इस तरबूज की खेती 3 महीने में बना देगी लखपति कम लागत में ज्यादा मुनाफा

किसान सत्येंद्र कुमार बताते हैं कि वह तरबूज की खेती पिछले 8 वर्षों से करते आ रहे हैं. दूसरी फसलों की अपेक्षा इसमें मेहनत और लागत भी कम आती है, तो दूसरी ओर खेत में ही इसकी बिक्री हो जाती है. ऐसे में उनको कोई भी विशेष मशक्कत नहीं करनी पड़ती है.

इस तरबूज की खेती 3 महीने में बना देगी लखपति कम लागत में ज्यादा मुनाफा
सत्यम कटियार/ फर्रुखाबाद. आज के समय में हर कोई खेती और किसानी को नुकसान का सौदा समझता है लेकिन अब ऐसा नहीं है क्योंकि खेतीबाड़ी से लोग लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. जिस प्रकार फर्रुखाबाद के किसान इस समय पर मात्र 90 दिनों में तरबूज की फसल से बंपर उत्पादन से अच्छी कमाई कर रहे हैं, तो दूसरी ओर इसकी लागत भी बेहद कम आती है. ऐसे समय पर किसान अन्य फसलों की अपेक्षा दोगुनी कमाई करके मालामाल हो रहे हैं. फर्रुखाबाद के गुधनामई गांव के निवासी किसान सत्येंद्र कुमार बताते हैं कि वह तरबूज की खेती पिछले 8 वर्षों से करते आ रहे हैं. दूसरी फसलों की अपेक्षा इसमें मेहनत और लागत भी कम आती है, तो दूसरी ओर खेत में ही इसकी बिक्री हो जाती है. ऐसे में उनको कोई भी विशेष मशक्कत नहीं करनी पड़ती है. वही एक बार फसल तैयार हो जाने के बाद इसका उत्पादन दो बार में होता है. जिसके बाद जब फसल खत्म हो जाती है, तो इसके पौधों की खाद बना देते हैं. इस समय पर उन्होंने अपने खेतों में इसकी चामुंडा किस्म की फसल बोई है. तरबूज की है तगड़ी डिमांड उन्होंने आगे कहा कि आलू की फसल की खुदाई के बाद तरबूज के बीजों की बुवाई कर दी जाती है, जो कि मई और जून में उत्पादन देने लगती है. ऐसे समय पर गर्मी के इस मौसम में 90 दिनों में तैयार होने वाली यह फसल से किसान लाखों रुपये की कमाई कर लेते हैं क्योंकि इस समय पर देश भर के विभिन्न राज्यों से तरबूज की तगड़ी डिमांड आती है. वहीं बाजार में इन दोनों तरबूज की विभिन्न वैरायटी उपलब्ध हैं. तीन हजार रुपये प्रति बीघा लागत किसान सत्येंद्र कुमार ने बताया कि तरबूज की फसल में आमतौर पर तीन हजार रुपये प्रति बीघा लागत आती है. वहीं जब फसल तैयार हो जाती है, तो 20 कुंतल तरबूज आसानी से निकल आता है. ऐसे समय पर किसानों को 10 से 20 रुपये प्रति किलो की दर से रेट मिल जाते हैं, तो किसान लाखों रुपये की कमाई कर लेते हैं. जब खेत से तरबूज की निकासी हो जाती है, तो इसके बाद तरबूज के पौधों की जैविक खाद बनाकर प्रयोग किया जाता है. जिससे आने वाली दूसरी फसलों में उत्पादन बढ़ जाता है. क्या है उगाने की विधि? वह आगे बताते हैं कि सबसे पहले वह खेत को समतल करने के बाद प्रति एक फीट की दूरी पर तरबूज की एक पौध या बीज को रोप देते हैं. इसके बाद समय से सिंचाई करते रहते हैं. जब पौधे बड़े हो जाते हैं, तो इससे फूल निकलने के बाद तरबूज के फल निकलते हैं. ऐसे समय पर तीन महीने की समय अवधि के बाद खेत से तरबूज की निकासी होने लगती है, जिसकी वह बिक्री करते हैं. Tags: Farrukhabad news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : May 25, 2024, 16:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed