भारत में पैदा हुआ वो शख्स जिसने अपनी पार्टी के जरिये 3 मुल्कों में फैलाई नफरत

Jamaat-e-Islami: जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में सबसे बड़ा इस्लामिक राजनीतिक दल है. जिसे पहले जमात-ए- इस्लामी बांग्लदेश या जमात के नाम से जाना जाता था. लेकिन साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने जमात-ए-इस्लामी क पंजीकरण रद्द कर पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा दिया. इसी महीने की एक तारीख को सरकार द्वारा इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया.

भारत में पैदा हुआ वो शख्स जिसने अपनी पार्टी के जरिये 3 मुल्कों में फैलाई नफरत
Jamaat-e-Islami: बांग्लादेश की अवामी लीग सरकार गिराने और प्रधानमंत्री शेख हसीना के निष्कासन के लिए जमात-ए- इस्लामी (JII) साफ तौर पर जिम्मेदार है. जमात-ए- इस्लामी ने सड़कों पर हिंसा और आगजनी के जरिये शेख हसीना को जब पद छोड़ने के लिए मजबूर किया तो उसे कई कट्टरपंथी इस्लामी समूहों का साथ मिला. जमात-ए-इस्लामी, बांग्लादेश में सबसे बड़ा इस्लामिक राजनीतिक दल है. जिसे पहले जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश या जमात के नाम से जाना जाता था. लेकिन साल 2013 में बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण रद्द कर पार्टी को राष्ट्रीय चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा दिया. इसी महीने की एक तारीख को सरकार द्वारा इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया.  हिंदुस्तान में हुआ था जमात-ए- इस्लामी का जन्म जमात-ए- इस्लामी का जन्म आजादी से पहले के हिंदुस्तान में हुआ था. इसकी स्थापना साल 1941 में इस्लामी विचारक मौलाना अबुल आला मौदूदी ने खुदा की सल्तनत स्थापित करने के इरादे से की थी. मौलाना मौदूदी ने इस्लाम को धार्मिक मार्ग से परे एक राजनीतिक विचारधारा प्रदान करने वाले रास्ते के रूप में देखा था. मौलाना मौदूदी का जन्म साल 1903 में औरंगाबाद में हुआ था. जमात-ए- इस्लामी का शुमार उस समय के सबसे प्रभावी इस्लामी संगठनों में होता था. यह साल 1928 में स्थापित मुस्लिम ब्रदरहुड से प्रभावित था.  विभाजन के बाद पाकिस्तान में बना संगठन साल 1947 में भारत के विभाजन के बाद यह संगठन भारत और पाकिस्तान में अलग-अलग संगठनों में बंट गया. जमात-ए- इस्लामी पाकिस्तान और जमात-ए- इस्लामी हिंद. जमात-ए- इस्लामी हिंद की स्थापना साल 1948 में हुई. जमात-ए- इस्लामी से संबंधित और प्रेरित अन्य समूह बांग्लादेश, कश्मीर, ब्रिटेन और अफगानिस्तान में विकसित हुए. जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता और पाकिस्तान के टूटने का कड़ा विरोध किया था. साल 1971 में होने वाले स्वतंत्रता युद्ध में इस दल ने पाकिस्तान का समर्थन किया था. बाद में यह बांग्लादेश के इस्लामीकरण के प्रयास में जुटकर एक सक्रिय दल के रूप में उभरी.  ये भी पढ़ें- वो सांप जिनकी लंबाई और वजन से हो जाएंगे हैरान, भारत समेत दुनिया में कहां-कहां इसका घर बांग्लादेश की आजादी के समय नरसंहार की जिम्मेदार यहां पर एक बात यह भी ध्यान रखने वाली है कि जमात-ए- इस्लामी 1971 के युद्ध के दौरान हिंदुओं और बंगाली भाषी मुसलमानों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार था. जमात-ए- इस्लामी की बांग्लादेशी शाखा ने रजाकार, अल-बद्र, अल-शम्स और शांति समिति जैसे पाकिस्तानी सेना के सहायक बलों के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिन्होंने बंगाली स्वतंत्रता सेनानियों, विशेष रूप से हिंदुओं के खिलाफ अत्याचारों में सक्रिय रूप से भाग लिया था. जमात-ए- इस्लामी और पाकिस्तानी सेनाओं द्वारा हजारों हिंदू पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का नरसंहार किया गया, जबकि बड़ी संख्या में हिंदू लड़कियों और महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया.  अभी भी हिंदुओं पर हमले में उनका हाथ कुछ साल पहले, बांग्लादेश में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरणों ने 1971 में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पाकिस्तानी कब्जे वाली ताकतों के एक सक्रिय समूह के रूप में जमात-ए- इस्लामी की भूमिका का वर्णन किया था. अभी भी बांग्लादेश में फैली हिंसा के दौरान जो हिंदुओं, उनके घरों और उनके मंदिरों पर हमलों की कई खबरें सामने आई हैं उसमें जमात-ए- इस्लामी का हाथ बताया जा रहा है. पाकिस्तान में इस संगठन के आंतकियों से रहे संबंध जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान 1948, 1953 और 1963 में गंभीर सरकारी दमन का शिकार हुआ. जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक के शासन के शुरुआती वर्षों के दौरान, जमात-ए-इस्लामी की स्थिति में सुधार हुआ और इसे सरकार की वैचारिक और राजनीतिक शाखा के रूप में देखा जाने लगा. पार्टी के सदस्यों के पास कई बार सूचना और प्रसारण विभाग के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण कैबिनेट मंत्रालय रहे. कहा जाता है कि जमात का पाकिस्तान के कई प्रतिबंधित संगठनों से करीबी संबंध था. सबसे उल्लेखनीय संबंध तहरीक-ए-नफाज़-ए-शरीयत-ए-मोहम्मदी से था. यह उग्रवादी संगठन जमात-ए-इस्लामी की एक शाखा के रूप में विकसित हुआ और इसकी स्थापना 1992 में सूफी मुहम्मद ने की थी.  ये भी पढ़ें- हरियाणा से ज्यादा बड़ा बर्फ का विशाल टुकड़ा, क्यों 38 सालों से तैर रहा समुद्र में भारत विभाजन का किया विरोध, पाकिस्तान का दिया साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय, मौलाना मौदूदी और जमात-ए-इस्लामी ने सक्रिय रूप से भारत के विभाजन का विरोध करने के लिए काम किया था. इसके होने के बाद, मौदूदी और उनके अनुयायियों ने अपना ध्यान इस्लाम के राजनीतिकरण पर केंद्रित कर दिया और पाकिस्तान को एक इस्लामिक राज्य बनाने के लिए समर्थन पैदा किया. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक को पाकिस्तान में इस्लामीकरण शुरू करने के लिए प्रेरित करने का काम किया. जनरल हक ने  न्यायपालिका और सिविल सेवा में हजारों सदस्यों और सहानुभूति रखने वालों को नौकरी देने का काम किया था. ताकि इस विचारधारा को मजबूत किया जा सके. उसी दौरान मौलाना मौदूदी को साल 1979 में इस्लाम की सेवा के लिए सऊदी अरब का शाह फैसल अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था. वह इसे प्राप्त करने वाले पहले शख्स थे. Tags: Bangladesh, Bangladesh PM Sheikh Hasina, Islamic state, Sheikh hasinaFIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 16:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed