Explainer: क्या वाकई संभल था पृथ्वीराज चौहान का साम्राज्य क्या कहता है इतिहास

संभल में मिली बावड़ी की अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग पड़ताल करेगा. इसके बारे में कहा जा रहा है कि वह पृथ्वीराज चौहान ने बनवाई थी, जो उस समय उनकी राजधानी हुआ करती थी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई संभल उनकी राजधानी थी और उन्होंने ने ही इसे बनवाया था. इतिहास का इस बारे में क्या कहना है?

Explainer: क्या वाकई संभल था पृथ्वीराज चौहान का साम्राज्य क्या कहता है इतिहास
संभल प्रशासन अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग के साथ एक पुरानी बावड़ी का सर्वे करने जा रहा है. ऐसा दावा किया जा रहा है कि इसे पृथ्वीराज चौहान ने बनावाया था.  संभल के चंदौसी में मिली इस कई मंजिला बावड़ी को बावड़ी पहले 5 मंजिल की दिखती थी जो अब केवल 2 मंजिल की दिखती है. ये वही बावड़ी है जहां पर सबसे पहले न्यूज़ 18 इंडिया की टीम पहुंची थी और न्यूज 18 इंडिया ने इस बावड़ी को खोजा था इस बावड़ी की तरफ सरकार की अनदेखी थी. लेकिन आज विभाग और सम्भल प्रशासन इस बावड़ी की सुध लेने पहुंचा है. पर सवाल ये है क्या वाकई इस बावड़ी को पृथ्वीराज चौहान ने ही बनवाया था. क्या उनके राज्य का प्रभाव यहां तक था. अगर नहीं तो उन्होंने यहां बावड़ी कैसे बनवाई और अगर उन्होंने यह बावड़ी नहीं बनवाई तो उनका नाम कैसे इससे जोड़ा जा रहा है. आइए, इन्हीं सवालों के जवाब तलाशते हैं. क्या है दावा? यह बावड़ी संभल जिले के चंदौसी के लक्ष्मणपुर गाव में मिली है. हमारे रिपोर्टर्स जब इस बावड़ी में पहुंचे और आसपास के लोगों के इसके बारे में पूछा तो उन्हें कई रोचक बातों का पता चला. यह बावड़ी तब की बनी बताई जा रही है जब संभल पृथ्वी राज चौहान राजधानी हुआ करती थी. रानी सुरेंद्र बाला की  यह बावड़ी फिलहाल दो मंजिला नजर आती है. स्थानीय लोगों को कहना है कि यह पहले 5 मंजिला हुआ करती थी, जबकि यह भी कहा जाता है कि यह 16 मंजिला थी, लेकिन इसे मिट्टी से भर दिया गया. इस बावड़ी को सैन्य टुकड़ियों के लिए बनाया गया थी और पहले इसमें सैनिक रहा करते थे. क्या है पृथ्वीराज चौहान का इतिहास? पृथ्वीराज चौहान, भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण योद्धा राजा के रूप में जाने जाते हैं. राजपूत होने की वजह से लोग यही सोचते हैं कि उनके राज्य का दायरा केवल राजस्थान या फिर उसके आसपास के इलाके तक ही सीमित होगा. यह सच है कि उनका साम्राज्य मुख्य रूप से दिल्ली और अजमेर पर केंद्रित था. उनके साम्राज्य की सीमाएं उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों तक फैली हुई थीं, यह भी कहा जाता है कि कुछ समय तक यह संभल ही पृथ्वी राज चौहान की राजधानी थी. पर क्या उनका साम्राज्य आज के उत्तर प्रदेश के संभल तक फैला था यह सवाल है. दावा किया जाता है की पृथ्वीराज चौहान का साम्राज्य समंल तक पहुंच गया था. (फाइल फोटो) एक स्रोत में यह ऐसा भी जिक्र दिलचस्प बात ये है कि संभल में कई हिंदू मंदिर मिल रहे हैं. यही नहीं कई और बावड़ियों और अन्य पुरातत्व चीज़ें मिल रही हैं. स्थानीय किवदंतियां भी मिल रही हैं और यह कहा जा रहा है कि संभल पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी. उत्तर प्रदेश के जला प्रशासन की सरकारी वेबसाइट के मुताबिक, में संभल के इतिहास में पृथ्वीराज चौहान का जिक्र जरूर है एतिहासिक तौर पर प्रामाणिक नहीं? वेबसाइटपर लिखा है, “दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान ने 12वीं सदी में मुहम्मद गजनी के भतीजे गाजी सैयाद सालार मसूद से दो तीखी जंग लड़ी थीं. पहले युद्ध में चौहान ने विजय प्राप्त की और दूसरे युद्ध में भी ऐसा ही हुआ. हालांकि, इसे साबित करने के लिए कोई परिस्थितिजन्य साक्ष्य नहीं है और इसे व्यापक रूप से एक किंवदंती के रूप में माना जाता है.” यह भी जिक्र है कि इसके बाद भी संभल पर हिंदू शासक ने राज्य किया जिसे दिल्ली के सुल्तान ने हटाया था. साफ है कि यह कहना कि उनका साम्राज्य संभल (जो वर्तमान उत्तर प्रदेश में स्थित है) तक फैला हुआ था, पूरी तरह से ऐतिहासिक स्रोतों से प्रमाणित नहीं है. दावा किया जाता है की पृथ्वीराज चौहान का साम्राज्य समंल तक पहुंच गया था.(प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons) पृथ्वीराज चौहान का साम्राज्य पृथ्वीराज चौहान का साम्राज्य मुख्य रूप से वर्तमान राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों तक विस्तारित था. ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, उनका शासन कन्नौज से लेकर मेवाड़ की सीमाओं तक फैला हुआ था. संभल का प्राचीन इतिहास कई अन्य राजवंशों से जुड़ा हुआ है, लेकिन पृथ्वीराज चौहान के काल में यह क्षेत्र सीधे तौर पर उनके साम्राज्य का हिस्सा था, ऐसा कोई स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है. कुछ संकेत ऐसे भी पृथ्वीराज रासो जैसे ग्रंथों में उनके पराक्रम और साम्राज्य विस्तार का अतिरंजित वर्णन मिलता है, परंतु यह पूरी तरह ऐतिहासिक रूप से विश्वसनीय नहीं है. इस बावड़ी की वास्तुकला और संरचना उस काल की निर्माण शैली से मेल खाती है, जिससे यह संकेत मिलता है कि पृथ्वीराज चौहान का इस क्षेत्र में प्रभाव रहा होगा. संभल में मिली बावड़ी और अन्य पुरातात्विक अवशेष उनके साम्राज्य के विस्तार और प्रभाव क्षेत्र की ओर संकेत करते हैं, लेकिन यह नतीजा निकालना कि संभल उनके सीधे नियंत्रण में था, वर्तमान साक्ष्यों के आधार पर संभव नहीं है. यह भी पढ़ें: Explainer: कौन सी थी वो किताब जिसे पढ़कर रामानुजन बने दुनिया के महान गणितज्ञ? यह प्रमाणित करने की जरूरत है कि यह बावड़ी (और दूसरी संरचनाएं भी) आखिर किस शासक ने बनवाई थी. उपलब्ध ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पृथ्वीराज चौहान का प्रभाव संभल क्षेत्र तक पहुंचा था, लेकिन यह क्षेत्र उनके प्रत्यक्ष शासन के अधीन था या नहीं, इस पर निश्चित रूप से कुछ कहना कठिन है. साफ है अब पुरात्व विभाग को गंभीरता से विषय पर दोनों नजरिए से संबंधित प्रमाण हासिल करने होंगे जिससे इससे इस विवाद का अंतिम फैसला हो सके नहीं तो यह मुद्दा बहस का ही विषय बना रहेगा. Tags: Sambhal, Sambhal NewsFIRST PUBLISHED : December 26, 2024, 13:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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