Explainer: अब तक यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्र की सुनवाई में क्या-क्या हुआ किसने क्या कहा जानें ये खास बातें
Explainer: अब तक यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्र की सुनवाई में क्या-क्या हुआ किसने क्या कहा जानें ये खास बातें
Explainer: यूक्रेन से लौटे छात्रों ने भारत के कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था.
Explainer: रूस और यूक्रेन के बीच जब युद्ध शुरू हुआ, उसके बाद से वहां के मेडिकल कॉलेज या विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे छात्र वापस भारत लौटने लगे. युद्ध की भयावह स्थिति ऐसी बन गई थी कि वहां के छात्रों को अपनी जान की फिक्र होने लगी. ऐसी स्थिति में वहां अधूरी पढ़ाई छोड़कर भारत लौट आए. भारत आने के बाद छात्रों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी. इसके बाद यूक्रेन से लौटे छात्रों ने भारत के कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था.
सुप्रीम कोर्ट ने विदेश मामलों की समिति द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट का हवाला दिया था. यहा रिपोर्ट 3 अगस्त को संसद को प्रस्तुत किया, जिसमें सिफारिश की गई थी कि रूस के साथ युद्ध के बाद यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों को देश में अपने चिकित्सा पाठ्यक्रम को पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, “सिफारिश के मद्देनजर (विदेश मामलों की एक समिति द्वारा) याचिकाकर्ता यूक्रेन के छात्रों के संबंध में भारत सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) से उचित निर्देश मांगते है. नोटिस जारी करें.” कोर्ट ने 5 सितंबर तक जवाब मांगा था.
यूक्रेन से लौटे छात्रों की ओर से पेश एडवोकेट की दलील
छात्रों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट आर बसंत ने कहा कि 20,000 छात्र प्रभावित हैं. जबकि कई अंडर ग्रेजुएट मेडिकल पाठ्यक्रम के पहले वर्ष में हैं, कुछ ऐसे भी हैं जो एक वर्ष के भीतर पाठ्यक्रम पूरा करने वाले थे. बसंत ने छात्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा “मैं यूक्रेन वापस नहीं जा सकता. यह हमारे जीवन का प्रश्न है. कोर्ट द्वारा इन मामलों में हस्ताक्षेप करने से भविष्य में बनने वाले डॉक्टरों को मदद मिल सकती है. उन्होंने इसमें अपना जीवन लगा दिया है.”
केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में दलील
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 15 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि अधिकांश याचिकाकर्ता छात्रों ने विदेशों में अध्ययन करने का विकल्प इसलिए चुना था क्योंकि उनके NEET परीक्षा में “खराब” अंक थे. ऐसे में इन छात्रों को भारत के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की अनुमति दी जाती है, तो देश के जिन छात्रों को सीट नहीं मिली है, वे मुकदमे दायर कर सकते हैं. NMC ने अब तक किसी भी भारतीय चिकित्सा संस्थान / विश्वविद्यालय में किसी भी विदेशी मेडिकल छात्र को स्थानांतरित करने या समायोजित करने की अनुमति नहीं दी है. इसलिए यूक्रेन से लौटे भारतीय अंडर ग्रेजुएट मेडिकल छात्रों को देश के मेडिकल कॉलेजों में समायोजित नहीं किया जा सकता है.
अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करता है कि यूक्रेन से लौटे छात्रों को देश के मेडिकल कॉलेज या विश्वविद्यालयों में दखिला दिया जाता है या नहीं! इसको लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
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Tags: Medical Students, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 16, 2022, 12:44 IST