मेहनत हो तो ऐसीसांप काटने से पिता की मौतफिर गरीबी को दी मात

कुछ ऐसी ही कहानी है बलिया के पीसीएस रैंक के अधिकारी देवमणि मिश्र की. सब कुछ ठीक-ठाक ही चल रहा था लेकिन अचानक देवमणि के पिता की मृत्यु सांप काटने से हो गई.

मेहनत हो तो ऐसीसांप काटने से पिता की मौतफिर गरीबी को दी मात
बलिया: कहते हैं परिवार की दयनीय परिस्थिति या अन्य प्रकार की समस्या सफ़लता में बहुत ज्यादा बाधा नहीं बन सकती है. लेकिन अगर कुछ कर जाने का जज्बा और जुनून हो तो तमाम समस्याओ का धीरे-धीरे अपने आप समाधान भी होता चला जाता है. कुछ ऐसी ही कहानी है बलिया के पीसीएस रैंक के अधिकारी देवमणि मिश्र की. सब कुछ ठीक-ठाक ही चल रहा था लेकिन अचानक देवमणि के पिता की मृत्यु सांप काटने से हो गई. लेकिन हिम्मत से कम लेने वाले देवमणि के बड़े भाई अंत में कामयाब होते हैं, जिनके सहयोग से देवमणि मिश्र ने अपने सफलता की राह पर और अडिग होते हुए बड़ी सफलता प्राप्त कर आज जिला पूर्ति अधिकारी बने हैं. कहीं न कहीं DSO देवमणि की सफल कहानी आज के युवाओं के लिए बेहद प्रेरणास्रोत है… जिला पूर्ति अधिकारी (District Supply Officer) बलिया देवमणि मिश्र ने कहा, ‘मैं गोरखपुर के बांसगांव ब्लॉक अंतर्गत रतसही गांव का रहने वाला हूं. सफलता तो परिश्रम से ही मिलती है उसका कोई विकल्प ही नहीं होता है. हर सफल व्यक्ति के पीछे एक बड़ा वृतांत होता है. फिलहाल मैं संक्षिप्त में आपको अपने सफ़लता का राज बताता हूं’. पढ़ाई के दौरान ही भगवान को प्यारे हो गए पापा… उन्होंने आगे कहा, ‘मेरे पिताजी एक सरकारी अध्यापक थे. सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था. अचानक सन 1989 में सांप ने पिताजी को काट लिया जिसके उनकी मौत हो गई. उसके बाद परिवार की स्थिति बिल्कुल दयनीय हो गई. क्योंकि पिताजी से ही पूरे परिवार का भरण पोषण चलता था. वर्तमान का पूरा दायित्व मेरे बड़े भाई पर आ गया’. बड़े भाई के कामयाबी से पहले बेहद कठिन था डगर… देवमणि मिश्र ने कहा, ‘बड़े भाई को भी पिताजी के स्थान पर शिक्षक का पद मिल गया. लेकिन बीच का समय बड़ा कष्टदायक रहा. इंटर तक का पढ़ाई ग्रामीण परिवेश में गांव से ही संपन्न हुआ. उसके बाद बड़े भाई ने सहयोग किया तो गोरखपुर से ग्रेजुएशन हुआ, उसके बाद मैं इलाहाबाद जाकर तैयारी करने लगा पीसीएस के सन 1999 बैच में मेरा सलेक्शन हो हुआ’. जीवन में असफलता की भी रही बहार, हिम्मत नहीं हारी… उन्होंने असफलता पर कहा कि जीवन में असफलता न मिले ऐसा कैसे हो सकता है. मुझे भी बहुत असफलता मिली. लेकिन हिम्मत कभी नहीं हारी. मैं एक सामान्य विद्यार्थी था. मैंने आईएएस का भी इंटरव्यू दिया असफल रहा. कई बार मेंस के बाद इंटरव्यू में छट जाता था, लेकिन लगातार परिश्रम करते हुए सन 1999 में पीसीएस बैच में मेरा सलेक्शन हो गया. Tags: Local18, UPPSCFIRST PUBLISHED : July 5, 2024, 15:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed