EWS कोटा केस: SC में संवैधानिक वैधता पर सुनवाई अगले 5 वर्किंग डे में होगी पूरी

सुप्रीम कोर्ट की कांस्टीट्यूशन बेंच में ईडब्लूएस कोटे के संवैधानिक वैधता को लेकर दायर मामले की सुनवाई हो रही है. चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रविंद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला की बेंच ने अगले 5 वर्किंग डे में केस की सुनवाई पूरी करने की बात कही है.

EWS कोटा केस: SC में संवैधानिक वैधता पर सुनवाई अगले 5 वर्किंग डे में होगी पूरी
हाइलाइट्ससुप्रीम कोर्ट की कांस्टीट्यूशन बेंच में ईडब्लूएस कोटे की संवैधानिक वैधता को लेकर सुनवाई हो रही है.बेंच ने अगले 5 वर्किंग डे में केस की सुनवाई पूरी करने की बात कही है.ईडब्लूएस कोटे की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में दी गई है चुनौती. नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की कांस्टीट्यूशन बेंच में ईडब्लूएस कोटे के संवैधानिक वैधता को लेकर दायर मामले की सुनवाई हो रही है. चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रविंद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला की बेंच ने अगले 5 वर्किंग डे में केस की सुनवाई पूरी करने की बात कही है. जाने-माने शिक्षाविद डॉ. मोहन गोपाल ने मामले में दलीलें पेश कीं. सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए उन्होंने कहा कि आरक्षण को वंचित समूह को प्रतिनिधित्व देने का साधन माना जाता रहा है. लेकिन EWS कोटा ने इस कांसेप्ट को पूरी तरह से उलट दिया है. यही नहीं डॉ. मोहन गोपाल ने यह भी कहा कि ईडब्लूएस कोटे का लाभ अगड़े वर्ग को मिलता है. लेकिन इससे सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग बाहर हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा होने से संविधान की मूल भावना का उल्लंघन होता है. जिसके तहत समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांत की बात की गई है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में दलील देते हुए डॉ. मोहन गोपाल ने 103वें संशोधन पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि यह संशोधन संविधान पर हमले के रूप में देखा जाना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर ईडब्लूएस वास्तव में आर्थिक आरक्षण होता, तो यह जाति के बावजूद गरीब लोगों को दिया जाता. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. डॉ. गोपाल ने समझाया कि ईडब्ल्यूएस कोटा लागू होने से पहले जो आरक्षण मौजूद थे, वे जाति-पहचान पर आधारित नहीं थे बल्कि सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन और प्रतिनिधित्व की कमी पर आधारित थे. हालांकि 103वें संशोधन में कहा गया है कि पिछड़े वर्ग ईडब्ल्यूएस कोटा के हकदार नहीं हैं. यह केवल अगड़े वर्गों में गरीबों के लिए उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि कुमारी बनाम केरल राज्य में यह कहा गया था कि सभी वर्ग सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के रूप में शामिल होने के हकदार हैं. अपनी दलील पेश करते हुए डॉ. गोपाल ने कहा कि हमें आरक्षण में कोई दिलचस्पी नहीं है. हम प्रतिनिधित्व में रुचि रखते हैं. अगर कोई आरक्षण से बेहतर प्रतिनिधित्व का तरीका लाता है, तो हम आरक्षण को अरब सागर में फेंक देंगे. उन्होंने अपनी दलील देते हुए कहा कि किसी की भी फाइनेंशियल कंडीशन एक क्षणिक स्थिति है. यह लॉटरी जीतने या जुआ हारने जैसी किसी एक घटना से बदल सकती है. NEET PG 2022 : नीट पीजी में EWS कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर होगी सुनवाई उन्होंने कहा कि रिजर्वेशन इसलिए लाया गया ताकि पिछड़ों को शिक्षा और नौकरी में प्रतिनिधित्व मिल सके. इससे उनकी सामाजिक स्थिति और निजी जिंदगी में बदलाव लाया जा सके. डॉ. गोपाल के मुताबिक ईडब्ल्यूएस आरक्षण एक व्यक्ति या एक परिवार की स्थिति पर आधारित है. वहीं एसईबीसी आरक्षण समुदाय की सामाजिक और शैक्षिक स्थिति पर आधारित है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Constitution, Constitutional amendment, Supreme Court, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : September 14, 2022, 11:31 IST