पंचयोग और स्वाति नक्षत्र में निर्जला एकादशी2 घंटे करें इस मंत्र का जाप
पंचयोग और स्वाति नक्षत्र में निर्जला एकादशी2 घंटे करें इस मंत्र का जाप
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है और यह व्रत इस साल 18 जून को रखा जाएगा. ज्योतिष गणना के मुताबिक लगभग 7 साल बाद इस बार पंचयोग और स्वाति नक्षत्र में निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा जिसे काफी फलदाई माना जा रहा है.
अयोध्या: सनातन धर्म एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार अलग-अलग नामों से कुल 24 एकादशी पर लोग व्रत और भगवान विष्णु का पूजन-अर्चन करते हैं. इन 24 एकादशियों में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी सबसे श्रेष्ठ होती है. इसे भीमसेनी, पांडव एकादशी भी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से सालभर की एकादशियों के व्रत का फल मिल जाता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है और यह व्रत इस साल 18 जून को रखा जाएगा. ज्योतिष गणना के मुताबिक लगभग 7 साल बाद इस बार पंचयोग और स्वाति नक्षत्र में निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा जिसे काफी फलदाई माना जा रहा है. इस दिन गंगा स्नान और दान का भी विशेष महत्व बताया गया है. तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि कब है निर्जला एकादशी का व्रत और कैसे करें पूजा आराधना?.
इस मंत्र के जाप से होगी मोक्ष की प्राप्ति
दरअसल अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि इस बार स्वाती नक्षत्र और जययोग, त्रिपुष्कर, रवि, शिव, ध्वज योग बन रहा है. ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून को 5:11 बजे पर लगेगी, जो 18 जून को सुबह 6:26 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के आधार पर निर्जला एकादशी व्रत 18 जून को रखा जाएगा. वहीं, स्वाती नक्षत्र सोमवार को दोपहर 1:51 बजे से अगले दिन शाम 3:57 बजे मिनट तक रहेगा. इस दौरान भगवान विष्णु का ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जप करना चाहिए. गो, वस्त्र, छत्र, फल आदि का दान करना चाहिए. भक्तिभाव से निर्जला एकादशी के व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
इस विधि से करें पूजा
ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि एकादशी तिथि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर विधि विधान पूर्वक साफ चौकी पर एक लाल कलर का वस्त्र डालकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए. उसके बाद धूप दीप फूल आदि अर्पित करना चाहिए. विधि विधान पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा आराधना करनी चाहिए और उसके बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. गो, वस्त्र, छत्र, फल आदि का दान करना चाहिए. भक्तिभाव से निर्जला एकादशी के व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
Tags: Ayodhya News, Dharma Aastha, Local18, Religion 18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 15, 2024, 07:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed