 90 में से 42 सीटें जीतीं, जबकि गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को छह सीटें मिलीं. पांच सदस्यों को एलजी द्वारा नॉमिनेट किया जाना है. इस तरह सदन में विधायकों की कुल संख्या अंततः 95 हो जाएगी. जो पांच सदस्य नॉमिनेट किए जाएंगे उनमें दो महिलाएं, दो कश्मीरी प्रवासी समुदाय के सदस्य और एक पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर से होगा. इन सभी को मतदान करने का अधिकार होगा. एक बार जब नामांकित विधायक अपनी सीट ले लेंगे, तो बहुमत का आंकड़ा 48 होगा. हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास चुनाव पूर्व सहयोगी कांग्रेस के साथ मिलाकर बहुमत है. लेकिन एनसी निर्दलीय, सीपीएम और आप विधायकों के साथ गठबंधन कर इसे और मजबूत करना चाहेगी. साथ ही उसकी मंशा यह भी होगी कि उसके पाले में ज्यादा से ज्यादा हिंदू विधायक हों. ये भी पढ़ें- दुश्मनी के बावजूद पाकिस्तान से क्या-क्या खरीदता है भारत, एक चीज की तो हर घर में है मांग जम्मू की आवाज बनेंगे डिप्टी सीएम चौधरी उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सुरिंदर चौधरी को इसलिए उपमुख्यमंत्री बनाया गया ताकि जम्मू के लोग खुद को उपेक्षित महसूस न करें. उन्होंने कहा, “मैंने कहा था कि हम जम्मू को यह महसूस नहीं होने देंगे कि इस सरकार में उनकी कोई आवाज या प्रतिनिधि नहीं है. मैंने जम्मू से एक उपमुख्यमंत्री चुना है ताकि जम्मू के लोगों को लगे कि यह सरकार उतनी ही उनकी है जितनी बाकी की है.” सुरिंदर चौधरी नौशेरा में भाजपा के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष रविंदर रैना को 7,819 वोटों से हराकर एक जाइंट किलर के रूप में उभरे हैं. 2014 के विधानसभा चुनावों में, रविंदर रैना ने सुरिंदर चौधरी को, जो उस समय पीडीपी के टिकट पर लड़ रहे थे, 10,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. सुरिंदर चौधरी ने 2022 में पीडीपी से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद वह एक साल बीजेपी में रहने के बाद जुलाई 2023 में एनसी में शामिल हुए थे.  ये भी पढ़ें- Explainer: क्यों भारत से कनाडा भागते हैं लोग, पैसा, पावर और मौज… क्या है इस देश का जादू  पार्टी में कम है हिंदू विधायकों की संख्या सरकार को आकार देने के बाद भी एनसी के लिए एक अनोखी समस्या है जो उसके लिए सिरदर्द बन सकती है. नवनिर्वाचित विधायकों में से पर्याप्त संख्या में हिंदू विधायकों की अनुपस्थिति है. विशेषकर जम्मू, उधमपुर, रियासी, सांबा और कठुआ जिलों में जहां एनसी या कांग्रेस का दबदबा है. एनसी के चुने गए 42 विधायकों में से, उसके पास दो हिंदू विधायक हैं. रामबन से अर्जुन सिंह राजू और नौशेरा से सुरिंदर कुमार चौधरी जीतकर आए हैं. कांग्रेस के पास छह विधायक हैं, लेकिन उसके पास कोई हिंदू चेहरा नहीं है. सात निर्दलीय विधायकों में से तीन – रामेश्वर सिंह (बनी), सतीश शर्मा (छंब) और प्यारे लाल शर्मा (इंद्रवाल) – हिंदू हैं. इनमें से सतीश शर्मा को तो उमर अब्दुल्ला ने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया है. सतीश शर्मा ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद को हराया है.सतीश शर्मा पूर्व कांग्रेस सांसद स्वर्गीय मदन लाल शर्मा के बेटे हैं.  ये भी पढ़ें- Explainer: सिंदूर कैसे बनता है? क्या सच में एक चुटकी खा या खिला देने से जान चली जाती है बैक चैनल हो रही बातचीत इस बीच, जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक हलकों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि एनसी ने पहले ही कई निर्दलीय विधायकों, खासकर हिंदुओं के साथ बैक-चैनल बातचीत शुरू कर दी है, ताकि उन्हें नई सरकार में शामिल किया जा सके. देखना यह है कि सात निर्दलीय विधायकों में से छह, साथ ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीएम) के एकमात्र विधायक मोहम्मद यूसुफ तारिगामी और आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट पर चुने गए एकमात्र विधायक मेहराज मलिक (डोडा) क्या फैसला करते हैं. समस्या यह है कि एनसी के पास दो हिंदू विधायक हैं, लेकिन उनमें से कोई भी मध्य जम्मू से नहीं है. जब तक निर्दलीय विधायक पार्टी में शामिल होने के लिए सहमत नहीं होते, सरकार के हिंदू चेहरे के रूप में कठुआ, सांबा, जम्मू, उधमपुर और रियासी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कौन करेगा यह एक बड़ा सवाल है. Tags: Congress, Farooq Abdullah, Jammu and kashmir, Jammu and Kashmir Government, National Conference, Omar abdullahFIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 16:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed