फिरोजाबाद: महिलाओं के हाथों की खूबसूरती में चूड़ियां चार-चांद लगा देती हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि चूड़ियां बनाना कितना मुश्किल काम है. रंग, डिजाइन से लेकर हाथों के नाप तक, कई बातों का ख्याल चूड़ियां बनाते वक्त किया जाता है. हाथों से एक-एक चूड़ी के साइज को माप कर अलग निकाला जाता है.सुबह से लेकर शाम तक कारीगर इसी काम को करते हैं.जिसके बाद यह चूड़ी महिलाओं के लिए बाजार में बिकने के लिए पहुंचती हैं.
चूड़ियों के साइज पर लगाना पड़ता है खूब दिमाग
फिरोजाबाद के रसूलपुर में रहने वाले चूड़ी व्यापारी राकेश कुमार लोधी ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए कहा कि चूड़ी का काम बड़े स्तर पर किया जाता है. कारखाने से लेकर दुकानों पर ब्रिकी के लिए पहुचने से पहले चूड़ी को अलग-अलग तरह से तैयार किया जाता है. इसमें सबसे अलग काम चूड़ियों की छटाई का है. इस काम को करने के लिए कारीगर हाथ और दिमाग, दोनों को चूड़ियों के साइज को छांटने के लिए इस्तेमाल करता है.
अनुभवी कारीगर संभालते हैं जिम्मेदारी
सबसे पहले चूड़ियों के साथ मोटी, पतली, छोटी और बड़े साइज की चूड़ी को हाथ से नापकर अलग-अलग निकाला जाता है. उसके बाद इनमें खराब टेडी या ज्वाइंट वाली चूड़ी को भी अलग करना होता है. इस काम को करने के लिए अनुभवी कारीगर की आवश्यकता होती है. कभी कभी गलती से साइज गलत हो जाने से नुकसान भी होता है. इन चूड़ियों को अलग-अलग साइज में तैयार किया जाता है.
500 रुपए रोजाना का काम करते हैं कारीगर
राकेश कुमार ने कहा कि इस काम को करने वाले कारीगर सुबह से ही गोदाम पर आ जाते हैं और चूड़ी छटाई का काम शुरु कर देते हैं. गोदामों पर चूड़ी के तोड़े लाए जाते हैं, जिन्हे छांट कर अलग-अलग साइज में चूड़ियों को निकाला जाता है. इसके साथ ही कारीगरों को इस काम को करने के लिए प्रति जोड़े के हिसाब से पैसे मिलते हैं. छटाई का काम करने वाले कारीगर रोजाना पांच सौ रुपए तक का काम कर लेते हैं.
Tags: Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 12:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed