जमाई राजा के नाम से मशहूर है वृंदावन का यह मंदिर गजब की है मान्यता

वृन्दावन में एक ऐसा मंदिर जहां भगवान को जमाई राजा के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर की स्थापना 1875 में हुई थी. मान्यता के अनुसार भगवान जमाई राजा का श्री विग्रह नदी से प्राप्त हुआ था. विग्रह एक पंडित को नदी में मिला था. पंडित जी को सपना आया था कि श्री विग्रह को नदी से बाहर निकाल कर अपने घर स्थापित करो. 

जमाई राजा के नाम से मशहूर है वृंदावन का यह मंदिर गजब की है मान्यता
निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा : वृंदावन के कण-कण में श्री कृष्ण और राधा की लीलाओं के रहस्य छुपे हुए हैं. यहां कदम कदम पर श्री कृष्ण और राधा ने अपनी लीलाओं को किया. वहीं वृंदावन में एक मंदिर ऐसा भी है, जिसकी मान्यता भगवान बांके बिहारी मंदिर से कई गुना ज्यादा हुआ करती थी. यह मंदिर जमाई ठाकुर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर को जमाई ठाकुर मंदिर के नाम से क्यों जाना जाता है और इसकी मान्यता क्या है, वह हम आपको बता रहे हैं. बांग्लादेश से है कनेक्शन मंदिर के सेवायत पुजारी उदयन शर्मा ने जमाई राजा मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बांग्लादेश में तराश एक तहसील है.  तरास तहसील के जमींदार थे बनवारी लाला. उनके यहां ठाकुर जी विराजमान थे, इनकी पूजा यहां हुआ करती थी. यही परंपरा वहीं से चली आ रही है. परंपरा यह है कि मंदिर में जमाई की खातिरदारी होती है. भगवान का ये श्री विग्रह नदी से प्रकट हुए हैं. एक ब्राह्मण के द्वारा इन्हें प्रकट किया गया है. उसको सपना आया कि तुम स्नान के वक्त नदी में मुझसे टकरा जाते हो, लेकिन मेरा उद्धार नहीं करते हो. ब्राह्मण ने सोचा कि जब मैं स्नान करता हूं तो कोई लकड़ी जैसी चीज  टकराती है. उसने जब देखा तो श्रीकृष्ण की दिव्य और भव्य प्रतिमा थी. ऐसी मूर्ति पूरे संसार में नहीं है. कुछ साल ब्राह्मण के यहां रहे. श्री कृष्ण ने ब्राह्मण को सपना दिया और उसमें ठाकुर जी ब्राह्मण से कह रहे हैं कि मुझे राजा के पास जाना है. राजा बहुत प्रसन्न हुए उनकी एक लड़की थी, जो ठाकुर जी के लिए अपने हाथों से माला बनाया करती थी. पूरी सेवा करती थी.  लकड़ी से बनी प्रतिमा से हुआ था ठाकुर जी का विवाह शादी लायक हो रही थी बच्ची ठाकुर जी की सेवा ऐसी कैसे करती है सभी आश्चर्यचकित हुए. राजा को सपना आया और भगवान श्री कृष्ण ने उनसे स्वप्न में कहा कि मैं तुम्हारी कन्या को अपने पास बुला लूंगा. 1 साल तक इस धरती पर रहेगी और उसके जैसी एक राधा रानी की मूर्ति बनवाओ. वही मूर्ति आज स्थापित है, जो पेड़ भगवान श्री कृष्ण के द्वारा बताया गया था. वह भी मंदिर में लगा हुआ है. उस पेड़ की बनी लकड़ी से प्रतिमा से ठाकुर जी का विवाह हुआ. परंपरा लगातार चली आ रही है. 8 पीढ़ियों तक यह परंपरा लगातार चलती रही. पहले ठाकुर जी से विवाह कन्या का होता था,  उसके बाद वर से विवाह होता है. कोई सम्मानित अतिथि आए तो गांव में उन्हें सम्मान दिया जाता है. जमाई ससुराल की संपत्ति नहीं चाहता, केवल मान सम्मान चाहता है. बांग्लादेश में है मंदिर की 52 बीघा जमीन और सम्पत्ति बांग्लादेश में इनका मंदिर 52 बीघा में बना हुआ था. आज भी काफी जगह है. 110 कमरे इसमें बने हुए थे. तरह-तरह के छप्पन भोग और श्री कृष्ण के रथ में लगे हुए घोड़े 2 किलो प्रति दिन खाते थे. ठाकुर जी गंगाजल से अपनी बग्गी को धोकर भ्रमण करने के लिए निकलते थे.  हजारों यात्री प्रतिवर्ष जमाई ठाकुर के दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर का निर्माण 1875 में हुआ. जगतबंधु पैगंबर भी आए थे. उनकी पूजा सबसे ज्यादा हिंदू भगवानों में होती है. Tags: Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : July 28, 2024, 09:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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