Bhojpuri में पढ़ें - का वर्षा जब कृषि सुखानी-अइसने हाल होई का

एह साल खरीफ के बुआई के एन मौके पर बारिश के रफ्तार थम गईला से किसान खासा परेशान बाड़न. मौसम विभाग के एक अनुमान के मुताबिक 20 जुलाई तक पिछला साल की तुलना में 146.3 मिमी कम बारिश एह साल भईल बा. पिछलका साल 20 जुलाई तक 473.6 मिमी बारिश भईल रहे, जबकि एह साल अब तक 326.3 मिमी बरसात भईल बा.

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अब मौसम विभाग के भविष्यवाणी से किसानन के विश्वास उठी गईल बा. मौसम विज्ञानी लोग भी चकित बा कि- बारिश के हर तरह के अनुकूलता के बावजूद बार-बार आसमान के बादर धोखा काहें देत बा? अमरीकी मौसम विज्ञानी बतावत बा कि-प्रशांत महासागर में ‘अलनीनो’ के सक्रियता से एह साल भारत-पाकिस्तान में कम बारिश के आसार बा. हालांकि पश्चिमी भारत-गुजरात-राजस्थान- महाराष्ट्र में कई जगह बाढ़ के स्थिति पैदा हो गईल बा. उत्तर अउर पूर्वोत्तर भारत में जुलाई के पहिला हफ्ता में जरूर थोड़ा बारिश भईल. 15 जून के आसपास किसान ख़रीफ के मुख्य फसल धान के बेहन भी डाल चुकल रहलन. बाकि कई हफ्ता बारिश के ना भईला से नर्सरी में तैयार धान के सूखे के नौबत आ गईल हा. 20 जुलाई के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश- बिहार में फिर मानसून सक्रिय भईल हा, बाकि तब तक काफी लेट हो चुकल बा. एह इलाका के किसानन के मन भोजपुरी के ई कहावत बात ठीक से दर्ज बा कि- आगे खेती आगे आगे. पीछे खेती भागे जोगे.. दरअसल खरीफ(भदई)के खेती के बुआई-जुताई के मियाद तेरहे दिन के मानल बा. यदि एह दौरान भदई के खेती के काम पूरा ना होई, तब कई तरह के हवा- ब्याधि से भदई के फसल के नुकसान के खतरा बढ़ी जाई. आगे रबी के बुआई में भी लेट होखें के संभावना बढ़ी जाला. एह से भदई-रबी के बुआई के काम ठीक वइसे बा जइसे लोहार के लोहसाई में जब लोहा गर्म होखें तबे हथौड़ा मारे के चाहीं. समय पर बुआई ना होई तब अच्छा पैदावार के उम्मीद ना कईल जा सकें. समय पर बरसात के दरकार भी एहि वजह से किसानन के रहेला. जब समय पर बारिश ना होखें, आ समय बितला के बाद बारिश होला तब किसान मन मसोस के ई कहेलन कि- का बरसा जब कृषि सुखानी. एह साल पूर्वी उत्तर प्रदेश आ सटले बिहार के किसानन के सामने अइसने स्थिति पैदा हो गईल बा. गढ़ा-ताल-तलैया सब सूखा के चपेट में बा. धरती के हरियाली कहीं नज़र नइखें आवत. काहे कि धरती के छाती अभी बरसात के पानी से जुड़ाइल नईखें.मेढ़कन के टर्ट- टर्ट के आवाज भी कहीं सुनाई नईखें देत. बाग में अभी झूला झूली के गावें वाला कजरी गीत भी कहीं सुनाई नईखें देत. सावन के फुहार से कम से कम पूर्वी उत्तर प्रदेश आ बिहार में लोगन के मन मिजाज अभी होरी-होरी नईखें भईल. बल्कि सावन महीना में कभी-कभी जेठ के दुपहरी के लुआर के एहसास होत बा. एह हालात में क़तील शिफ़ाई के एक ग़जल के कुछ पंक्ति याद आवत बा- किसको खबर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते है. सावन आया लेकिन अपने किस्मत में बरसात नहीं.. वैदिक ज्योतिष के आधार पर भी वर्षा के अनुमान के परम्परा अपना देश में सदियों से प्रचलित बा. एही आधार पर कहल बा कि- जवना वर्ष के राजा सूर्य होइहें, ओह साल औसत बरसात होई. चंद्रमा के राजा भईला पर भरपूर बरसात होई. मंगल के राजा बनला पर कम बरसात अउर बुध ग्रह के राजा भईला पर अतिवृष्टि के प्रबल संभावना रहीं.अइसहीं जब वृहस्पति राजा होइहें अच्छा बारिश होई. शुक्र के राजा भईला पर औसत अउर शनि के राजा भईला पर कम बरसात होखें के संभावना रहीं.जमीन सूखा आ बंजर हो जाई. भारत जइसन देश में जहां लगभग पचास फीसद खेती आकाश के पानी के भरोसे बा.कम बरसात के वजह से पैदा भईल हालात से किसानन के चिंता बिल्कुल स्वभाविक बा. जलवायु परिवर्तन के वजह से भी पूरा दुनिया के मौसम चक्र में खासा बदलाव देखल जात बा. एह वहज से देश में कहीं अतिवृष्टि त कहीं अनावृष्टि के हालात पैदा भईल बा.जाहिरन एह हालात से एह साल भारत के ‘हृदय स्थल’ के खेती-किसानी पर असर जरूर पड़ीं. (मोहन सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं, आलेख में लिखे विचार उनके निजी हैं.) ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Article in Bhojpuri, BhojpuriFIRST PUBLISHED : July 28, 2022, 17:11 IST