क्या है FATF जिसके नाम पर पाकिस्तान के छूटते हैं पसीने भारत को क्यों चेताया
क्या है FATF जिसके नाम पर पाकिस्तान के छूटते हैं पसीने भारत को क्यों चेताया
FATF वह संस्था है जो दुनियाभर में ब्लैक मनी और संदिग्ध मनी को लेकर निगाह रखती है, क्योंकि उसका मानना है कि इस तरह का पैसा गलत कामों में ज्यादा इस्तेमाल होता है, जिसमें आतंकवादियों को पोषित करना भी है.
हाइलाइट्स FATF दुनियाभर में उस पैसे के प्रवाह पर नजर रखती है, जिसका इस्तेमाल आतंकवादी कर सकते हैं ये संस्था उन देशों को ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाल देती है, जो आतंकवादियों को प्रश्रय देते हैं पाकिस्तान वर्ष 2012 से 2018 तक इस संस्था की ग्रे लिस्ट में था, जिससे उसे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा
FATF का मतलब होता है फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स, इसके नाम से पाकिस्तान की फूंक सरक जाती है. क्योंकि पाकिस्तान पिछले कुछ सालों में जब भी वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ के पास लोन मांगने जाता था, वो उसे इसलिए नहीं मिल पाता था, क्योंकि FATF ने आतंकवादियों को पोषित करने के कारण उसे कभी ग्रे तो कभी ब्लैक लिस्ट में डाल रखा था. हालांकि अब पाकिस्तान को दो सालों से एफएटीएफ ने राहत दे रखी है. हालांकि ये संस्था भारत की तारीफ करती है लेकिन उसने ये चेताया है कि देश में हवाला, ब्लैक मनी और धनशोधन से जुड़े मामले कुछ ज्यादा ही चल रहे हैं, उन्हें कम किया जाना चाहिए.
हम ये जानेंगे कि केवल तीन दशकों में ही एफएटीएफ कैसे दुनिया ऐसी बड़ी वाचडॉग संस्था बन गई, जिसकी बात हर देश गंभीरता से सुनता है और अमल भी करता है. वह हर साल एक लिस्ट जाता करता है जो ब्लैक लिस्ट और ग्रे लिस्ट कही जाती है. इस लिस्ट में जो देश आ जाता है, उसके सिर पर खतरे की तलवार लटक जाती है. ग्रे लिस्ट चेतावनी देती है और कई तरह के कठोर कदम उठाने का प्रावधान करती है तो ब्लैक लिस्ट तुरंत कई तरह के प्रतिबंधों की तलवार चला देती है.
तो पहले जानते हैं कि एफएटीफ क्या है. क्यों बनी, अब कैसे काम कर रही है और उसका अध्यक्ष कौन है
सवाल – क्या है FATF, कैसे ये अपने तरीके से आतंकवाद पर नजर रखता है?
– एफएटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) और टेरर फंडिंग जैसे वित्तीय मामलों में दखल देते हुए तमाम देशों के लिए गाइडलाइन तय करती है. ये तय करती है कि वित्तीय अपराधों (Financial Crimes) को बढ़ावा देने वाले देशों पर लगाम कसी जा सके. इसकी स्थापना 1989 में हुई थी और मुख्यालय पेरिस में है.
ये संगठन मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद और संदिग्ध धन गतिविधियों से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई का नेतृत्व करता है. 40 सदस्यों वाला यह निकाय यह सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है कि राष्ट्रीय अधिकारी नशीली दवाओं की तस्करी, अवैध हथियारों के व्यापार, साइबर धोखाधड़ी और अन्य गंभीर अपराधों से जुड़े अवैध धन पर प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सकें. ये संगठन लगातार निगरानी करता है कि अपराधी और आतंकवादी किस तरह से धन जुटाते हैं, उसका इस्तेमाल करते हैं, उसे इधर-उधर ले जाते हैं.
सवाल – एफएटीएफ की स्थापना कैसे हुई?
– इस संगठन की स्थापना 1989 में G7 द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के उपायों की जांच और विकास के लिए की गई थी. इसके स्थापक के तौर पर मूल रूप से G7 देश, यूरोपीय आयोग और आठ अन्य देश शामिल थे.
सवाल – दुनिया के कितने देश एफएटीएफ की बातें मानते हैं और इसके हिसाब से काम करते हैं?
– कुल मिलाकर, 200 से अधिक देशों ने संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और आतंकवाद को रोकने और देश में संदिग्ध धन और काले धन से जुड़ी गतिविधियां रोकने के लिए FATF के मानकों को लागू करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है. देशों और अधिकार क्षेत्रों का मूल्यांकन FATF के नौ सहयोगी सदस्य संगठनों और अन्य वैश्विक भागीदारों, IMF और विश्व बैंक की मदद से किया जाता है.
सवाल – इसका मतलब ये हुआ कि अगर कोई देश वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ में लोन के लिए जा रहा है तो उसे ये तभी मिलेगा जब एफएटीएफ भी हरी झंडी दिखा दे?
– बिल्कुल ऐसा ही है., इसलिए कई बार पाकिस्तान के लोन को वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ ने रोक दिया. अब दुनियाभर में जितने भी अंतरराष्ट्रीय बैंक और मौद्रिक संस्थान हैं, वो एफआईटीएफ की बात मानते हैं.
FATF की निर्णय लेने वाली संस्था FATF प्लेनरी हर साल तीन बार बैठक करती है. मानकों का पालन नहीं करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराती है. यदि कोई देश बार-बार FATF मानकों को लागू करने में विफल रहता है, तो उसे बढ़ी हुई निगरानी के तहत क्षेत्राधिकार या उच्च जोखिम वाले क्षेत्राधिकार का नाम दिया जा सकता है. इन्हें अक्सर बाहरी रूप से ” ग्रे और ब्लैक लिस्ट ” के रूप में जारी किया जाता है. FATF की मौजूदा अध्यक्ष मैक्सिको की एलिसा डी एंडा मद्राज़ो (Courtesy – FATF)
सवाल – ब्लैक लिस्ट का क्या मतलब है?
– एफएटीएफ (Financial Action Task Force) दो लिस्ट में चिंताजनक हालात वाले देशों को शामिल करती है. इनमें से एक ब्लैकलिस्ट है. आतंकवाद (Terrorism) को वित्तीय तौर पर बढ़ावा देने वाले देशों को इस लिस्ट में तब रखा जाता है, जब उनका असहयोगात्मक रवैया जारी रहता है. मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग को लगातार काबू न कर पाने के चलते इन देशों को टैक्स चोरी का स्वर्ग (Safe Tax Heavens) भी करार दिया जाता है.
इस तरह के हालात वाले देशों को ब्लैकलिस्ट करने का सिलसिला साल 2000 से संस्था ने शुरू किया था. ऐसे देशों को पहले चेतावनी दी जाती है. फिर कुछ देशों की एक कमेटी बनाकर निगरानी की जाती है कि ऐसे देश गाइडलाइन्स के मुताबिक गंभीर मामलों को काबू करने के लिए क्या और कैसे कदम उठा रहे हैं.
सवाल – तो क्या ग्रे लिस्ट के जरिए पहले चेतावनी दी जाती है?
– मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के मामलों में टैक्स चोरी का स्वर्ग न होकर ऐसे देश, जो इस स्थिति का शिकार होते लगते हैं, उन्हें इस लिस्ट में रखा जाता है. यह एक तरह से चेतावनी होती है कि समय रहते ये देश काबू करें और वित्तीय गड़बड़ियों को रोकने के कदम उठाएं. अगर ये देश ग्रे लिस्ट में आने के बाद भी सख़्त कदम नहीं उठाते हैं, तो इन पर ब्लैकलिस्ट होने का खतरा बढ़ता है.
सवाल – जब कोई देश एफएटीएफ की ब्लैक या ग्रे लिस्ट में आता है तो उसके सामने क्या दिक्कतें आने लगती हैं?
– जब किसी देश को एफएटीएफ ग्रे लिस्ट में रखता है तो उसके सामने कुछ चुनौतियां पेश आती हैं. आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक और एडीबी जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और अन्य देशों से आर्थिक सहयोग, कर्ज़ मिलने में मुश्किल के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कई तरह की अड़चनें और इंटरनेशनल बहिष्कार तक की नौबत का खतरा पैदा होता है. पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में आ चुका है.
सवाल – क्या होगा अगर कोई देश ब्लैकलिस्ट हुआ तो?
– विशेषज्ञों की मानें तो एफएटीएफ ने अगर किसी देश को ब्लैकलिस्ट घोषित कर दिया तो ये उस देश को बहुत बड़ा झटका होगा. उसकी अर्थव्यवस्था लड़खड़ा जाएगी. विदेशी व्यापार आयात-निर्यात रुक जाएगा. कोई भी वैश्विक बैंक या निवेशक उस देश में नहीं जाएगा या हाथ खींच लेगा. उस देश से कोई डील करने से पहले सौ बार सोचेगा. कर्ज तो खैर भूल ही जाइए.
सवाल – पाकिस्तान को क्यों एफएटीएफ से डर लगता है?
– दरअसल पिछले एक दशक से कहीं ज्यादा समय से आर्थिक तौर पर पाकिस्तान की कमर टूटी हुई है. उसको देश को चलाने के लिए जिस मोटे कर्ज की जरूरत पड़ती है, उसके लिए उसको वर्ल्ड बैंक या आईएमएफ या एशियन डेवलपमेंट बैंक के सामने हाथ फैलाना पड़ता है लेकिन पाकिस्तान का कर्ज पाने का सपना कई बार टूट चुका है, जिससे इसकी अर्थव्यवस्था को काफी झटका लगता रहा है.
इसकी वजह एफआईटीएफ ही है, जिसने पाकिस्तान को वर्ष 2012 में पहली बार ग्रे लिस्ट में डाला और ब्लैक लिस्ट में डालने की चेतावनी दे दी. इसी तरह पाकिस्तान फिर से 2015 में ग्रे लिस्ट में आ गया. इसके चलते पाकिस्तान का कर्ज कई बार फंसा है और इससे उसकी हालत बहुत पतली हुई है. अब वह ये कोशिश करता है कि आतंकवाद को खुलकर समर्थन देना बंद कर दे या ऐसा दिखाए कि वह आतंकवादियों को पोषित करने से दूर हो रहा है.
सवाल – भारत से एफएटीएफ ने क्या कहा है?
– FATF भारत के कामकाज का प्रशंसक रहा है. उसने भारत से ये कहा है कि देश में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के जुड़े मुकदमे बढ़ रपहे हैं और लंबे चल रहे हैं, इन्हें किसी भी तरह कम किया जाना चाहिए. हालांकि FATF ने भारत को लेकर संयुक्त मूल्यांकन से यह निष्कर्ष निकाला है कि भारत ने धन शोधन विरोधी और आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण (AML/CFT) का जो ढांचा लागू किया है, वो जोखिम को समझने और अपराधियों को उनकी संपत्तियों से वंचित करने को लेकर अच्छे परिणाम प्राप्त कर रहा है. अधिकारी वित्तीय खुफिया जानकारी का अच्छा उपयोग करते हैं. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी ढंग से सहयोग करते हैं.
सवाल – एफएटीएफ के अनुसार भारत में मनी लांड्रिंग के जोखिम कैसे पैदा होते हैं?
– एफएटीएफ के अनुसार भारत के मुख्य मनी लॉन्ड्रिंग जोखिम देश के भीतर अवैध गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं, ये जोखिम मुख्य रूप से धोखाधड़ी से संबंधित हैं, जिसमें साइबर-सक्षम धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और मादक पदार्थों की तस्करी शामिल है. भारत को आतंकवाद और आतंकवादी वित्तपोषण के गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें आईएसआईएल या अलकायदा से संबंधित खतरे भी शामिल हैं. भारत को अदालती प्रक्रियाओं के समापन तक लंबित मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के लंबित मामलों को कम करने की जरूरत है.
सवाल – फिलहाल दुनिया के कौन से देश एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में सबसे ऊपर हैं?
– ये देश उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार हैं.
सवाल – आजकल इस संस्था का अध्यक्ष कौन है?
– इस संगठन का अध्यक्ष दो साल तक पद पर होता है. उसका कार्यकाल 1 जुलाई से शुरू होता है. दो साल बाद 30 जून को समाप्त होता है. फिलहाल मैक्सिको की एलिसा डी एंडा मद्राज़ो हैं, जिनका कार्यकाल इसी साल 1 जुलाई से शुरू हुआ है और 30 जून 2026 तक रहेगा. उन्होंने सिंगापुर के टी. राजा कुमार का स्थान लिया है.
Tags: Black money, Hawala money, Money Laundering, Money Laundering CaseFIRST PUBLISHED : September 20, 2024, 12:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed