भारत में पैदा शख्स जिसने बांग्लादेश को मुस्लिम बनायापिता हिंदू राजा के मंत्री

क्या आप यकीन करेंगे कि जब बांग्लादेश का 1971 में जन्म हुआ तो ये सेक्युलर देश था. लेकिन भारत में पैदा हुए एक शख्स ने इसे संवैधानिक तौर पर मुस्लिम देश में बदल दिया.

भारत में पैदा शख्स जिसने बांग्लादेश को मुस्लिम बनायापिता हिंदू राजा के मंत्री
हाइलाइट्स कूचबिहार में पैदा हुए और वहीं बड़े हुए पिता कूचबिहार राजा के मंत्री थे बंटवारे में परिवार बांग्लादेश चला गया इस शख्स का जन्म कूचबिहार में हुआ था, जो पश्चिम बंगाल में है. वहीं वह बड़ा हुआ. जब अंग्रेज देश का बंटवारा करके जा रहे थे, तब वह 17 साल का युवा था. उसका परिवार पूर्वी पाकिस्तान चला गया. इसके बाद वह सेना में भर्ती हुआ. इस शख्स ने सैन्य प्रमुख के तौर पर तब पद संभाला जब बांग्लादेश एक नए देश के तौर पर पैदा हो रहा था, एक सपने को पूरा करने का सपना संजोए हुआ था. बाद में इसी शख्स ने इस देश को उस रास्ते पर आगे बढ़ा दिया, जहां से उसमें कट्टर मुस्लिम ताकतों का उभार शुरू हुआ, जिसे अब हम साफ तौर पर देख सकते हैं. इस शख्स का नाम है जनरल हुसैन मुहम्मद इरशाद . वह एक मुस्लिम परिवार में 1 फरवरी 1930 को पैदा हुआ. जिसने 1983 से 1990 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. उसी के नेतृत्व में देश में तख्तापलट होकर एक सैन्य तानाशाही वाली सरकार बनी. सैन्य शासन के दौर में तख्तापलट किया जनरल इरशाद ने 24 मार्च 1982 को राष्ट्रपति अब्दुस सत्तार के खिलाफ रक्तहीन तख्तापलट के दौरान सेना के प्रमुख के रूप में सत्ता पर कब्जा कर लिया. फिर मार्शल लॉ लगाकर और संविधान को निलंबित करके खुद को 1983 में राष्ट्रपति घोषित किया. बाद में 1986 में विवादास्पद बांग्लादेशी राष्ट्रपति चुनाव जीता. उसके शासन को सैन्य तानाशाही का युग माना जाता है. इरशाद ने 1990 तक राष्ट्रपति रहे, फिर खालिदा जिया और शेख हसीना के नेतृत्व में जब लोकतंत्र समर्थक विद्रोह करने सड़कों पर उतरे, तब उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा. जनरल इरशाद सत्ता पलट करके शासन में आए. राष्ट्रपति बने. फिर उन्होंने जमात ए इस्लामी जैसी ताकतों को फिर बांग्लादेश में जिंदा कर दिया. (wiki commons) तब संसद ने सेक्युलर बांग्लादेश को बना दिया मुस्लिम राष्ट्र ये इरशाद ही थे, जिन्होंने 1989 में, इरशाद ने संसद पर दबाव डाला कि वह इस्लाम को राज्य धर्म बनाए. जबकि मुजीब उर रहमान के प्रधानमंत्री रहने के दौरान जब नए बांग्लादेश का संविधान लिखा गया था, तब इसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र यानि सेक्युलर घोषित किया गया था. बस यहीं बांग्लादेश की गाड़ी कट्टर इस्लाम की ओर चलनी शुरू हो गई. छुट्टी का दिन रविवार से शुक्रवार हो गया इरशाद ने साप्ताहिक अवकाश भी रविवार से शुक्रवार कर दिया. उन्हीं के राज में धर्मनिरपेक्ष बांग्लादेश में मुस्लिम ताकतों को मजूबत करने के लिए जमात-ए-इस्लामी को फिर से जीवित किया. जमात वो पार्टी थी, जिसने 1971 में बंगाली राष्ट्रवादियों के ख़िलाफ़ पाकिस्तान का समर्थन किया था. जब बांग्लादेश बना तो जमात के ज्यादातर नेता पाकिस्तान भाग गए थे. वो सैन्य शासन के साथ फिर वापस आने लगे. इरशाद ने भी इसे खूब प्रश्रय दिया. फिर इस्लामी ताकतें मजबूत होती गईं इसके बाद बांग्लादेश में इस्लामी ताकतें मजबूत होती चली गईं. ये चीज अब साफ नजर भी आ रहा है. जमात को आईएसआई की ओर से पूरा प्रश्रय मिलता है, देश में शेख हसीना के खिलाफ माहौल बनाने के लिए आईएसआई ने जमात ए इस्लामी की पूरी मदद ली है. पिता कूचबिहार राजा के मंत्री थे इरशाद के पिता मोकबुल हुसैन एक वकील थे. कूच बिहार के तत्कालीन महाराजा के मंत्री के रूप में काम करते थे. बंटवारे के समय वह 1948 में पूर्वी बंगाल चले गए. इरशाद को 1952 में कोहाट के ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल से पाकिस्तानी सेना में कमीशन मिला. पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया था बांग्लादेश मुक्ति युद्ध की जब शुरुआत हुई तो इरशाद को पाकिस्तानी सेना को अन्य बंगाली सैन्य अधिकारियों के साथ नजरबंद कर दिया गया. जब बांग्लादेश बना तो बांग्लादेश के राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान ने इरशाद को बांग्लादेश सेना का एडजुटेंट जनरल नियुक्त किया. जियाउर्रहमान के खास आदमी बन गए 15 अगस्त 1975 को शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई. मेजर जनरल जियाउर्रहमान तख्तापलट दिया. तब रहमान ने 1975 में इरशाद को डिप्टी सेनाध्यक्ष नियुक्त किया. बंगाली भाषण लेखन में प्रतिभा रखने वाले इरशाद जल्द ही ज़ियाउर रहमान के सबसे करीबी राजनीतिक-सैन्य सलाहकार बन गए. कैसे सत्ता में आए और हटे  30 मई 1981 को जियाउर रहमान की हत्या के बाद इरशाद नई सरकार के वफादार बन गए. उन्होंने नए राष्ट्रपति अब्दुस सत्तार के प्रति वफादारी बनाए रखी. बाद में खुद 1982 में सैन्य तख्तापलट में सत्ता में आए. उन्होंने बांग्लादेश में नई जातीय पार्टी बनाई. हालांकि 1990 में उन्हें पद से हटना पड़ा. वो जेल में डाल दिए गए. वह भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराए गए. भ्रष्टाचार के मामले में 20 नवंबर 2000 को उन्हें सज़ा सुनाई गई थी. ढाका में चार महीने जेल में रहने के बाद 9 अप्रैल 2001 को उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया. और फिर मृत्यु हो गई इरशाद ने 1956 में रोशन इरशाद से शादी की. फिर उन्होंने एक शादी और की, जो तलाक के साथ खत्म हुई. उसके अलावा जीनत नाम की महिला के साथ उनके अफेयर का मामला सामने आय़ा. 14 जुलाई 2019 को अस्पताल में इरशाद की मृत्यु हो गई. Tags: Bangladesh, Sheikh hasina, Sheikh Mujibur RahmanFIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 07:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed