पुण्यतिथि: वाइसराय लॉर्ड वावेल को क्यों लगा कि हवाई हादसे में नहीं हुई सुभाष की मृत्यु

आखिर क्यों वाइसराय ने अपनी डायरी में लिखा, मुझे सुभाष चंद्र बोस की मौत की खबर में सच्चाई नहीं दिखती. केवल वावेल ही नहीं बल्कि बहुत से ब्रितानी अफसर इसको सही नहीं मानते थे. ब्रिटिश सरकार ने इसकी जांच भी कराई. क्यों वाइसराय वावेल को लगता था ऐसा

पुण्यतिथि: वाइसराय लॉर्ड वावेल को क्यों लगा कि हवाई हादसे में नहीं हुई सुभाष की मृत्यु
हाइलाइट्सनेताजी सुभाष की मृत्यु आज भी रहस्य क्यों बनी हुई हैतत्कालनी वायसराय ने डायरी में लिखा था-नेताजी जिंदा हैंब्रिटेन ने अपनी जांच में नेताजी बोस के बारे में क्या पता लगाया था तायवान के फारमोसा में 18 अगस्त को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की हवाई दुर्घटना में निधन की खबर जब फैली तो भारत में ज्यादातर लोगों को इस पर विश्वास नहीं था. यहां तक ब्रिटिश राज के शीर्ष अफसर भी ये मानने को तैयार नहीं थे. भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड आर्चीबाल्ड वावेल ने डायरी में लिखा, मुझे हैरानी होगी अगर सुभाष चंद्र बोस की हवाई दुर्घटना में मौत को लेकर जापान सरकार की खबर सही हो. वावेल ने आगे डायरी में लिखा, “मुझे अब भी उनकी मौत पर विश्वास नहीं है. मुझे इस पर संदेह है. मुझे लगता है कि इस घोषणा के जरिये उनके अंडरग्राउंड होने का रास्ता तैयार किया गया है.” उन्होंने ब्रिटेन में गृह मंत्री सर आरएफ मडी से बोस को लेकर गंभीर जांच कराने को कहा. ब्रिटिश हुक्मरानों को भी लगता था कि बोस जिंदा हैं. उन्होंने गंभीरता से  चर्चा भी की कि अगर बोस पकड़े गए तो उनके साथ क्या किया जाएगा. इसके लिए बकायदा एक सूची बनाई गई फिर उसकी कमियों और दिक्कतों पर चर्चा हुई. उन्हें लगा कि अगर बोस पकड़े गए तो उन्हें जनता के दबाव के चलते भारत में फांसी देना मुश्किल होगा. ब्रिटिश गृहमंत्री किस कोशिश में लगे थे? ब्रिटेन के गृहमंत्री मडी ने युद्ध अपराधी की तमाम परिभाषाएं खंगालने की कोशिश की, लेकिन उनके खांचे में बोस फिट ही नहीं हो रहे थे. उनके सहयोगियों का कहना था कि अगर हम इस आधार पर इंडियन नेशनल लीग के लोगों पर मुकदमा चलाते हैं तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. ट्रायल चलाने से भारत में अंग्रेज शासन के खिलाफ ऐसा अराजकता का माहौल बनेगा कि संभालना मुश्किल हो जाएगा.अंग्रेज हुक्मरान बगैर सुभाष की स्थिति के बारे में सही सही जाने बगैर ऐसा लगता था कि ख्यालीपुलाव सा पकाव रहे हों. 1945 में भारत में तैनात वायसराय लार्ड वाबेल को विश्वास नहीं था कि सुभाष वाकई हवाई हादसे में मारे गए क्या थी अंग्रेज हुक्मरानों की रिपोर्ट अंग्रेज हुक्मरानों ने अपनी रिपोर्ट को कुछ यूं खत्म किया,”हमने बहुत सी बातों पर गौर किया और बेहतर यही लगा कि वह जहां कहीं भी हों, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जाए. वह जहां कहीं हों, वहां से उन्हें लाने के बारे में नहीं सोचा जाए.” (मिहिर बोस की किताब द लास्ट हीरो, पृष्ठ 728). ‘आज़ाद हिंद फ़ौज’ का नेतृत्व करने वाले ‘नेताजी’ यानी सुभाष चंद्र बोस की मौत अभी भी रहस्य बनी हुई है. ब्रिटेन ने क्या पाया था जांच में दरअसल ब्रिटेन ने बोस की विमान दुर्घटना की खबर के एक साल के भीतर इसकी जांच शुरू की. राजनीतिक खुफिया अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल जान फिग्स से पूरे मामले की जांच करने को कहा गया. फिग्स ने ढेर सारे लोगों से बात की, इसमें गवाह भी थे और उस अस्पताल के लोग भी, जहां ये माना जाता है कि नेताजी ने अपनी आखिरी सांसें ली थीं. फिग्स इस नतीजे पर पहुंचे कि एससी बोस नाम का एक शख्स 18 अगस्त 1945 को ताइपेई के उस अस्पताल में मरा था, जगह जगह जलने और सदमे के कारण उसकी मौत हृदयाघात से हुई थी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस (image credit: Twitter@indianhistorypics) ब्रिटेन सरकार को रिपोर्ट पर था संशय 19जुलाई 1946 को अपनी रिपोर्ट में फिग्स ने कहा कि संभव है कि गवाहों की बातें मनगढंत हों. फिग्स के ये लिखने का मतलब ये भी निकाला गया हो सकता है कि सुभाष को वहां से कवर करके निकाला गया हो. लेकिन मोटे तौर पर फिग्स की रिपोर्ट का निष्कर्ष था कि नेताजी का निधन हवाई हादसे में हो गया. फाइल फोटो हालांकि फिग्स की रिपोर्ट के बाद भी ब्रिटिश आश्वस्त नहीं थे. इसके बाद फिर ब्रिटेन ने एक और जांच शुरू की. ये जांच नवंबर 1946 में खत्म हुई, जिसमें उनके जासूसों ने रिपोर्ट दी कि बोस के जिंदा होने के अवसर बहुत कम हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Netaji subhas chandra bose, Subhash Chandra BoseFIRST PUBLISHED : August 18, 2022, 11:17 IST