Explainer: क्या है यूएपीए जिसके तहत लेखिका अरुंधति राय के खिलाफ होगी कार्रवाई

What is UAPA: सार्वजनिक रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए जानी मानी लेखिका- सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति राय के खिलाफ यूएपीए के तहत केस चलेगा. यूएपीए की धारा 13 किसी भी गैरकानूनी गतिविधि की वकालत करने, बढ़ावा देने या उकसाने से संबंधित है. इसमें सात साल तक की कैद हो सकती है.

Explainer: क्या है यूएपीए जिसके तहत लेखिका अरुंधति राय के खिलाफ होगी कार्रवाई
हाइलाइट्स जानी मानी लेखिका-कार्यकर्ता अरुंधति रॉय के खिलाफ यूएपीए के तहत केस चलेगाा. कानून के तहत दोषी को 5 साल से लेकर उम्रकैद और मृत्‍युदंड तक का प्रावधान है. यूएपीए को 1967 में आतंकवादी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए लाया गया था. कथित तौर पर ‘सार्वजनिक रूप से भड़काऊ भाषण देने’ के लिए जानी मानी लेखिका-कार्यकर्ता अरुंधति रॉय के खिलाफ यूएपीए के तहत केस चलेगाा. दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) विनय कुमार सक्सेना ने अरुंधति रॉय के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है. उनके खिलाफ यह केस 2010 में दर्ज कराया गया था. अरुंधति रॉय पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर 21 अक्टूबर 2010 में ‘आज़ादी- द ओनली वे’ के बैनर के तहत नई दिल्ली (एलटीजी ऑडिटोरियम, कॉपरनिकस मार्ग) में आयोजित एक सम्मेलन में भड़काऊ भाषण दिए थे.  पिछले साल अक्टूबर में, दिल्ली के उपराज्यपाल ने इसी मामले में अरुंधति रॉय पर आईपीसी की धारा 153ए, 153बी और 505 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी. ये प्रावधान, ट्राइफेक्टा अक्सर नफरत भरे भाषण के मामलों से निपटने के लिए लागू किए जाते हैं, सभी में अधिकतम तीन साल तक सजा का प्रावधान है. धारा 153A उन कार्यों से संबंधित है जो धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास या भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देते हैं, और इसमें सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक व्यवहार शामिल हैं. धारा 153B ऐसे बयान या दावे करने से संबंधित है जो राष्ट्रीय एकता और एकीकरण को कमजोर करते हैं. धारा 505 सार्वजनिक अव्यवस्था को भड़काने के उद्देश्य से जानबूझकर अपमान करने से संबंधित है. ये भी पढ़ें – क्यों पाकिस्तान में खूब बढ़ रहे हैं गधे, क्या है इसका चाइनीज कनेक्शन अब जोड़ी गई यूएपीए की धारा लेकिन अब उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मशहूर उपान्यकार अरुंधति रॉय के खिलाफ कश्मीरी अलगाववाद को बढ़ावा देने वाले कथित उत्तेजक बयानों के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 की धारा 13 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी. यूएपीए की धारा 13 किसी भी गैरकानूनी गतिविधि की वकालत करने, बढ़ावा देने या उकसाने से संबंधित है और इसमें सात साल तक की कैद की सजा हो सकती है. 14 साल पुराना मामला मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, नई दिल्ली की अदालत के आदेश के बाद, सुशील पंडित की शिकायत के आधार पर अक्टूबर 2010 में अरुंधति रॉय और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर के इंटरनेशनल लॉ के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. मामले में अन्य दो आरोपी – कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और दिल्ली विश्वविद्यालय के व्याख्याता सैयद अब्दुल रहमान गिलानी – दोनों की कार्रवाई के दौरान मृत्यु हो गई है. ये भी पढ़ें- रोचक आविष्कार: भारत के पड़ोसी देश से यूरोप और अमेरिका पहुंची आइसक्रीम, हो गई हिट क्या है यूएपीए यूएपीए की धारा-15 आतंकवादी गतिविधि को परिभाषित करती है. इसके तहत न्‍यूनतम पांच साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. अगर आतंकवादी गतिविधि में किसी की मौत हो जाती है, तो दोषी को मृत्‍यु दंड या आजीवन कारावास का प्रावधान है. प्रावधान कहता है कि जो कोई भी भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, या संप्रभुता को धमकी देने या धमकी देने की आशंका के इरादे से या भारत में या किसी दूसरे देश में भारतीयों या किसी भी वर्ग में आतंक फैलाने के इरादे से या आतंक फैलाने की आशंका के साथ कोई काम करता है तो वो इस कानून के दायरे में आएगा.’ क्यों लाया गया ये कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए को आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए लाया गया था. यूएपीए के तहत आतंकियों और आतंकी गतिविधियों में शामिल संदिग्ध लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. यूएपीए के तहत राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआई संदिग्ध या आरोपी की संपत्ति जब्त और कुर्क कर सकती है. यूएपीए को 1967 में लाया गया था. इस कानून को संविधान के अनुच्छेद-19(1) के तहत दिए गए मौलिक अधिकार पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के लिए पेश किया गया था. यूएपीए का उद्देश्य भारत की अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार को ज्‍यादा अधिकार देना था. यूएपीए को विशेष हालात में लागू किया जा सकता है. यूएपीए में हो चुके हैं 6 बदलाव देश में आतंकवाद पर नकेल कसने के लिए 1967 में यूएपीए, 1987 में टाडा, 1999 में मकोका, 2002 में पोटा और 2003 में गुजकोका जैसे कानून लागू किए गए. आतंकी गतिविधियों से जुड़े पोटा और टाडा जैसे कानून खत्म करने के बाद 2019 में केंद्र सरकार ने यूएपीए में कई बदलाव किए. इसे पहले और बाद में भी इस कानून को ज्‍यादा मजबूत बनाने के लिए बदलाव किए जा चुके हैं. अब तक यूएपीए को मजबूती देने के लिए छह बार जरूरी बदलाव किए गए हैं. एक संशोधन ऐसा भी किया गया है, जिसके बाद सरकार किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर सकती है. यूएपीए के तहत संदेह होने भर से ही पुलिस या जांच एजेंसी किसी भी व्‍यक्ति को आतंकवादी घोषित कर सकती है. आरोपी कार्रवाई के खिलाफ सरकार की बनाई रिव्यू कमेटी के पास जा सकता है. बाद में कोर्ट में भी अपील की जा सकती है. ये भी पढ़ें- Explainer: क्या होता है नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर, क्या इसकी भूमिका, इसके अंडर में कौन सी एजेंसियां द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स की लेखिका हैं राय अरुंधति रॉय एक लेखिका और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वह सामाजिक न्याय और आर्थिक असमानता से संबंधित मुद्दों पर लिखती और बोलती रही हैं. उन्होंने अपने उपन्यास, द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स के लिए 1997 में बुकर पुरस्कार जीता. इसके अलावा और दो उपन्यास और निबंधों के कई संग्रह भी लिखे हैं. एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनके काम के लिए उन्हें 2002 में लेनिन फाउंडेशन द्वारा सांस्कृतिक स्वतंत्रता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. अरुंधति रॉय का जन्म 1960 में केरल में हुआ था. उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में वास्तुकला का अध्ययन किया और एक प्रोडक्शन डिजाइनर के रूप में काम किया. वह अपने पति, फिल्म निर्माता प्रदीप कृष्णन के साथ दिल्ली में रहती हैं. Tags: Kashmir Terror activity, The Activist, UAPA Act, UAPA and MCOCA, Vk saxenaFIRST PUBLISHED : June 15, 2024, 15:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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