भिंडी की फसल को बर्बाद कर देते हैं ये रोग किसान ऐसे करें इनसे बचाव
भिंडी की फसल को बर्बाद कर देते हैं ये रोग किसान ऐसे करें इनसे बचाव
पादप सुरक्षा रोग की एक्सपर्ट डॉ नूतन वर्मा ने बताया कि भिंडी की फसल किसानों को कम दिनों में अच्छी आमदनी देती है. लेकिन भिंडी में कई तरह के रोग लगते हैं. जिनका समय पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है.
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: गर्मियों के मौसम में किसान भिंडी की सब्जी उगाते हैं. लेकिन गर्मियों में अचानक बढ़ते तापमान से सब्जियों में कई तरह के रोग लगते हैं. खासकर अगर भिंडी की बात की जाए तो इसमें पीला मोजैक, चूर्णील फफूंदी रोग, फल छेदक और कटुवा कीट भारी नुकसान पहुंचाते हैं. जिसका समय पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है. अगर उनके नियंत्रण में जरा भी देरी हो जाए तो किसानों को भारी नुकसान हो सकता है.
कृषि विज्ञान नियामतपुर में तैनात पादप सुरक्षा रोग की एक्सपर्ट डॉ नूतन वर्मा ने बताया कि भिंडी की फसल किसानों को कम दिनों में अच्छी आमदनी देती है. लेकिन भिंडी में कई तरह के रोग लगते हैं. जिनका समय पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है. अगर किसान भिंडी में रोग नियंत्रण बेहतर तरीके से कर लेते हैं तो उनको अच्छी आमदनी मिलती है.
फल छेदक कर सकता है नुकसान
फल छेदक कीट जो कि भिंडी की फसल को बहुत तेजी के साथ नुकसान करता है. यह कीट फल के अंदर घुसकर उसमें अंडे देता है. तेजी से संख्या बढ़ता है. डॉ नूतन वर्मा ने बताया कि भिंडी की फसल में जब 5 से 10% फूल निकल आएं. उसी समय 1 ग्राम थियामेथोक्सम प्रति 3 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें. रोग नियंत्रित हो जाएगा. 15 दिनों के बाद एमिडाक्लोप्रिड या कुनालफॉस का छिड़काव करने से भी रोग पर नियंत्रण बना रहेगा.
चूर्णिल फूंफदी रोग से करें बचाव
चूर्णिल फूंफदी रोग जो कि सूखे की मौसम में पत्तियों पर असर करता है. इस रोग के आने के बाद पत्तियों पर सफेद रंग की आटे की तरह एक परत आ जाती है. उसके बाद भिंडी के फल टेढ़े-मेढ़े बनने लगते हैं. पत्तियां धीरे-धीरे गिरने लगती हैं. इस रोग का नियंत्रण करने के लिए सल्फर पावडर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें या 6ml कैराथीन प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं. ऐसा करने से रोग नियंत्रित हो जाएगा.
पीला मोजैक रोग का करें नियंत्रण
भिंडी में लगने वाला पीला मोजैक रोग सफेद मक्खी से फैलता है. जिसकी वजह से पत्तियों की शिराएं पीली हो जाती हैं. धीरे-धीरे फल सहित पूरा पौधा पीला हो जाता है. सफेद मक्खी का नियंत्रण करने के लिए इमिडक्लोप्रिड 2ml प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर कर छिड़काव कर दें. 15 दिन के अंतराल पर दोबारा से थायमैथाएट 2 ml प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें. रोग नियंत्रण हो जायेगा.
कटुवा कीट का नियंत्रण कैसे करें
भिंडी में लगने वाला कटुवा कीट बेहद तेजी के साथ नुकसान करता है. यह पौधे के तने को काटता है. जिसके बाद पौधा नीचे गिर जाता है. ऐसे में जरूरी है कि इसका नियंत्रण करने के लिए मिट्टी में मिलाने वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल करें. डॉ नूतन वर्मा ने बताया कि थिमैट 10 जी और कार्बोफ्यूरान 3जी 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में मिला दें. जिससे कटुवा कीट के प्रकोप से फसल को बचाया जा सकता है.
कब करें हार्वेस्टिंग
पादप सुरक्षा रोग की एक्सपर्ट डॉ नूतन वर्मा ने कहा कि इन सभी कीटनाशकों का छिड़काव के बाद हार्वेस्टिंग के दौरान एहतियात बरतने की जरूरत है. कीटनाशक छिड़काव करने से 5 दिन के बाद की भिंडी की हार्वेस्टिंग करें ताकि तब तक दवा का असर कम हो जाए, अन्यथा की स्थिति में यह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 08:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed