यहां 10 साल में निकले 10000 अजगर वन विभाग की टीम डेली करती है रेस्क्यू

Python in Etawah: इटावा में बीते 10 सालों में 100 हजार अजगर पाए जाते हैं. जिला वन अधिकारी ने बताया कि यहां औसतन 3 अजगर प्रतिदिन निकल रहे हैं. हालांकि इन अजगरों को ग्रामीणों द्वारा कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है.

यहां 10 साल में निकले 10000 अजगर वन विभाग की टीम डेली करती है रेस्क्यू
इटावा: उत्तर प्रदेश का इटावा जनपद दुर्लभ प्रजाति के अजगरों का रखवाला बन गया है. यहां पिछले 10 सालों के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो करीब 10,000 के आसपास छोटे-बड़े अजगर इटावा जिले के विभिन्न इलाकों में निकल चुके हैं, जिनको वन विभाग की टीम ने सुरक्षित रेस्क्यू करके प्राकृतिक जंगल में छोड़ दिया है. यहां 5 किलो से लेकर 100 किलो वजनी तक के अजगर रेस्क्यू किए गए हैं. इसके साथ ही 5 फीट से लेकर करीब 20 फुट लंबे अजगरों को देखने के लिए दूरदराज से लोग यहां पहुंचते हैं. लगातार निकल रहे हैं अजगर अजगरों के रखवाले इटावा जिला बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प कही जाती है. असल में करीब 20 सालों से इटावा जिले में बड़े पैमाने पर जमीन से अजगरों के निकलने का सिलसिला चल रहा है, जिसके बाद एतिहाद के तौर पर वन विभाग की ओर से वन्य जीव संस्था के प्रतिनिधियों के सहयोग से गांव-गांव इस बात का प्रचार शुरू किया कि अजगरों को किसी भी तरीके का नुकसान न पहुंचा जाए और अगर गांव में कोई अजगर निकलता है तो उसकी सूचना वन विभाग और वन्य जीव संस्था के प्रतिनिधियों को दी जाए. वन विभाग की टीम करती है रेस्क्यू वन विभाग की ओर से दी गई इस अपील का असर यह हुआ कि जैसे ही किसी गांव में अजगर निकालता है. वैसे ही मोबाइल फोन के जरिए सूचना वन विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ वन्य जीव संस्था के प्रतिनिधियों तक पहुंचाई जाती है, जिसके बाद वन विभाग की टीम वन्य जीव संस्था के प्रतिनिधियों के साथ मौके पर पहुंचती है और अजगर को रेस्क्यू कर उसको उसके प्राकृतिक बसेरे में छोड़ देती है. अजगरों की शरण स्थली है इटावा इटावा में अजगर इस कदर निकल रहे मानो देश दुनिया का सबसे बडा बसेरा अजगरो का इटावा की सरजमी बन गई हो. यहा पर जिस तरह से अजगर एक के बाद एक करके निकलते जा रहे हैं, उसे देख करके यही कहा जा रहा है कि अजगरों की सबसे बडी शरण स्थली इटावा की जमी है. वन अधिकारी ने दी जानकारी इटावा के जिला वन अधिकारी अतुल कांति शुक्ला बताते हैं कि इटावा उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है. जहां के लोग वन्य जीवों के प्रति बेहद संजीदा हैं. खास करके अजगर सांपों के प्रति. वन विभाग की अपील पर लोग बेहद जागरूक हुए हैं. उनकी सूचनाओं के आधार पर प्रतिदिन कम से कम 3 अजगर जिले भर से रेस्क्यू किया जा रहे हैं जिनको सुरक्षित प्राकृतिक वास में छोड़ा जा रहा है. ग्रामीण नहीं पहुंचाते नुकसान अभी तक ऐसा कोई वाक्या सामने नहीं आया है, जिसमें किसी गांव वाले ने किसी अजगर से नुकसान पहुंचा हो. यह सब वह बातें हैं जो यह कहने के लिए काफी हैं कि इटावा वाकई में अजगरों का रखवाला जिला बन गया है. इटावा में ऐसी भी वाक्ये सामने आए है जिनको दुर्लभ संयोग ही माना जाएगा. क्योंकि इससे पहले अभी तक उन्होंने इस तरह अजगर के शिकार का कोई भी दृश्य नहीं देखा है. अमूमन इस तरह की तस्वीरें डिस्कवरी आदि चैनलों में ही देखी जा रही हैं, लेकिन इटावा के लोगों ने लाइव यह सब अपनी आंखों से देख लिया है. अजगर ऐसा सांप है, जो सामान्यता लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन जब उसकी जद में कोई आ जाता है तो बचना काफी मुश्किल हो जाता है. जंगल काटे जाने से अजगर इंसानी बस्तियों का रूख कर रहे हैं. जहां कटान के चलते अजगरों के वास स्थलों को नुकसान हो रहा है. इसलिए अजगरों को जहां भी थोडी बहुत हरियाली मिलती है. वहीं, अजगर अपना बसेरा बना लेते हैं. जानें अजगरों की कौन सी है प्रजाति अजगर एक संरक्षित जीव है. देश में शेड्यूल वन प्रजाति के अजगरों की संख्या काफी कम है. अजगर एक संरक्षित प्राणी है. यह मानवीय जीवन के लिए बिलकुल खतरनाक नहीं है. परंतु सरीसृप प्रजाति का होने के कारण लोगों की ऐसी धारणा बन गई और इसकी विशाल काया के कारण लोगों में अजगर के प्रति दहशत फैल गई है. देश में इस प्रजाति के अजगरों की संख्या काफी कम होने के कारण इन्हें संरक्षित घोषित कर दिया गया है. परंतु इसके बावजूद इनके संरक्षण के लिए केंद्र अथवा राज्य सरकार ने कोई योजना नहीं की है. इसलिए पकड़े जाने के बाद छोटे बडे अजगरों को संरक्षित वन क्षेत्रों मे सुरक्षात्मक तौर पर छोड दिया जाता है. नदियों के किनारे है शरण स्थली चंबल घाटी के यमुना तथा चंबल क्षेत्र के मध्य तथा इन नदियों के किनारों पर सैकड़ों की संख्या में अजगर हैं. हालांकि इन अजगरों की कोई तथ्यात्मक गणना नहीं की गई है. अजगरों के शहरी क्षेत्र में आने की प्रमुख वजह यह है कि जंगलों के कटान होने के कारण इनके प्राकृतिक वास स्थल समाप्त होते जा रहे हैं. जानें अजगरों का आशियाना इसके साथ ही जंगलों में जहां दूब घास पाई जाती है, वहीं, यह अपने आशियाने बनाते हैं. अब जंगलों के कटान के कारण दूब घास खत्म होती जा रही है. इसके अलावा अजगर वहां रहते हैं जहां नमी की अधिकता होती है. परंतु जंगलों में तालाब खत्म होने से नमी खत्म होती जा रही है. Tags: Etawa news, Local18FIRST PUBLISHED : August 18, 2024, 15:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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