मरी माई के इस धाम में लगे हैं 10 हजार से अधिक घंटे ये है मान्यता
मरी माई के इस धाम में लगे हैं 10 हजार से अधिक घंटे ये है मान्यता
Mari Mai Dham: मरी माई धाम अथवा पापर धाम में वर्तमान में मौजूद नीम का पेड़ दूसरी पीढ़ी का पेड़ है. मंदिर के पुजारी अयोध्या प्रसाद दुबे बताते हैं कि पहली पीढ़ी के नीम का पेड़ साल 1961 में गिर गया था.......
रिपोर्ट- विशाल तिवारी
सुल्तानपुर: सुल्तानपुर के लंभुआ तहसील में एक ऐसा धाम है जहां लगभग 10 हजार से अधिक घंटे बंधे हैं और इस धाम का नाम है मरी माई. इस धाम के नाम के पीछे भी एक रोचक कहानी है. लोगों की मान्यता है कि यहां नीम की पहली पीढ़ी में जगदम्बा माता प्रकट हुई थी जो आज भी लोगों का कल्याण करती हैं. इसी वजह से इस धाम में भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
1961 में गिरा पहली पीढ़ी के नीम का पेड़
मरी माई धाम अथवा पापर धाम में वर्तमान में मौजूद नीम का पेड़ दूसरी पीढ़ी का पेड़ है. मंदिर के पुजारी अयोध्या प्रसाद दुबे बताते हैं कि पहली पीढ़ी के नीम का पेड़ साल 1961 में गिर गया था जिसके बाद उसी स्थान पर दूसरी पीढ़ी का पेड़ तैयार किया गया है जो लगभग 63 साल पुराना हो चुका है.
इस दिन लगती है भीड़
लंभुआ तहसील के शाहपुर हरिवंश में स्थित मरी माई धाम में मंगलवार के दिन भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है और इसी दिन यहां भव्य मेला भी आयोजित किया जाता है. आपको बता दें कि इस मंदिर में दस हजार से भी अधिक घंटे लगाए गए हैं जो लोगों की आस्था और विश्वास प्रतीक हैं.
कहा जाता है दिलेश्वरी माता
मरी माई धाम में प्रकट हुई जगदंबा माता को दिलेश्वरी माता के नाम से जाना जाता है. अयोध्या प्रसाद दुबे जी बताते हैं कि इस मंदिर में आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ वापस नहीं होता क्योंकि मां दिलेश्वरी उसकी मनोकामनाएं जरूर पूर्ण करती हैं.
Tags: Local18FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 16:34 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed