75 साल पहले : 13 अगस्त1947 - पुरानी दिल्ली की एक तिहाई आबादी खाली हो चुकी थी
75 साल पहले : 13 अगस्त1947 - पुरानी दिल्ली की एक तिहाई आबादी खाली हो चुकी थी
15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों ने करीब दो सदी से ज्यादा के शासन के बाद इस देश को आजाद कर दिया. लेकिन आजादी से पहले देश में तमाम तरह की चुनौतियां खड़ी हो गईं. घटनाक्रम बहुत तेजी से बदलने लगे. आजादी से पहले के दिनों को लेकर हम एक सीरीज चला रहे हैं. इसी क्रम में आज पेश है 13 अगस्त 1947 की घटनाएं
हाइलाइट्सलखनऊ के नवाब ने भी कहा कि 15 अगस्त से हम आजाद हो जाएंगेहैदराबाद भी भारतीय रियासत में नहीं मिलने की बात पहले से कह रहा थाभोपाल का नवाब जिन्ना के बहकावे में ज्यादा था दो दिन बाद देश 200 सालों की गुलामी से आजाद होने वाला था. हर ओर इसकी खुशी थी लेकिन इसके बीच बहुत सी घटनाएं बहुत तेजी से घट रही थीं. उत्तर भारत से काफी बड़ी संख्या में मुस्लिम पाकिस्तान जा रहे थे. केवल पुरानी दिल्ली जिसकी आबादी 09 लाख के आसपास थी, उसकी तिहाई आबादी खाली हो चुकी थी. आजादी के दो दिन पहले भारत ने सोवियत संघ के साथ दोस्ताना संबंध बनाने का फैसला किया. हालांकि उस सोवियत संघ के प्रमुख स्तालिन थे. उन्हें भारत को लेकर बहुत सी गलतफहमियां थीं. उन्हें लग रहा था कि भारत में आजादी तो मिल रही है लेकिन उसके बाद ये ब्रिटेन का ही पिछलग्गू बना रहेगा.इसके अलावा ना जाने क्यों स्तालिन को इस आजादी होते देश को लेकर कई ऐसी बातें दिमाग में घुसी थीं, जिसका कोई आधार नहीं था. विजय लक्ष्मी पंडित को मास्को भेजा गया
भारत ने आजादी के विजय लक्ष्मी पंडित को सोवियत संघ में अपना पहला राजदूत बनाकर भेजा. शायद यही वजह थी कि स्तालिन ने उनसे मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई बल्कि भारत के दोस्ताना संबंध रखने के फैसले पर भी सोवियत संघ ने कोई खास उत्साह नहीं दिखाया था. त्रिपुरा का विलय पत्र पर साइन
त्रिपुरा लंबे समय से प्रिंसले स्टेट था. 13 अगस्त 1947 को त्रिपुरा की रानी कंचनप्रभा देवी ने अधिमिलन पत्र (Instrument of Accession) पर साइन किये. हालांकि रानी चाहती थीं कि राज्य में उनका स्वायत्तता बनी रहे और राज्य की बागडोर भी वही संभालती रहें. उन्होंने कई शर्तों के साथ भारतीय संघ में आना स्वीकार किया. त्रिपुरा के राजा वीर विक्रम किशोर देवबर्मन का निधन मई 1947 में हो गया था. उस समय उनके पुत्र किरिट विक्रम किशोर नाबालिग थे, इसलिए राज्य की कौंसिल ऑफ रिजेंसी की प्रमुख महारानी कंचन प्रभा देवी थीं.
हालांकि राज्य में इसका विरोध हुआ. आने वाले महिनों में राज्य में तमाम ऐसी घटनाएं होती रहीं कि स्थिरता बनी रही. बाद में 09 सितंबर 1949 को अंतिम तौर पर महारानी ने विलय पत्र पर सहमति, जो 15 अक्टूबर को जाकर हरकत में आ पाया. तब त्रिपुरा केंद्र शासित प्रदेश बना. हरिलाल बने पहले चीफ जस्टिस
हरिलाल जेकीसुदास कानिया फेडरल कोर्ट के चीफ जज थे. उन्हें भारत का पहला मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. इसके बाद जब भारत गणतांत्रिक देश बना तो 1950 में कानिया सुप्रीम कोर्ट के पहले चीफ जस्टिस बनाए गए. वह इस पद पर डेढ़ साल से कुछ ज्यादा ही रह पाए. कार्यकाल के बीच में ही उनका निधन हो गया. भोपाल के नवाब ने कहा वो आजाद रहेंगे
वहीं भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान ने साफतौर पर कहा कि वो अपनी रियासत को आजाद रखें. भारतीय संघ में शामिल नहीं होंगे. कुछ ऐसा ही लखनऊ में अवध के नवाब के प्रपोत्र ने कहा. लखनऊ में रात में रेजीडेंसी से 90 साल से लटका यूनियन जैक उतार लिया गया. लखनऊ में एक अजीब बात हुई. नवाब वाजिद अली शाह का प्रपौत्र युसुफ अली मिर्जा पहली बार शहर में आए. उन्हें देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी. शाम को घोषणा की गई कि 15 अगस्त के बाद अवध आजाद हो जाएगा और उसके नवाब होंगे मिर्जा. हैदराबाद के निजाम ने एक घोषणा पत्र जारी करते हुए उनका राज्य स्वतंत्र रहेगा. भारत में नहीं मिलेगा. लाहौर में दंगे हो रहे थे
13 अगस्त 1947 लाहौर में स्थिति औऱ बिगड गई. हर ओर आगजनी, तोडफ़ोड़, लूटपाट, बम धमाके, कत्लेआम और चीखपुकार. वैसे ऐसी ही हृदयविदारक स्थिति पंजाब के और भी इलाकों की थी. कानून और प्रशासन का राज खत्म हो चुका था. ऐसा लगता था कि अंग्रेज अफसरों की इच्छाशक्ति अब कानून-व्यवस्था को बहाल रखने की बची ही नहीं है. वो अनिच्छा से काम कर रहे लगते थे. अंग्रेज फौजें और पुलिस में भी असमंजस थे. वो सब अब वापस लंदन लौटना चाहते थे. अमृतसर में पुलिस को गोली चलानी पड़ी. पंजाब में प्रेस सेंसरशिप लागू कर दी गई. कलकत्ता में गांधीजी के रहने से वहां स्थितियां तेजी से सामान्य होने लगी थीं.
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Tags: 15 August, 75th Independence Day, Freedom, Freedom Struggle Movement, Independence, Independence dayFIRST PUBLISHED : August 13, 2022, 09:47 IST