क्या होती है अंडा सेल जिसमें रखा जाएगा पुणे बम विस्फोट का दोषी
क्या होती है अंडा सेल जिसमें रखा जाएगा पुणे बम विस्फोट का दोषी
Anda Cell in Jails: 2010 पुणे जर्मन बेकरी बम ब्लास्ट के दोषी मिर्चा हिदायत बेग को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जेल में अंडा सेल में रखने का निर्देश दिया है. इस बम ब्लास्ट में पांच विदेशी नागरिकों सहित 17 लोगों की मौत हो गई थी. अंडा सेल में आमतौर पर जेल में गंभीर अपराध में बंद खूंखार कैदियों को रखा जाता है.
Anda Cell in Jails: बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे के जर्मन बेकरी विस्फोट में दोषी मिर्जा हिमायत बेग को जेल में अंडा सेल में रखने का निर्देश दिया है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र जेल प्राधिकरण से कहा है कि मिर्जा हिमायत बेग को अंडा सेल में ट्रांसफर कर दिया जाए. मालूम हो कि 13 फरवरी 2010 को पुणे में जर्मन बेकरी विस्फोट में पांच विदेशी नागरिकों सहित 17 लोगों की मौत हो गई थी. बम विस्फोट के सात महीने बाद सितंबर 2010 में बेग को महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने गिरफ्तार किया था. जर्मन बेकरी पुणे में विदेशियों के लिए बेहद लोकप्रिय रेस्तरां रहा है.
क्या होती है अंडा सेल
इस सेल का आकार अंडे की तरह होता है इसलिए इसे अंडा सेल नाम दिया गया है. इन सेल में आमतौर पर जेल में गंभीर अपराध में बंद खूंखार कैदियों को रखा जाता है. इन कोठरियों में बिजली नहीं होती है, कैदियों को अंधेरे में ही रखा जाता है. सुविधाओं के नाम पर कैदियों को सोने के लिए केवल एक बिस्तर दिया जाता है. कोठरी के बाहर इलेक्ट्रिक फेंसिंग होती है, अंदर और बाहर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं. इन कोठरियों को पूरी तरह से बॉम्बप्रूफ बनाया जाता है. किसी भी जेल का सबसे सुरक्षित हिस्सा अंडा सेल होती है. मुंबई की सबसे बड़ी आर्थर रोड जेल में इस तरह की नौ सेल हैं.
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क्यों पड़ी इसकी जरूरत
आधुनिक समाज में धीरे-धीरे फांसी को लेकर एक भावना बन रही है कि किसी की जान लेना का हक इंसान को नहीं होना चाहिए. इसीलिए जेलों में अनुशासनात्मक शक्ति की जरूरत पड़ी है. विशेषज्ञों का मानना है कि जेल में किसी व्यक्ति को निशाना बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. एकांत कारावास की यातनापूर्ण प्रथा आधुनिक जेलों की एक प्रमुख विशेषता बनी हुई है. भारतीय जेलों में भी अंडा सेल एकांत कारावास का ही एक रूप है. कई लोग इसे क्रूर,अमानवीय, अपमानजनक और यातना के रूप में परिभाषित करते हैं.
क्या कहता है जेल मैनुअल?
जेल मैनुअल में अंडा सेल को लेकर कोई स्पष्ट बात नहीं की गई है. लेकिन सजा के दौरान एकांतवास का जिक्र जरूर है. फिर भी अंडा सेल भारतीय जेलों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है. यह एकांतवास का ही एक रूप है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एकांत कारावास को ‘कैदियों को बाकी कैदियों से पूरी तरह से अलग और अकेले रखना, तथा जेल के अंदर की बाहरी दुनिया से अलग रखना’ कहकर परिभाषित किया है. सुप्रीम कोर्ट का यह बयान इस बात को भी बताता है कि यह सजा चाहे जिसे मिली हो, लेकिन वह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी होती है. एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लिखा था, “यदि कैदी मानसिक यातना या शारीरिक प्रताड़ना के कारण टूट जाता है तो इसके लिए जेल प्रशासन जिम्मेदार होगा.” हालांकि फिर भी यह सवाल बना रहेगा कि अंडा सेल और बुनियादी अधिकारों की कमी को कब तक वैध कारावास की सीमा के भीतर माना जा सकता है?
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धारा 73 क्या कहती है इस बारे में
आईपीसी की धारा 73 कहती है कि किसी भी व्यक्ति को अगर उसकी सजा छह माह से कम हो तो उसे एकांत में 30 दिन से ज्यादा नहीं रखा जा सकता है. अगर सजा एक साल से कम है तो यह अवधि 60 दिन हो सकती है. यह नियम कैदी के अपराध पर निर्भर नहीं करते, बल्कि यह सब पर समान रूप से लागू होते हैं. वहीं, धारा 74 कहती है कि एकांत में कैद करके रखने का समय एक बार में 14 दिन से अधिक नहीं हो सकता. संयुक्त राष्ट्र के नेल्सन मंडेला नियमों के अनुसार 15 दिन से ज्यादा का एकांत कारावास एक प्रकार की यातना ही है. लेकिन फिर भी यह बरकरार है. मिर्जा हिमायत बेग के मामले को अगर एक अपवाद भी मान लें तो क्या अब वक्त नहीं आ गया जब इस बारे में विचार विमर्श किया जाए.
Tags: Bomb Blast, Bombay high court, Central Jail, Maharashtra latest news, Pune newsFIRST PUBLISHED : June 21, 2024, 14:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed