एसएसबी इंटरव्यू के लिए क्या जरूरी है अंग्रेजी एक्सपर्ट ने दिए टिप्स

विंग कमांडर और आर्मी में साइकोलॉजिस्ट सुशील वाजपेई से बात की गई तो उन्होंने बताया कि स्टूडेंट एनडीए (National Defence Academy)और सीडीएस (Combined Defence Services) में लिखित एग्जाम के बाद एसएसबी इंटरव्यू होता है, जोकि दुनिया का सबसे कठिन इंटरव्यू माना जाता है.

एसएसबी इंटरव्यू के लिए क्या जरूरी है अंग्रेजी एक्सपर्ट ने दिए टिप्स
अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ: अगर आप एयरफोर्स, नेवी या आर्मी में जाने की इच्छा रखते हैं और देश के लिए कुछ करना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि इसका एग्जाम पहले लिखित होता है और इसके बाद एसएसबी इंटरव्यू होता है, जिसे दुनिया का सबसे कठिन और सबसे बड़ा इंटरव्यू कहते हैं. इसको क्लियर करना अक्सर स्टूडेंट के लिए मुश्किल हो जाता है. वजह है इंग्लिश. क्या सच में एसएसबी इंटरव्यू बिना इंग्लिश के नहीं निकाला जा सकता. यही जानने के लिए जब विंग कमांडर और आर्मी में साइकोलॉजिस्ट सुशील वाजपेई से बात की गई तो उन्होंने बताया कि स्टूडेंट एनडीए (National Defence Academy)और सीडीएस (Combined Defence Services) में लिखित एग्जाम के बाद एसएसबी इंटरव्यू होता है, जोकि दुनिया का सबसे कठिन इंटरव्यू माना जाता है. क्योंकि इसमें स्टूडेंट का व्यवहार, उनकी मानसिकता और उनकी पूरी पर्सनालिटी के साथ ही उनके बोलने, उठने- बैठने तक के तरीकों को देखा जाता है. ऐसे में इसे बहुत कम लोग ही पास कर पाते हैं. जब यहां पर इंटरव्यू लेने वाले हर तरह से स्टूडेंट से संतुष्ट हो जाते हैं तब उनका चयन होता है. क्या अंग्रेजी है जरूरी विंग कमांडर सुशील वाजपेई ने बताया कि इंटरव्यू इंग्लिश में ही होता है और इंग्लिश का प्रभाव भी अलग पड़ता है. जब स्टूडेंट इंग्लिश में जवाब देते हैं, इंग्लिश में ग्रुप डिस्कशन करते हैं तो उसका अलग ही प्रभाव पड़ता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर इंग्लिश बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है, तो स्टूडेंट को रिजेक्ट कर दे, ऐसा नहीं होता है. उन्होंने बताया कि इंग्लिश बहुत ज्यादा नहीं, लेकिन इतनी जरूर आनी चाहिए कि जब ग्रुप डिस्कशन में बैठाया जाए तो आप अच्छे से सामने वाले स्टूडेंट के सवाल, उसके जवाब और उसकी बातों को समझ सकें और अपना जवाब दे सकें. इंटरव्यू में अगर किसी इंग्लिश शब्द का इस्तेमाल इंटरव्यू लेने वाले कर लें तो आप समझ सकें और उसका जवाब इंग्लिश में दे सकें. उन्होंने बताया कि कई बार हिंदी मीडियम वाले बच्चे वहां जाकर अपना आत्मविश्वास खो देते हैं. क्योंकि वहां पर जब कुछ स्टूडेंट अच्छी इंग्लिश बोलते हैं, तो हिंदी मीडियम वाले पहले ही सोच लेते हैं कि उनका इसमें रिजेक्शन तय है, लेकिन ऐसा होता नहीं है. जहां से करें तैयारी वहां बता दें यह बात सुशील वाजपेई ने बताया कि स्टूडेंट जहां भी एनडीए और सीडीएस की तैयारी करते हैं उस अकादमी में अंग्रेजी सुधारी जाती है. अगर किसी स्टूडेंट की अंग्रेजी बहुत कमजोर है, तो वह अपने टीचर को यह बात जरूर बताएं. ताकि टीचर उस पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे सके और वह भी खुद पर ज्यादा ज्यादा काम कर सकें. . Tags: Hindi news, Local18, SSBFIRST PUBLISHED : May 1, 2024, 14:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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